- एक बालक जो बहुत उद्दंड था ,शरारती था, और अपने को बहुत अकलमंद समझता था कि में ही एक अकलमंद हूँ ,सुधरा हूँ और अच्छा हूँ , गुरूजी के पास आया और पूछा की संसार इतना बिगडा हे कब सुधरेगा !
- गुरूजी ने उत्तर दिया बेटा जब तुम सुधर जाओगे संसार भी सुधर जायगा संसार ख़राब नहीं हे खराबी हम में हे जैसा हम देखेंगे वैसा ही दिखेगा ,जैसा इस दोहे से साफ होता हे !
- बुरा जो देखन में चला बुरा न मिला कोय ,
- जो दिल खोजा आपना मुझ से बुरा न कोय !
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9 months ago
सत्यवचन........
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