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Wednesday, May 27, 2009

१५-अंधेरे की शिकायत




  • अंधेरे की शिकायत
    डेविड हयूम की कविताओं में अंधेरे के बारे में ऐक बडा सुंदर संदर्भ है !
    भगवान के पास आकर सूर्य ने स्तुति गाई"मुझ में जो कुछ भी है वह तेरा है , प्रकाश है ,तेरी अनुभूतियॉ व तेरी कृपायें हैं !

  • सूर्य ने फिर भगवान से पूच्छा आपको मेरे कार्य से संतुष्टि है या नहीं ? कोई शिकायत तो नहीं है ?

  • भगवान ने कहा "हाँ एक व्यक्ति ने आपकी शिकायत की है "

  • सूरज ने पूछा किसने !

  • भगवान ने तब बताया की एक अँधेरा नाम का जीव आया था !उस ने शिकायत की की वह जहाँ भी जाता है सूर्य नाम का जीव उसको मारने के लिय मेरे पीछे आता है ! वह सूर्य से छिपता फिरता है और बहुत परे़शान है !उसने मुझ से शिकायत की की तुम अंधेरे को मिटाना चाहते हो !

  • सूर्य ने हात जोड़ कर कहा " भगवान् में तो ऐसे किसी जीव को जानता नहीं ,में तो आपसे प्रकाश ले कर बांटता रता हूँ ,मुझे तो पता भी नहीं की संसार में अंधेरे नाम का कोई व्यक्ति है !

  • अगर उसे मुझ से शिकायत है तो कृपा करके उसे मेरे सामने लाईए !भला अन्धेरा सुर्य के सम्मुख कैसे आता !आता तो मिट जाता ! हयूम की कविता का भाव यही है कि अन्धेरा अपने आप में कुछ नही है ! प्रकाश का अभाव ही अन्धेरा है ! प्रकाश हो गया तो अन्धेरा है ही नहीं ! अज्ञान- भी कुछ नहीं है ,ज्ञान का अभाव ही अझान है झान जगा लो अझान मिट जयेगा !

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