- कबीर साहब इतनी ऊचाई तक पहुँच गए थे की उनहोंने भगवान से सुख न मांग कर दुःख ही माँगा और सुख का स्वरूप पाकर उसे स्वीकार नहीं किया था और यह कहा था :-
- सुख के माथे सिल पड़े यह नाम प्रभु का भुलाए !
- बलिहारी इस दुःख की जो पल-पल नाम जपाये !!
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9 months ago
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