- गाजर का पुन्य
स्वामी रामतीर्थ कहा करते थे कि एक बूढ़ी माँ थी ! जिन्दगी भर उसने कोई पुन्य का काम नहीं किया ! जीवन के अन्तिम पडाव में उसने जाने-अनजाने में एक पुण्य हो गया ! कोइ भूखा साधू उसके दर पर आया !उसने कहा ,बूढ़ी माई में एक दरवाजे पर एक ही समय में जाता हूँ , जो मिल जाए उसे स्वीकार कर लेता हूँ और न मिले तो में यह मान लेता हूँ कि आज भगवान ब्रत कराने के लिये , उपवास कराने के लिये प्रसन्न हुआ हे , तो में उसकी मरजी समझ उसको धन्यवाद देकर बैठ जाता हूँ ! बूढी माई ने कहा - मुझे तो तेरी बात समझ में नहीं आई ! हाँ मेरे पास सब्जी की टोकरी में एक गाजर पडी हे ! एक गाजर से मेरी सब्जी बनने वाली नहीं हे इसलिये तू ले ले ! एक बड़ी गाजर उसने उठाकर ,जोकि उसके पास पडी हुई थी ,देते हुए कहा कि मेरी तरफ से यही दान समझ लेना ! वेसे आजतक हमने दान नहीं दिया ! पहली बार दे रही हूँ , तुम भी क्या याद रखोगे ,ले जाओ !
साधू बाबा दुआ देता हुआ चला गया ! गाजर धोकर उसने खाई ! कहते हें बूढी माँ जब मरी तो गाजर उसके सम्मुँख आई और उस गाजर ने कहा कि में तुम्हारा पुण्य हूँ , तुम्हें स्वर्ग ले जाने के लिये तत्पर हूँ ! मुझे जोर से पकड़ लो ,स्वर्ग पहुँच जाओगी !बूढ़ी माँ ने गाजर को पकडा और सोचने लगी कि मेरे किये हुये पुण्य के कारण आज में स्वर्ग जा रही हूँ !गाजर से बोली ,"अगर में जाऊँ तो मेरे प्राण निकल जायेंगे , इससे तो अच्छा हे कि जैसे में हूँ ऐसे ही शरीर में चली जाऊँ तो कितना अच्छा हो ! गाजर ने कहा ,"तुम मुझे पकड लो शरीर के साथ चली जाओगी !बूढी माँ गाजर को पकड कर लटक गई ! पडोस की एक महिला खडी थी उसने सोचा कि अगर यह स्वर्ग जा रही हें तो इसकी टांगें पकड्कर हम भी जा सकते हें ! उसने टांग पकड़ ली ! उसके पडोस में कोई महिला खडी थीं उसने सोचा जब यह मुफ्त में जा रहे हें तो हम भी टांगे पकडे और फिर टाँग पकडने वालों की लाईन में लग गई ! आगे आसमान में पहुचने के बाद बूढ़ी माँ का ध्यान गया कि मेरी टाँग पकडकर तो बहुत लम्बी लाइन लगी हुई हे और अभी तो लाइन और भी हे !गाजर हमने दान की फायदा यह सब उठा रहे हें !बडा गुस्सा आया उसे ! गुस्से मे आकर जो उसने दौनो हाथों से पीछे की महिला को चुडेल कहकर मारा ! गाजर तो स्वर्ग चली चली गई ,बूढ़ी माई अपनी कतार के साथ सीधी नीचे उसी दुनिया में गिरी ! - और फिर वह कहती हे की जा तो में स्वर्ग रही थी फिर नरक में कैसे आ गयी ,तो आकाश से आवाज की बूढी माई तेरा पुन्य तुझे स्वर्ग ले जा सकता था पर तेरे कर्म ने तुझे नरक में पटक दिया ,क्योकि तू अपने सुख के साथ दुसरे का सुख बर्दास्त नहीँ कर सकी ! ख़ुद दुखी रहना पसंद करेगी लेकिन उससे भी ज्यादा दूसरों को दुखी देखना चाहती हे !
- ध्यान रखना ,जब हम कोई भी दान ,कोई भी सहयोग करते हें ,बदला कभी नहीं मांगना ! बस ,शुक्र मनाना उसका और कहना तू राजी रहे बस इतना ही चाहिये !तू प्रसन्न हो इतना ही चाहिये !परमात्मा और किसी चीज की हमें कामना नहीं इसको अगर ध्यान में रखोगे तो जीवन सही दिशा में चल पडेगा !
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9 months ago
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