Saturday, August 22, 2009
story of blind girl
Story to live by
'Now that you can see the world, will you marry me?' The girl looked at her boyfriend and saw that he was blind. The sight of his closed eyelids shocked her. She hadn't expected that. The thought of looking at them the rest of her life led her to refuse to marry him. Before you say an unkind word - Think of someone who can't speak. Before you complain about your husband or wife - Think And when depressing thoughts seem to get you down - Put a smile on your face and think: you're alive and still around. (From the desk of Yuva Kranti Dal) |
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Posted By Madan Gopal Garga to IDHAR UDHAR KEE at 8/21/2009 07:15:00 PM
गंगा तट पर
गंगा तट पर एक ऋषि का आश्रम था, जिसमें अनेक छात्र शिक्षा प्राप्त करते थे। जब शिष्यों की शिक्षा पूरी हो जाती और वे अपने घर वापस जाने लगते , तो ऋषि से पूछते कि गुरु दक्षिणा में क्या दें? ऋषि कहते कि तुमने जो पाया है, समाज में जाकर उस पर अमल करो, अपने पैरों पर खड़े हो, सच्ची कमाई करो और फिर एक साल बाद तुम्हारा जो दिल चाहे वह दे जाना। सुशील चावला |
Friday, August 7, 2009
ज्योति्श का कमाल
- एक दफा एक राजा के ऊपर किसि दूसरे राजा ने हमला कर दिया ! राजा ने अपने ज्योतिषी को बुलाया और उनसे पूछा कि हम को क्या करना चाहिए ! ज्योतिषी ने उत्तर दिया महाराज जिस दिशा से हमला हुआ हे वह पूरब की और हे और आज उधर दिशाशूल हे ,आज हम उस और नहीं जा सकते ! व़जीर बराबर कह रहा हे कि महाराज फौरन हमला करो ! राजा ने कहा नहीं हम को ज्योतिषी की बात मननी है ! ज्योतिशी ने कहा हम को इस समय उलटी दिशा में जाना चाहिए ! और वो पश्चिम की और चल दिए !
उनका व़जीर बार बार कह रहा हे महारज हमला करो ! राजा ने कुछ नहीं सुना !
रासते में उन को एक किसान मिला जो पूरब की और जा रह था ! ज्योतिषी ने उस को रोका और बोला आज इधर दिशाशुल है इधर मत जाओ ! किसान बोला हजूर इधर तो में जब से मेने होश सम्भाला अपने खेत पर जाता रहा हूँ और मेरे बाप दादा भी जाते रहे हें ! ज्योतिषी ने कहा अच्छा अपना हाथ दिखा ! किसान ने उस को अपना उलटा हाथ दिखाया ज्योतिषी ने कहा सीधा कर के दिखाओ !
किसान बोला हम भिखारी नही हैं जो हाथ फेलाए ! हमारे शहर मे महाकाल का बास हे हम को काहे का डर हे .! और वह जै महाकाल कह कर चला गया !
राजा को भी अकल आइ और उसने मंत्री से कहा हमला बोलो और जै महकाल का नारा लगा कर हमला बोल दिया और जीत गया !
Thursday, July 16, 2009
What should we ask of God?
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Sunday, June 21, 2009
kahaniyan
Shaivam
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Wednesday, May 27, 2009
१५-अंधेरे की शिकायत
- अंधेरे की शिकायत
डेविड हयूम की कविताओं में अंधेरे के बारे में ऐक बडा सुंदर संदर्भ है !
भगवान के पास आकर सूर्य ने स्तुति गाई"मुझ में जो कुछ भी है वह तेरा है , प्रकाश है ,तेरी अनुभूतियॉ व तेरी कृपायें हैं ! - सूर्य ने फिर भगवान से पूच्छा आपको मेरे कार्य से संतुष्टि है या नहीं ? कोई शिकायत तो नहीं है ?
- भगवान ने कहा "हाँ एक व्यक्ति ने आपकी शिकायत की है "
- सूरज ने पूछा किसने !
- भगवान ने तब बताया की एक अँधेरा नाम का जीव आया था !उस ने शिकायत की की वह जहाँ भी जाता है सूर्य नाम का जीव उसको मारने के लिय मेरे पीछे आता है ! वह सूर्य से छिपता फिरता है और बहुत परे़शान है !उसने मुझ से शिकायत की की तुम अंधेरे को मिटाना चाहते हो !
- सूर्य ने हात जोड़ कर कहा " भगवान् में तो ऐसे किसी जीव को जानता नहीं ,में तो आपसे प्रकाश ले कर बांटता रता हूँ ,मुझे तो पता भी नहीं की संसार में अंधेरे नाम का कोई व्यक्ति है !
- अगर उसे मुझ से शिकायत है तो कृपा करके उसे मेरे सामने लाईए !भला अन्धेरा सुर्य के सम्मुख कैसे आता !आता तो मिट जाता ! हयूम की कविता का भाव यही है कि अन्धेरा अपने आप में कुछ नही है ! प्रकाश का अभाव ही अन्धेरा है ! प्रकाश हो गया तो अन्धेरा है ही नहीं ! अज्ञान- भी कुछ नहीं है ,ज्ञान का अभाव ही अझान है झान जगा लो अझान मिट जयेगा !
Tuesday, May 12, 2009
१४-पाँच मरेंगे
- एक बाबा भिक्षा माँगने आते थे और चिल्ला चिल्ला कर कहते थे "जो देगा उसके पाँच मरेंगे जो नहीं देगा उसके भी पाँच मरेंगे "
कुछ लोगो ने पूछा महातमाजी आप यह क्या कहते हें -आप ऐसा क्यों कहते हें ,जो नहीं देगा उसके तो ठीक हे पर आप जो देगा उस को भी श्राप देते हें कि उसके भी पाँच मरेंगे !
महातमाजी ने समझाया , बेटा जो देगा उसके पांच यानी "काम ,क्रोध,लोभ,मोह और अहंकार "ये पांच मरेंगे -और में उनको जो नहीं देते उनको भी यही आशीर्वाद देता हूँ कि भगवान उनके भी यह पांचों मार दे !
सब लोग चुप हो गये और महातमाजी की बात का मतलब समझ गये !
Sunday, May 10, 2009
१३-संत कालीदास की मुर्खता
- एक बार संत काली दास बन में लकडी काटने गए ! वह एक पेड़ पर चढ़ गए और जिस डाली पर बैठे थे उसी को काटने लगे !उधर से एक आदमी जा रहा था ,उसने देखा की यह शख्स जिस डाली पर बैठा हे वही काट रहा हे ,तो उसने कहा किअरे मुर्ख यह क्या कर रहा हे - जिस डाली पर बैठा हे वही काट रहा हे ,गिर जाएगा और चोट लगेगी ! काली दस की समझ में कुच्छ भी नहीं आया और वह डाली काटते रहे ! जैसे ही डाली कटी वे नीचे गिर गए !
- उठ कर फौरन भागे और उस आदमी के चरण पकड़ कर बोले अरे आप मेरे बारे में और कुच्छ बताओ -वह आदमी सोचने लगा कि वाकई में यह मुर्ख हे !
- बाद में काली दास जे इतने ज्ञानी होगये कि उन का नाम अमर होगया ! उन को ज्ञान भगवान से मिला , जो उनके सच्चे ध्यान का फल था !
१२-सेवा पूजा से बड़ी हे
- एक गुरु के दो शिष्य थे ! दोनों बड़े इष्वर भक्त थे ! इष्वर उपासना के बाद वे रोगियों की चिकत्सा में गुरु की सहायता किया करते थे ! एक दिन उपासना के समय ही कोई रोगी आ पहुचा ! गुरु ने अपने शिष्य को बुलाने भेजा जो पूजा कर रहे थे ! शिष्यों ने कहला भेजा अभी थोड़ी पूजा बाकी हे ,पूजा समाप्त होते ही आजायेगें !
- इस पर गुरूजी ने दोबारा आदमी भेजा ! इस बार शिष्य आ गए ! पर उन्होंने अकस्मात् बुलाए जाने पर असंतोष व्यक्त किया ! गुरूजी ने कहा में ने तुम्हे इस व्यक्ती की सेवा के लिए बुलाया हे ! प्रार्थना तो देवता भी कर सकते हें बीमारों की सहायता तो मनुष्य ही कर सकता हे ! सेवा प्रार्थना से अधिक ऊँची हे क्योंकि सेवा देवता नहीं कर सकते !शिष्य अपने बरतावे पर बड़े लज्जित हुए और उस दिन से प्रार्थना की अपेक्षा सेवा को अधिक महत्त्व देने लगे !
- शिष्यों ने एक और गलती की की गुरु का कहना नहीं माना गुरु की आज्ञा सर्वोपरी हे !
११-मां की महानता
- ऐक बार ऐक व्यक्ति ने स्वामी विवेकानन्द से पूछा , स्वामीजी सासार में जितनी महिमा माँ की हे उतनी पिताओं की क्यों नहीं हे ! स्वामी विवेकानंद ने ऐक बडा सा पत्थर मँगवाया और उस व्यक्ति से कहा कि त्तुम आज घर लौट कर अपने सारे काम इस पत्थर को अपनी कमर से बाँधकर करना तुम को खुद मालूम हो जायेगा !
अगले दिन वह व्यक्ति फिर स्वामी जी के पास आया और बोला -स्वामी जी यह आपने कैसा काम दिया मुझे ! मेरी कमर में भयानक दर्द हो रहा हे , पर इससे मेरे सवाल का जवाब तो नहीं मिला !
विवेकानंद मुस्करा कर बोले बस इसी में प्रशन का जवाब हे ! ऐक ही दिन में तुम इतने कष्ट में आगयेजब कि ऐक माँ तमाम कष्टों को सहते हुए नौ महीने तक संतान को पेट में पालती है ! इसलिए इस संसार में उस की नहीं तो किस कि महिमा होगी !
अब उसके समझ में आया कि माँ को महत्व क्यों देते हें
१०-लडाई का कोइ कारण नही होता
- लडाई का कोइ कारण नही होता
ऐक भडिया और ऐक बकरी का बच्चा ऐक पानी के झरने में पानी पी रहे थे ! भेडिया झरने के उपर था और बकरी का बच्चा नींचे था ! भेड़िये को बकरी के बच्चे को खाना था इसलिये उस ने बकरी के बच्चे को डांट कर कहा " अरे तू मेरा पानी क्यों झूटा कर रहाहे "
बकरी का बच्चा बोला महाराज में तो आपसे नीचे की तरफ हूँ और आपका झूठा पानी पी रहा हूँ ! भेडिया बोला ठीक हे ठीक हे ज्यादा जबान नहीं चला ! तेरे पिता जी ने दो महीने पहले मुझ से कर्ज लिया था ,अभी तक लोटाया नहीं ! बच्चा बोला महाराज उनका तो चार माह पूर्व स्वर्गवास हो गया ,तो उनहोंने दो मह पूर्व कैसे कर्ज लिया !
अच्छा यह बता कि तू ने मुझे ऐक साल पहले गाली क्यों दी थी !
बच्चे ने कहा मेरी तो उम्र ही आठ माह हे तो में ने ऐक साल पहले आपको गाली कैसे दी !
इस पर भेडिया चिल्ला कर बोला तू जबान बहुत चलाता हे में तुझे खा जाऊँगा !
यह सुनते ही बकरी का बच्चा वहाँ से जलदी से भाग गया !
Saturday, May 9, 2009
९-जहां चीज़ खोई हे वहाँ ढूडो
- जहां चीज़ खोई हे वहाँ ढूडो
ऐक बूढ़ी माँ की सुईघर के कमरे में खो गई ! वहाँ अन्धेरा था! माँ ने देखा बाहर रोशनी हे इसलिये सुई को वहाँ ढूडू ! वह सुई बहर ढूंढने लगी !कोई आदमी उधर से जा रहा था उसने पूछा माँ क्या ढूढ रही हो ?
माँ ने कहा सुई खो गई हे उसे ढूढ रही हूँ ! उस मनुष्य ने पुछा कहाँ खोई थी ? माँ ने उत्तर दिया घर के अन्दर ! तब उस आदमी ने पूछा तो यहाँ क्यों ढूढ रही हो ? घर में ढूढो ! माँ ने कहा वहाँ अँधेरा हे इसलिएयहाँ ढूँढ रही हूँ !
ठीक इसी प्रकार हम भगवान को इधर-उधर ढूढ्ते फिरते हें क्योकि बाहर रोशनी हे ! भगवान तो हमारे अन्दर हें मगर वहाँ अन्धेरा हे इस्लिये वहाँ नहीं ढूढ्ते ! अपने अन्दर का अन्धेरा दूर करके प्रकाश करो भग्वान वहाँ मिल जायेगे !
८-यह संसार कब सुधरेगा
- एक बालक जो बहुत उद्दंड था ,शरारती था, और अपने को बहुत अकलमंद समझता था कि में ही एक अकलमंद हूँ ,सुधरा हूँ और अच्छा हूँ , गुरूजी के पास आया और पूछा की संसार इतना बिगडा हे कब सुधरेगा !
- गुरूजी ने उत्तर दिया बेटा जब तुम सुधर जाओगे संसार भी सुधर जायगा संसार ख़राब नहीं हे खराबी हम में हे जैसा हम देखेंगे वैसा ही दिखेगा ,जैसा इस दोहे से साफ होता हे !
- बुरा जो देखन में चला बुरा न मिला कोय ,
- जो दिल खोजा आपना मुझ से बुरा न कोय !
७-फूट का असर
- एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा की ऐसी कौन सी चीज हे जिसे से घर ,मोह्ल्ले , शहर और देश का सबसे ज्यादा नुकसान होता है :-
- बीरबल ने जवाब दिया की हजूर वह चीज फूट है जिस घर में फूट आजाये किसी में भी ताल मेल नहीं सब आपस में लड़ने को तयार वह घर घर नहीं रहता !
- और अगर फूट मोहल्ले में पड़ जाए तो मोहल्ला बरबाद हो जाएगा
- शहर में आपस में फूट हो जाए तो शहर बरबाद हो जाएगा
- और अगर देश में फूट हो तो देश का सत्यानाश हो जाएगा
- इसलिए जहाँ भी फूट पड़ जायेगी उसका सत्यानाश कर देगी
६-कबीरजी ने भगवान से दुःख मांगा
- कबीर साहब इतनी ऊचाई तक पहुँच गए थे की उनहोंने भगवान से सुख न मांग कर दुःख ही माँगा और सुख का स्वरूप पाकर उसे स्वीकार नहीं किया था और यह कहा था :-
- सुख के माथे सिल पड़े यह नाम प्रभु का भुलाए !
- बलिहारी इस दुःख की जो पल-पल नाम जपाये !!
५-भगवानजी भूके रह गए
- एक बूढी मां थी , वह सुबह उठकर न नहाती थी न स्वच्छ होती थी , भगवान की पूजा करती ,उनको भोग लगाती फिर ख़ुद खाती थी ! एक दिन उसके यहाँ एक पंडितजी आए और यह सब देख कर कहने लगे की बूढी माता यह क्या अधर्म करती हो ,नहा धोकर भगवान का भोग लगाया करो !
- बूढी मां ने उस के अगले दिन से नहा धो कर भगवान् का भोग लगाना शुरू किया जिस में उसको ११-१२ बजाने लगे !
- अगले दिन भगवान् पंडित के स्वप्न में आए और बोले की मेंने तेरा क्या बिगाडा हे जो तू मुझे भूका मारने लगा -पंडित ने पूछा कैसे भगवन -भगवान् ने कहा की तू ने बूढी मां को क्या पाठ कर आया हे ,पहले वह मुझे सुबह ही खाना खिलाती थी अब तो १२ बज जाते हें उसको नहा धों कर भोग लगाने में !
- पंडितजी अगले दिन बूढी मां के घर गए और कहा मां तू जैसे पहले करती थी वैसे ही करा कर बिना नहाए ही भगवान् का भोग लगाती रह ! में ने ग़लत बात बता दी थी तुझको !
- इस का मतलब यह की भगवान् प्यार के भूखे हें आडंबर के नही ! आपके भाव को देखते हें !
Friday, May 8, 2009
४-गाजर का पुन्य
- गाजर का पुन्य
स्वामी रामतीर्थ कहा करते थे कि एक बूढ़ी माँ थी ! जिन्दगी भर उसने कोई पुन्य का काम नहीं किया ! जीवन के अन्तिम पडाव में उसने जाने-अनजाने में एक पुण्य हो गया ! कोइ भूखा साधू उसके दर पर आया !उसने कहा ,बूढ़ी माई में एक दरवाजे पर एक ही समय में जाता हूँ , जो मिल जाए उसे स्वीकार कर लेता हूँ और न मिले तो में यह मान लेता हूँ कि आज भगवान ब्रत कराने के लिये , उपवास कराने के लिये प्रसन्न हुआ हे , तो में उसकी मरजी समझ उसको धन्यवाद देकर बैठ जाता हूँ ! बूढी माई ने कहा - मुझे तो तेरी बात समझ में नहीं आई ! हाँ मेरे पास सब्जी की टोकरी में एक गाजर पडी हे ! एक गाजर से मेरी सब्जी बनने वाली नहीं हे इसलिये तू ले ले ! एक बड़ी गाजर उसने उठाकर ,जोकि उसके पास पडी हुई थी ,देते हुए कहा कि मेरी तरफ से यही दान समझ लेना ! वेसे आजतक हमने दान नहीं दिया ! पहली बार दे रही हूँ , तुम भी क्या याद रखोगे ,ले जाओ !
साधू बाबा दुआ देता हुआ चला गया ! गाजर धोकर उसने खाई ! कहते हें बूढी माँ जब मरी तो गाजर उसके सम्मुँख आई और उस गाजर ने कहा कि में तुम्हारा पुण्य हूँ , तुम्हें स्वर्ग ले जाने के लिये तत्पर हूँ ! मुझे जोर से पकड़ लो ,स्वर्ग पहुँच जाओगी !बूढ़ी माँ ने गाजर को पकडा और सोचने लगी कि मेरे किये हुये पुण्य के कारण आज में स्वर्ग जा रही हूँ !गाजर से बोली ,"अगर में जाऊँ तो मेरे प्राण निकल जायेंगे , इससे तो अच्छा हे कि जैसे में हूँ ऐसे ही शरीर में चली जाऊँ तो कितना अच्छा हो ! गाजर ने कहा ,"तुम मुझे पकड लो शरीर के साथ चली जाओगी !बूढी माँ गाजर को पकड कर लटक गई ! पडोस की एक महिला खडी थी उसने सोचा कि अगर यह स्वर्ग जा रही हें तो इसकी टांगें पकड्कर हम भी जा सकते हें ! उसने टांग पकड़ ली ! उसके पडोस में कोई महिला खडी थीं उसने सोचा जब यह मुफ्त में जा रहे हें तो हम भी टांगे पकडे और फिर टाँग पकडने वालों की लाईन में लग गई ! आगे आसमान में पहुचने के बाद बूढ़ी माँ का ध्यान गया कि मेरी टाँग पकडकर तो बहुत लम्बी लाइन लगी हुई हे और अभी तो लाइन और भी हे !गाजर हमने दान की फायदा यह सब उठा रहे हें !बडा गुस्सा आया उसे ! गुस्से मे आकर जो उसने दौनो हाथों से पीछे की महिला को चुडेल कहकर मारा ! गाजर तो स्वर्ग चली चली गई ,बूढ़ी माई अपनी कतार के साथ सीधी नीचे उसी दुनिया में गिरी ! - और फिर वह कहती हे की जा तो में स्वर्ग रही थी फिर नरक में कैसे आ गयी ,तो आकाश से आवाज की बूढी माई तेरा पुन्य तुझे स्वर्ग ले जा सकता था पर तेरे कर्म ने तुझे नरक में पटक दिया ,क्योकि तू अपने सुख के साथ दुसरे का सुख बर्दास्त नहीँ कर सकी ! ख़ुद दुखी रहना पसंद करेगी लेकिन उससे भी ज्यादा दूसरों को दुखी देखना चाहती हे !
- ध्यान रखना ,जब हम कोई भी दान ,कोई भी सहयोग करते हें ,बदला कभी नहीं मांगना ! बस ,शुक्र मनाना उसका और कहना तू राजी रहे बस इतना ही चाहिये !तू प्रसन्न हो इतना ही चाहिये !परमात्मा और किसी चीज की हमें कामना नहीं इसको अगर ध्यान में रखोगे तो जीवन सही दिशा में चल पडेगा !
Wednesday, May 6, 2009
३-धर्मनिष्ठा की प्रेरक प्रेरणा
किसी कवि के द्वारा की गई कल्पना की अमर कहानी हे !एक सूखे हुए
बृक्ष में आग लगी हुई थी और उस बृक्ष पर कुछ पक्षी विराजमान थे !
किसी राहगीर ने उन पक्षियों को चेतानवी देते हुए कहा!
आग लगी एस बृक्ष में ,जल -जल गिरते पात !
अरे ! पक्षियों उड क्यों नहीं जाते ,पंख तुम्हारे साथ !!
पथिक पक्षियों को चेताते हुए कह रहा है कि जिस बृक्ष पर तुम विराजमान हो ,वह आग से जलने लग रहा है और तुम उस पर बैठकर तमाशा देख रहे हो ! जबकि उड़ने के लिए पंख तुम्हारे साथ हैं ! तुम उड क्यों नहीं जाते ? पक्षियों ने राहगीर को बडा प्यारा जवाब दिया -
फल खाए इस बृक्ष के ,गन्दे कीन्हें पात !
धर्म हमारा यही है ,मर मिटें इसी के साथ !!
पक्षियों का धर्मानुकूल जवाब मानव मात्र को धर्म का उपदेश देता है कि खुशियों की हरियाली में ,फल-फूलों से लदी हुई डालियों में जिसने हमें आश्रय दिया है आज विपत्ति के समय हम उसका साथ छोड दें ,यह धर्म सम्मत् नहीं है और हम ऐसा अधर्म नहीं कर सकते !
जीवन संचेतना मार्च 09
Tuesday, May 5, 2009
२-उत्पाती राजकुमार
एक राज्य के राजकुमार का स्वभाव बहुत उत्पाती था ! राजा ने उसे सुधारने का बहुत प्रयत्न किया ,परन्तु असफल रहे ! थक -हार कर उन्होंने राजकुमार को महात्मा बुद्ध के हवाले कर दिया !बुद्ध उसे अपने साथ घुमाने ले गए ! रास्ते में उन्होंने नीम के एक पौधे की ओर इशारा कर उससे पूछा -"राजकुमार जरा सी पत्तियों का स्वाद चखना ! उसका मुंह कडवाहट से भर गया !गुस्से में उसने पूरे पौधे को ही उखाड फेंका" ! यह देख मुस्कराते हुए महात्मा बुद्ध बोले -"सोचो,यदि तुम्हारे कड्वे आचरण को देख कोइ तुम्हारे प्रति भी ऐसा ही व्यवहार करे तो तुम भी नष्ट हो जाओगे !" अगर फलना-फूलना हो तो अपने स्वभाव को मीठा,सरल और सदभावपूर्ण बनाओ ! राजकुमार को बुद्ध की बात समझ आइ और उसी पल से उसका व्यवहार शालीन् हो गया !
जीवन संचेतना मार्च 2009
Sunday, May 3, 2009
१-तेरी आँखों में सारा संसार दीखता है
- तेरी आँखों में सारा संसार दीखता है !
जब लडके लडकी में प्यार हो जाता हे तो वे टेलिफोन पर 3-3 घंटे बाते करते रहते हें ! शादी होने के बाद बातें करने का समय 8-10 मिनट रह जाता हे ! ऐसे ही ऐक लडका और लडकी जंगल में ऐक पेड के नीचे बैठे बात कर रहे हैं ! लडका कह रहा हे कि मुझे तेरी आँखों में सारा संसार दीख्र रहा हें ! उस पेड के ऊपर ऐक भेड चराने वाला बैठा था और उस ने कहा कि भाई मेरी ऐक भेड खो गई हे जरा आँख में देख कर बता कहाँ हे !
यह कहानी पुज्य सुधांशुजी महाराज ने उल्हासनगर के सतसगं में सुनाई