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Friday, October 5, 2012

जैसा चाहोगे वैसा ही मिलेगा

जैसा चाहोगे वैसा ही मिलेगा

एक धार्मिक कक्षा में शिक्षक ने अपने शिष्यों को घरू-कार्य दिया कि अगले दिन वे अपने धर्म ग्रंथ से एक एक अनमोल वचन लिख लाएँ, और पूरी कक्षा के सामने उसे पढ़ें और उसका अर्थ बताएं.

दूसरे दिन एक विद्यार्थी ने पूरी कक्षा के सामने पढ़ा – "लेने से ज्यादा अच्छा देना होता है." पूरी कक्षा ने ताली बजाई.

दूसरे विद्यार्थी ने कहा – "ईश्वर उन्हें पसंद करता है जो हँसी-खुशी अपना सर्वस्व दान करते हैं." कक्षा में एक बार फिर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी.

तीसरे ने कहा – "मूर्ख सदैव कंगाल बना रहता है."

उन तीनों ने एक ही धार्मिक किताब से अंश उठाए थे. मगर तीनों की अपनी दृष्टि ने अलग अलग अनमोल वचन पकड़े.

"जब आप सोचते हैं, जब आप किसी चीज की विवेचना करते हैं तो यह आपके चेतन-अवचेतन मस्तिष्क और आपकी सोच को ही प्रतिबिंबित करता है. अपनी सोच को धनात्मक बनाए रखें तो काले अक्षरों में भी स्वर्णिम आभा दिखाई देगी. "

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