****दुनिया में हर चीज अनमोल है**** एक शिष्य ने पढ़ाई खत्म करने के बाद घर जाते समय अपने गुरु को स्वर्ण मुद्राएं गुरु दक्षिणा में दी। तब गुरुदेव बोले ये तो तुम्हारे काम की है मुझे तो गुरुदक्षिणा में वो चीज दो जो तुम्हारे काम की न हो। इतना सुनकर शिष्य अपने हाथों में मिटटी भर कर ले आया और बोला ये मेरे किसी काम की नहीं है आप इसे अपने पास रख लीजिए । इतने में मिटटी बोली कि मुझे बेकार समझा है अगर मैं न रहूं तो अनाज कैसे प ैदा होगा तुम भूखे मर जाओगे। फिर शिष्य पत्थर के टुकड़े ले आया और गुरु को देने लगा तभी पत्थर बाले कि हम नहीं होगें तो मकान कैसे बनाओगे कहां रहोगे।फिर वह गंदगी ले आया और बोला ये तो किसी काम की नहीं है। आप इसे अपने पास रख लीजिए तभी गन्दगी बोली मुझे व्यर्थ समझते हो अगर मैं नहीं रहूंगी तो खाद कैसे बनेगी। तब गुरु ने कहा कि यह भी व्यर्थ नहीं है तब गुरुदेव ने समझाया कि इस जगत में कोई भी चीज व्यर्थ नहीं है आदमी केवल अपने अहम के कारण कई चीजों को व्यर्थ समझने लगता है । तब उस शिष्य ने अपना अहम ही गुरु को दक्षिणा में देकर एक आदर्श शिष्य बना। .
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