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Wednesday, October 31, 2012

चींटी से सीखो इस जीवन का दर्शन


  • चींटी से सीखो इस जीवन का दर्शन 

    एक दिन एक व्यक्ति मुझसे मिला और कहने लगा, मैं मुंबई में जन्मा हूँ और अब न्यू यॉर्क में रहता हूँ। सवेरे 7.30 बजे काम पर निकलता हूँ तथा घर लौटने तक रात के 8.30 बज जाते हैं। मुझे अपनी संस्था के लक्ष्य भी पाने हैं तथा अपनी पत्नी एवं परिवार को भी क्वालिटी टाइम देना है। दफ्तर में उतनी देर तक काम करने के बाद मैं परिवार को वह क्वालिटी टाइम नहीं दे पाता और जब परिवार को थोड़ा समय देता हूँ तो दफ्तर का काम पिछड़ने लगता है। इसी बात से मुझे टेंशन होती है तथा मैं समझ नहीं पाता कि कैसे अपने जीवन को सुनियोजित करूं? मैं पाता हूँ कि मेरा जीवन असंतुलित सा है। कभी वह वास्तविक खुशियों से खाली लगता है और कभी वह बोझ से दबा हुआ सा लगता है।

    मैंने कहा, यह सच है कि तुम व्यस्त हो, यह एक तथ्य है। तुमने एक व्यस्त नगर में रहने का निश्चय खुद ही किया है। तब एक निश्चय और करो। यह संकल्प करो कि अपनी समस्याओं और व्यस्तताओं के बीच भी मैं बिल्कुल संतुलित एवं शांत बना रहूँगा। अपने सारे संबंधों का निर्वाह सहज ढंग से करूंगा। जीवन गणित नहीं है, जीवन चित्रकला की तरह है। चित्रकार अपनी कला से अपने चित्र में अपनी सुन्दर सृष्टि की रचना करता है।

    उस व्यक्ति को मेरी बात ठीक से समझ नहीं आई। उसने फिर पूछा- अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच शांत रहते हुए अपनी आकांक्षाएँ पूरी करने और परिवार पर समुचित समय देने का लक्ष्य मैं भला कैसे प्राप्त कर सकता हूँ, दोनों के बीच संतुलन कैसे कर सकता हूँ। एक जगह की कटौती दूसरी जगह की आमदनी है।

    मैंने उससे कहा, तुमने चींटी देखी है? उसी से अपने जीवन में संतुलन लाना सीखो। चींटी के जीवन के पीछे गहन दर्शन शास्त्र छिपा है।

    चींटी से सीखूं? उस व्यक्ति ने आश्चर्य से पलट कर प्रतिप्रश्न किया।

    हाँ, यदि तुम ध्यानपूर्वक देखोगे तो उससे बहुत कुछ सीख पाओगे, मैंने कहा।

    चींटी के सामने जो भी अड़चन आती है, वह अपना तरीका बदल कर, रास्ता बदल कर लचीलेपन से ऊपर से, नीचे से, आसपास से, किसी भी ढंग से उसे पार करती है। कार्य योजना में लचीलापन चींटी का बहुत सुंदर गुण है। दूसरी बात यह है कि चींटी कभी थक-हार कर अपना प्रयत्न बंद नहीं करती। तुम असली जिंदगी में भी देखोगे कि जीतने वाले कभी पलायन नहीं करते और पलायन करने वाले कभी जीत नहीं सकते।

    वे इतनी दूरदर्शी या अग्रसोची होती हैं कि गर्मियों में ही बारिश के दिनों के लिए सारे प्रबन्ध पूरे कर लेती हैं। उनमें अच्छी योजना बनाने की भी क्षमता होती है और वे बारिश के लिए तैयारी करने का काम कभी अगले दिन के लिए स्थगित नहीं करतीं।

    जब बरसात होती है तो चींटियाँ बहुत धैर्य से गर्मियों की प्रतीक्षा करती हैं। धैर्य बहुत बड़ा गुण है। एक बात और है कि किसी भी समय, चाहे जितना भी बड़ा लक्ष्य हो, चींटी के प्रयत्न में कभी कोई कमी नहीं होती। प्रयत्न सदैव सम्पूर्ण होना चाहिए।

    तुमने कभी गौर किया है कि चींटियों में तालमेल कितना सुन्दर होता है। वे दल बनाकर बड़े से बड़ा कार्य बिल्कुल सुगमता से निपटा लेती हैं। सारी चीटियाँ मिलकर कितनी सुन्दर बाँबी बना लेती हैं। चींटियाँ काम करते समय अपने आगे की एवं पीछे की चींटियों से निरंतर सूचनाओं का आदान प्रदान करती रहती हैं। यह दल की टीम भावना और सबके सम्मिलित बुद्धि प्रयोग से ही सम्भव हो पाता है। परस्पर सहयोग चींटी का एक और महत्वपूर्ण गुण है। वे अपने दल के नेता का अनुसरण बेहद अनुशासित भाव से करती हैं, दंभ एवं अहंकार को परे रखकर। मनुष्य के लिए भी विनय और अनुशासन उतनी ही बड़ी शक्ति है, वह कोई कमजोरी नहीं है, जैसा कि हम अपनी नासमझी या अहंकार के कारण समझ लेते हैं।

    क्या तुम भी अपना जीवन एक चींटी की भाँति सुनियोजित कर सकते हो?

    चींटी के इस दर्शन से प्रेरणा लो और तब देखो जीवन कितना सुन्दर बन जाता है।

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