"माटी के पुतले"
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कब्रिस्तान की एक कब्र में सोये मुर्दे में आवाज लगायी :----
मुझे कौन यहाँ पे लाया किसने मुझे "यहाँ" पहुँचाया !
मेरे पास "धन-दौलत-मकान-जेवरात" सब कुछ था !!
मेरे बीवी-बच्चे और मेरे-अपने यह सब किधर गया !
कोई तो बताये मेरे साथ यह सब "किसने" करवाया !!
कब्र की बगल से गुजर रहे एक साधू ने उसे जबाब दिया :----
अरे बावले, तूने ये सारी दौलत और जायदाद तथा शीशमहल जिनके लिए बनवाया था वही लोग तुझे इस जगह पर पहुँचाकर वापस भी लौट गए हैं और इस वक़्त उस तमाम जायदाद के लिए उनका आपस में घमासान युद्ध चल रहा है .... !!
माटी के पुतले तुझे कितना गुमान है !
तेरी औकात क्या तेरी क्या "शान" है !!
मेरे पास "धन-दौलत-मकान-जेवरात" सब कुछ था !!
मेरे बीवी-बच्चे और मेरे-अपने यह सब किधर गया !
कोई तो बताये मेरे साथ यह सब "किसने" करवाया !!
कब्र की बगल से गुजर रहे एक साधू ने उसे जबाब दिया :----
अरे बावले, तूने ये सारी दौलत और जायदाद तथा शीशमहल जिनके लिए बनवाया था वही लोग तुझे इस जगह पर पहुँचाकर वापस भी लौट गए हैं और इस वक़्त उस तमाम जायदाद के लिए उनका आपस में घमासान युद्ध चल रहा है .... !!
माटी के पुतले तुझे कितना गुमान है !
तेरी औकात क्या तेरी क्या "शान" है !!
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