WELCOME

YOU ARE WELCOME TO THIS GROUP

PLEASE VISIT U TO END OF THIS BLOG

adsense code

Monday, December 17, 2012

घोड़े की चोरी

घोड़े की चोरी

नसरुद्दीन के पास एक बेहतरीन घोड़ा था। सभी उससे ईर्ष्या करते थे। उसके कस्बे का एक व्यापारी, जिसका नाम अहमद था, वह घोड़ा खरीदना चाहता था। उसने नसरुद्दीन को उस घोड़े के बदले 100 ऊँट देने का प्रस्ताव दिया पर नसरुद्दीन उस घोड़े को बेचना नहीं चाहता था।

अहमद ने गुस्से में आकर कहा - "मैंने तुम्हें बेहतरीन प्रस्ताव दिया है। यदि तुम शराफत से नहीं मानोगे तो मुझे दूसरे तरीके भी आजमाने पड़ सकते हैं जो तुम्हें पसंद नहीं आऐंगे।"

एक दिन वह रेगिस्तान में भिखारी का रूपधारण करके बैठ गया। उसे पता था कि नसरुद्दीन वहां से गुजरेगा। उसे कराहता हुआ देख नसरुद्दीन को उस पर दया आ गयी और उसने उसका हाल पूछा।

अहमद ने कराहते हुए कहा कि उसने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है और वह इतना कमजोर हो चुका है कि अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो सकता। नसरुद्दीन को उस पर दया आ गई और वह बोला - "मैं तुम्हें अपने घोड़े पर बैठाकर ले चलूंगा और मैं पीछे - पीछे पैदल चल लूंगा।" जैसे ही नसरुद्दीन ने उसे उठाकर अपने घोड़े पर बैठाया, अहमद ने घोड़े को सरपट
दौड़ाना शुरू कर दिया। नसरुद्दीन ने उससे रुकने को कहा। अहमद पीछे मुड़कर जोर से चिल्लाते हुए बोला - "मैंने तुमसे पहले ही कहा था नसरुद्दीन! यदि तुम अपना घोड़ा मुझे नहीं बेचोगे तो मैं उसे चुरा लूंगा।"

नसरुद्दीन बोला - "ठहरो मित्र, एक बात सुनते जाओ! मुझे तुमसे सिर्फ यह कहना है कि घोड़ा चुराने की अपनी यह तरकीब किसी को नहीं बताना।"

अहमद - "क्यों?"

नसरुद्दीन - "यदि किसी दिन सड़क के किनारे पड़े बीमार व्यक्ति को वास्तव में मदद की आवश्यकता होगी तो लोग इस तरकीब को याद कर कभी उसकी मदद नहीं करेंगे।"

नसरुद्दीन के इन शब्दों को सुनकर अहमद का मन ग्लानि से भर गया। वह वापस लौटा और नसरुद्दीन से क्षमा मांगते हुए उसका घोड़ा लौटा दिया।

No comments:

Post a Comment