*आ ही गए हो तो नज़रे भी चुरा सकते नहीं,*
*हाथ जोड़कर करते हैं स्वागत,*
*हाथ हम मिला सकते नहीं,*
*परम्परा है अतिथियों का सत्कार करने की,*
*इसलिए नज़रे तुमसे चुरा सकते नहीं,*
*हाथ जोड़कर करते हैं स्वागत,*
*हाथ हम मिला सकते नहीं,*
*तेरे आने से देश में मायूसी सी छाई है,*
*जैसे एक आंधी, काली घटा घेर लायी है,*
*फिर भी नही डरेंगे तुमसे,*
*क्योंकि चिकित्सा पद्धति सबसे पहले भारत में ही आयी है,*
*निपटने का तुझसे हर सम्भव प्रयास जारी है,*
*तुमने तो फैला लिया अपना कहर,*
*अब निपटने की आयी तुम्हारी बारी है,*
*निकाल फेकेंगे तुझको इस देश की जड़ो से हम,*
*जैसे तुम कभी यहां आये ही न थे,*
*डॉक्टर की मेहनत से बेफिक्र हो जाएगा*
*यहां का हर एक नागरिक,*
*जैसे वो इससे कभी घबराए ही न थे,*
*डॉक्टर की मेहनत, समर्पण, और उनके इस ज़ज़्बे को में दिल से सलाम करता हूं,*
*कोई कितना भी करले अपमानित आपको,*
*पर मैं इस दुख की घड़ी में आपकी मेहनत को सत सत प्रणाम करता हूं,*
*मेरे देश पे आके तूने ए वाइरस नज़रे जो गढ़ा दी,*
*यहां तो पहले से ही थी लोगो में नजदीकियां बहुत कम,*
*तूने तो आके दूरिया और बढ़ा दी,*
*डरने लगा है आदमी-आदमी को गले लगाने से ,*
*इससे ज्यादा बुरा दृश्य इन आंखों के लिए और क्या होगा,*
*भगाएंगे तुझको यहां से ऐसे जैसे न तू यहां था न यहां होगा,*
*जो जहां है वही रुक गया है , ना कोई कही आ रहा है ना जा रहा है ,*
*तेरी वजह से कितना परेशां ये इंसा हो रहा है ,*
*कितनो की ज़िन्दगी छीन ली है तूने,*
*कितनो के घर उजाड़े है तूने,*
*चहल-पहल रहती थी जहां चारो और ,*
*सब ठिकाने तेरे कहर से हो गए हैं सूने- सूने,*
*है ईश्वर है अल्लाह इस दुख की घड़ी से बचा दुनिया को,*
*जैसे निवारण करता है कष्टो का वेसे ही निपटा दे इस महामारी को,*
*हर जनमानस की प्रतिरक्षा की शक्ति बढ़ा देना तू,*
*वाइरस के हमले से पहले,*
*वाइरस को ही मिटा देना तू !!*
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