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Friday, January 29, 2016

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-01-27 9:43 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


ध्यान से एक बार पूरा पढना जरूर

🌹🌷खंडित एकता💐🌹🌷
.......................
एक बार कबूतरों का झुण्ड, बहेलिया के बनाये जाल में फंस गया सारे कबूतरों ने मिलकर फैसला किया और जाल सहित उड़ गये "एकता की शक्ति" की ये कहानी आपने यहाँ तक पढ़ी है इसके आगे क्या हुआ वो आज प्रस्तुत है.

बहेलिया उड़ रहे जाल के पीछे पीछे भाग रहा था .एक सज्जन मिलेऔर पूछा क्यों बहेलिये तुझे पता नही की "एकता में शक्ति "होती है तो फिर क्यों अब पीछा कर रहा है ?

बहेलिया बोला "आप को शायद पता नही की शक्तियों का दंभ खतरनाक होता है जहां जितनी ज्यादा शक्ति होती है उसके बिखरने के अवसर भी उतने ज्यादा होते है".

सज्जन कुछ समझे नही .बहेलिया बोला आप भी मेरे साथ आइये .

सज्जन भी उसके साथ हो लिए.

उड़ते उड़ते कबूतरों ने उतरने के बारे में सोचा ...

एक नौजवान कबूतर जिसकी कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं थी ने कहा किसी खेत में उतरा जाये ... वहां इस जाल को कटवाएँगे और दाने भी खायेंगे.

एक समाजवादी टाइप के कबूतर ने तुरंत विरोध किया की गरीब किसानो का हक़ हमने बहुत मारा .
अब और नही !!

एक दलित कबूतर ने कहा ,
जहाँ भी उतरे पहले मुझे दाना देना और जाल से पहले मैं निकलूंगा
क्योकि इस जाल को उड़ाने में सबसे ज्यादा मेहनत मैंने की थी .

दल के सबसे बुजुर्ग कबूतर ने कहा ,
मै सबसे बड़ा हूँ और इस जाल को उड़ाने का प्लान और नेतृत्व मेरा था
अत: मेरी बात सबको माननी पड़ेगी

एक तिलक वाले कबूतर ने कहा
किसी मंदिर पर उतरा जाए.
बन्शीवाले भगवन की कृपा से खाने को भी मिलेगा और जाल भी कट जायेंगे.

अंत में सभी कबूतर
एक दुसरे को धमकी देने लगे कि
मैंने उड़ना बंद किया तो कोई नहीं उड़ नही पायेगा
क्योकि सिर्फ मेरे दम पर ही ये जाल उड़ रहा है
और सभी ने धीरे धीरे करके उड़ना बंद कर दिया .

परिणाम क्या हुआ कि
अंत में वो सभी धरती पर आ गये और बहेलिया ने आकर उनको जाल सहित पकड़ लिया.

सज्जन गहरी सोच में पड गए .

बहेलिया बोला
क्या सोच रहे है महाराज !!

सज्जन बोले "मै ये सोच रहा हूँ की ऐसी ही गलती तो हम सब भी इस समाज में रहते हुए कर रहे है .

बहेलिया ने पूछा ,कैसे ?

सज्जन बोले , हर व्यक्ति शुरू में समाज सेवा करने और समाज में अच्छा बदलाव लाने की चाह रखते हुए काम शुरू करता है पर जब उसे ऐसा लगने लगता है कि उससे ही ये समाज चल रहा है अत: सभी को उसके हिसाब से चलना चाहिए.तब समस्या की शुरुआत होती है .
क्योकि जब लोग उस के तरीके से नहीं चलते तो उस व्यक्ति की अपनी समाज सेवा तो जरूर बंद हो जाती है
यद्यपि समाज तब भी चलता रहा था और बाद में भी चलता रहता ह।
पर हाँ इस कारण जो उस व्यक्ति ने जो काम और दायित्व लिया था वो जरूर अधूरा रह जाता है ।
जैसा इन कबूतरों के दल के साथ हुआ
क्योकि जाल उड़ाने के लिए हर कबूतर के प्रयास जरूरी थे और सिर्फ किसी एक कबूतर से जाल नही उड़ सकता था.

इसलिए यदि अन्य लोग भी ऐसी नकारात्मक सोच रखेंगे और अपने प्रयास बंद कर देंगे तो समाज में भी उतनी ही गिरावट आएगी
क्योकि यदि हम जिस समाज में रहते है और उससे अपेक्षा रखते और उसमे अच्छा बदलाव देखना चाहते है
तो हमें अपने हिस्से के प्रयास को कभी भी बंद नहीं करना
चाहिए और अपना काम करते रहना चाहिए अपना काम करते रहना चाहिए।
🙏🏻👏🏻🙏🏻👏🏻🙏🏻👏🏻🙏🏻👏🏻🙏🏻


Tuesday, January 26, 2016

क्रोध खत्म हो जाता

 क्रोध खत्म हो जाता हैउसका घाव खत्म नहीं होता 

 


एक बालक को छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आ जाता था। उसके पिता ने कहाजब भी तुम्हें क्रोध आएघर की चारदीवारी पर एक कील ठोक देना। पहले दिन उस लड़के ने 37 कीलें ठोकीं। लेकिन कीलें देख कर उसे खुद परआश्चर्य भी हुआ कि उसे इतना क्रोध आता है।


उसके अगले दिन उसने 32 कीलें ठोकींउसके बाद 29  क्रोध आने के बाद जाकर दीवार में कील ठोकने की उस प्रक्रिया में कुछ सप्ताहों में उसने अपनेक्रोध पर काबू पाना सीख लिया और धीरे-धीरे कीलें गाड़ने की संख्या भीकम हो गई। उसे समझ आ गया कि कील ठोकने की तुलना में क्रोध पर काबू पाना आसान है। फिर एक दिन ऐसा आ गया जब उसे बिल्कुल क्रोध नहीं आयावह एक सहनशील बालक बन गया। 

उसने अत्यंत हर्षित भाव से पिता को इसके बारे में बताया। तब पिता ने सुझाव दिया कि अब वह प्रतिदिन एक-एक कील दीवार से बाहर निकाले,क्योंकि अब उसे अपने आप पर पूरा नियंत्रण हो गया है। इस तरह कुछ दिन बीते और एक दिन उसने खुश हो कर पिता को जा कर बताया कि सब कीलें निकाल दी गई हैं। 

पिता अपने बेटे का हाथ पकड़ कर दीवार के पास वापस ले गया। फिर कहातुमने बहुत अच्छा काम किया है। लेकिन यह देखोकील निकालने के बाद भी गड्ढे बचे हुए हैं। कील ठोकने से जो नुकसान होना थावह हो चुका। दीवार अब कभी भी अपनी पहली वाली साफ-सुथरी स्थिति में नहीं आ सकती। उसने बेटे को समझायाइसी तरह जब हम किसी को क्रोध केआवेश में कुछ अनाप-शनाप कहते हैंतो दूसरों के मर्मस्थलों को घायल करदेते हैं। उसके बाद सुलह-सफाई हो भी जाएतो उसके निशान रह जाते हैं। तुम किसी व्यक्ति को पहले तो घाव दे दो और फिर बार-बार 'सॉरीकहो भी तो घाव के निशान जाएंगे नहींवे बने रहेंगे। 

हमारे शास्त्रों में एक नीति वाक्य हैजिसने क्रोध की अग्नि अपने हृदय मेंप्रज्ज्वलित कर रखी हैउसे चिता से क्या प्रयोजनअर्थात वह तो बिना चिता के ही जल जाएगा। ऐसी महाव्याधि से दूर रहना ही कल्याणकारी है। क्रोध बुद्धि की विनाशकारी स्थिति है। वास्तव में क्रोधघृणानिंदाईर्ष्या- ये वे भावनाएं हैं जिनसे मनुष्य की तर्कशक्ति नष्ट हो जाती है। क्रोध को तो यमराज कहा गया है। 

पुत्र ने पिता की आज्ञा नहीं मानीपिता को क्रोध आ गया। पत्नी ने आपकीमर्जी की दाल-सब्जी नहीं बनाईतो आपको क्रोध आ गया। आप समझते हैं कि हर काम आपकी मर्जी से ही होना चाहिए। कई बार हमारे विचार दूसरों से मेल नहीं खातेतो मतभेद हो जाता हैशत्रु बन जाते हैं। हम समझते हैं कि लोगों को हमारे अनुसार ही चलना चाहिए। 

इसी तरह जब हम यह मानने लगते हैं कि जो कुछ हम जानते हैंवह ठीक है। तब भी संघर्ष और क्रोध के अवसर आते हैं। वैज्ञानिक लोग किसी एकबात का जीवन भर अनुसंधान करते हैं। कोई सिद्धांत निर्धारित करते हैं,किंतु यदि उन्हें अपने मन में संदेह हुआ तो बिना सालों के परिश्रम काख्याल किए तुरंत अपना मत बदल भी देते हैं। ज्ञान का समुद्र अथाह है। जो यह सोचता है कि मैं जो जानता हूंवही पूर्ण सत्य हैवह अंधेरे में भटक रहा है। 

जो खुद को मालिक मानता हैकर्ता समझता हैअहंकार करता हैउसे हीक्रोध आएगाजो अपने को सेवक स्वरूप जानता हैवह किसी पर क्रोध क्योंकरेगाइसलिए हमें प्रतिदिन एकांत में बैठकर कुछ देर शांतिपूर्वक अपनीवास्तविक स्थिति के बारे में सोचना चाहिए। हमें इतना अधिकार किसी ने नहीं दिया कि सभी बातों में हम अपनी ही मर्जी चलाएं। हम भी उतना हीअधिकार रखते हैंजितना दूसरे। फिर जब हम दूसरे से प्रतिकूल विचार रखते हैंतो दूसरों को भी वैसा करने का अधिकार क्यों नहीं है?

 

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-01-23 13:22 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


सुखों की परछाई
एक रानी अपने गले का हीरों का हार
निकाल कर खूंटी पर टांगने वाली
ही थी कि एक बाज आया और झपटा
मारकर हार ले उड़ा.
.
चमकते हीरे देखकर बाज ने सोचा कि खाने
की कोई चीज हो. वह एक पेड़ पर जा
बैठा और खाने की कोशिश करने लगा.
.
हीरे तो कठोर होते हैं. उसने चोंच मारा तो दर्द से
कराह उठा. उसे समझ में आ गया कि यह उसके काम
की चीज नहीं. वह हार को
उसी पेड़ पर लटकता छोड़ उड़ गया.
.
रानी को वह हार प्राणों सा प्यारा था. उसने राजा से
कह दिया कि हार का तुरंत पता लगवाइए वरना वह खाना-
पीना छोड़ देगी. राजा ने कहा कि दूसरा हार
बनवा देगा लेकिन उसने जिद पकड़ ली कि उसे
वही हार चाहिए.
.
सब ढूंढने लगे पर किसी को हार मिला ही
नहीं. रानी तो कोप भवन में
चली गई थी. हारकर राजा ने यहां तक
कह दिया कि जो भी वह हार खोज निकालेगा उसे वह
आधे राज्य का अधिकारी बना देगा.
.
अब तो होड़ लग गई. राजा के अधिकारी और प्रजा सब
आधे राज्य के लालच में हार ढूंढने लगे.
.
अचानक वह हार किसी को एक गंदे नाले में दिखा.
हार दिखाई दे रहा था, पर उसमें से बदबू आ रही
थी लेकिन राज्य के लोभ में एक सिपाही
कूद गया.
.
बहुत हाथ-पांव मारा, पर हार नहीं मिला. फिर सेनापति
ने देखा और वह भी कूद गया. दोनों को देख कुछ
उत्साही प्रजा जन भी कूद गए. फिर
मंत्री कूदा.
.
इस तरह जितने नाले से बाहर थे उससे ज्यादा नाले के
भीतर खड़े उसका मंथन कर रहे थे. लोग आते रहे
और कूदते रहे लेकिन हार मिला किसी को
नहीं.
.
जैसे ही कोई नाले में कूदता वह हार दिखना बंद हो
जाता. थककर वह बाहर आकर दूसरी तरफ खड़ा हो
जाता.
.
आधे राज्य का लालच ऐसा कि बड़े-बड़े ज्ञानी, राजा के
प्रधानमंत्री सब कूदने को तैयार बैठे थे. सब लड़ रहे
थे कि पहले मैं नाले में कूदूंगा तो पहले मैं. अजीब
सी होड़ थी.
.
इतने में राजा को खबर लगी. राजा को भय हुआ कि
आधा राज्य हाथ से निकल जाए, क्यों न मैं ही कूद
जाऊं उसमें ? राजा भी कूद गया.
.
एक संत गुजरे उधर से. उन्होंने राजा, प्रजा, मंत्री,
सिपाही सबको कीचड़ में सना देखा तो
चकित हुए.
.
वह पूछ बैठे- क्या इस राज्य में नाले में कूदने की
कोई परंपरा है ? लोगों ने सारी बात कह सुनाई.
.
संत हंसने लगे, भाई ! किसी ने ऊपर भी
देखा ? ऊपर देखो, वह टहनी पर लटका हुआ है.
नीचे जो तुम देख रहे हो, वह तो उसकी
परछाई है. राजा बड़ा शर्मिंदा हुआ.
हम सब भी उस राज्य के लोगों की तरह
बर्ताव कर रहे हैं. हम जिस सांसारिक चीज में
सुख-शांति और आनंद देखते हैं दरअसल वह उसी
हार की तरह है जो क्षणिक सुखों के रूप में परछाई
की तरह दिखाई देता है.
.
हम भ्रम में रहते हैं कि यदि अमुक चीज मिल जाए
तो जीवन बदल जाए, सब अच्छा हो जाएगा. लेकिन
यह सिलसिला तो अंतहीन है.
.
सांसारिक चीजें संपूर्ण सुख दे ही
नहीं सकतीं. सुख शांति हीरों
का हार तो है लेकिन वह परमात्मा में लीन होने से
मिलेगा. बाकी तो सब उसकी परछाई है।।mg


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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-01-25 18:38 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


एक आदमी रात को झोपड़ी में बैठकर एक छोटे से दीये को जलाकर कोई शास्त्र पढ़ रहा था ।
आधी रात बीत गई
जब वह थक गया तो फूंक मार कर उसने दीया बुझा दिया ।
लेकिन वह यह देख कर हैरान हो गया कि जब तक दीया जल रहा था, पूर्णिमा का चांद बाहर खड़ा रहा ।
लेकिन जैसे ही दीया बुझ गया तो चांद की किरणें उस कमरे में फैल गई ।
वह आदमी बहुत हैरान हुआ यह देख कर कि एक छोटे से दीए ने इतने बड़े चांद को बाहर रोेक कर रक्खा ।
इसी तरह हमने भी अपने जीवन में अहंकार के बहुत छोटे-छोटे दीए जला रखे हैं जिसके कारण परमात्मा का चांद बाहर ही खड़ा रह जाता है ।
जबतक वाणी को विश्राम नहीं दोगे तबतक मन शांत नहीं होगा ।
मन शांत होगा तभी ईश्वर की उपस्थिति
महसूस होगी ।🌹🌹👏🏻👏🏻


Sunday, January 24, 2016

एक दिन यमराज

23/01/2016, 10:56 PM - Vjm Sangrur Rakesh Goel: एक दिन यमराज एक लड़के के पास आये और बोले -     "लड़के, आज तुम्हारा आखरी दिन है!"    लड़का :  "लेकिन मैं अभी तैयार नही हुँ ".    यमराज : "ठिक है लेकिन सूची मे तुम्हारा नाम पहला है".    लड़का : "ठिक है , फिर क्युं ना हम जाने से पहले साथ मे बैठ कर चाय पी ले ?    यमराज : "सहि है".    लड़के ने चाय मे नीद की गोली मिला कर यमराज को दे दी.    यमराज ने चाय खत्म की और गहरी नींद मे सो गया.    लड़के ने सूची मे से उसका नाम शुरुआत से हटा कर अंत मे लिख दिया.    जब यमराज को होश आया तो वह लड़के से बोले -"क्युंकी तुमने मेरा बहुत ख्याल रखा इसलिये मे अब सूची अंत से चालू करूँगा"..!     सीख :    "किस्मत का लिखा कोई नही मिटा सकता"  अर्ताथ - जो तुम्हारी किस्मत मे है वह कोई नही बदल सकता चाहे तुम कितनी भी कोशिश कर लो .    इसलिये भगवत गीता मे श्री कृष्ण ने कहा है -    "तू करता वही है जो तू चाहता है,     पर होता वही है जो मैं चाहता हुँ     तू कर वह जो मैं चाहता हुँ   फिर होगा वही जो तू चाहता हैं"             ..^..          ,(-_-),    '\'''''.\'='-.       \/..\\,'          //"")          (\  /            \ |,           ,,; ',    यह एक अर्थपूर्ण है !  इसलिये इसे पढे और दूसरों को भी इसके बारे मे बताये l     दुसरी चिजे तो बहुत शेयर की होंगी भगवान की इस वाक्या को ज्यादा से ज्यादा आगे बढाये.    धन्यवाद,

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-01-24 10:11 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


एक दिन यमराज एक लड़के के पास आये और बोले -

"लड़के, आज तुम्हारा आखरी दिन है!"

लड़का :  "लेकिन मैं अभी तैयार नही हुँ ".

यमराज : "ठिक है लेकिन सूची मे तुम्हारा नाम पहला है".

लड़का : "ठिक है , फिर क्युं ना हम जाने से पहले साथ मे बैठ कर चाय पी ले ?

यमराज : "सहि है".

लड़के ने चाय मे नीद की गोली मिला कर यमराज को दे दी.

यमराज ने चाय खत्म की और गहरी नींद मे सो गया.

लड़के ने सूची मे से उसका नाम शुरुआत से हटा कर अंत मे लिख दिया.

जब यमराज को होश आया तो वह लड़के से बोले -"क्युंकी तुमने मेरा बहुत ख्याल रखा इसलिये मे अब सूची अंत से चालू करूँगा"..!

सीख :

"किस्मत का लिखा कोई नही मिटा सकता"
अर्ताथ - जो तुम्हारी किस्मत मे है वह कोई नही बदल सकता चाहे तुम कितनी भी कोशिश कर लो .

इसलिये भगवत गीता मे श्री कृष्ण ने कहा है -

"तू करता वही है जो तू चाहता है,

पर होता वही है जो मैं चाहता हुँ

तू कर वह जो मैं चाहता हुँ
फिर होगा वही जो तू चाहता हैं"

         ..^..
        ,(-_-),
  '\'''''.\'='-.
     \/..\\,'
        //"")
        (\  /
          \ |,
         ,,; ',

यह एक अर्थपूर्ण है !
इसलिये इसे पढे और दूसरों को भी इसके बारे मे बताये l

दुसरी चिजे तो बहुत शेयर की होंगी भगवान की इस वाक्या को ज्यादा से ज्यादा आगे बढाये.

धन्यवाद,


Saturday, January 23, 2016

जब भी आप


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 



जब भी आप किसी अच्छे कार्य में लगते हैं तो आपके अन्दर का देवता जागने लगता है।

Friday, January 22, 2016

कुए में उतरने

कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है,तो भरकर बाहर आती ,जीवन का भी यही गणित है,जो झुकता है वह प्राप्त करता है.

अगर आप अपनी


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 



अगर आप अपनी असफ़लताओं को याद करके अपने मन को निराश रखने लगे तो कुछ बनने की शक्ति समाप्त हो जाती है।

Thursday, January 21, 2016

क्या बोलना


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

आप को आशीर्वाद देते हुए 


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क्या बोलना चाहिए , क्या नहीं बोलना चाहिए ,कब बोलना चाहिए, कैसे बोलना  चाहिए ,इस का विवेक होना चाहिए !

Monday, January 18, 2016

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-07-11 19:14 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


.
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया !
.
कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए,
कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी
ओले पड़ जाये!
.
हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल
थोड़ी ख़राब हो जाये!
.
एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा, देखिये प्रभु,
आप परमात्मा हैं, लेकिन लगता है आपको खेती
बाड़ी की ज्यादा जानकारी
नहीं है,
.
एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये, जैसा मै
चाहू वैसा मौसम हो,
.
फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा!
.
परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम
कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं
करूँगा!
.
किसान ने गेहूं की फ़सल बोई, जब धूप
चाही, तब धूप मिली, जब पानी
तब पानी !
.
तेज धूप, ओले, बाढ़, आंधी तो उसने आने
ही नहीं दी,
.
समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की
ख़ुशी भी, क्योंकि ऐसी फसल
तो आज तक नहीं हुई थी !
.
किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को,
कि फ़सल कैसे उगाई जाती हैं,
.
बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते
रहे.
.
फ़सल काटने का समय भी आया , किसान बड़े गर्व से
फ़सल काटने गया,
.
लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा , एकदम से
छाती पर हाथ रख कर बैठ गया!
.
गेहूं की एक भी बाली के
अन्दर गेहूं नहीं था, सारी बालियाँ अन्दर
से खाली थी,
.
बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा, प्रभु ये क्या
हुआ ?
.
तब परमात्मा बोले," ये तो होना ही था, तुमने पौधों को
संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया .
.
ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से
जूझने दिया ,
.
उनको किसी प्रकार की चुनौती
का अहसास जरा भी नहीं होने दिया ,
इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए,
.
जब आंधी आती है, तेज बारिश
होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से
ही खड़ा रहता है,
.
वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से
जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है ,उर्जा
देता है,
.
उसकी जीवटता को उभारता है.
.
सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने ,
हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से
गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम
आभा उभरती है,
.
उसे अनमोल बनाती है !"
.
उसी तरह जिंदगी में भी अगर
संघर्ष ना हो, चुनौती ना हो तो आदमी
खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण
नहीं आ पाता !
.
ये चुनोतियाँ ही हैं जो आदमी
रूपी तलवार को धार देती हैं, उसे सशक्त
और प्रखर बनाती हैं,
.
अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनोतियाँ तो
स्वीकार करनी ही
पड़ेंगी,
.
अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे.
.
अगर जिंदगी में प्रखर बनना है, प्रतिभा
शाली बनना है, तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो
करना ही पड़ेगा !
.
(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


Sunday, January 17, 2016

विनम्रता


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

आप को आशीर्वाद देते हुए 


विनम्रता व्यक्ति की शक्ति है। विनम्रता में इतनी शक्ति है कि सामने वाला वशीभूत हो जाए।

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-01-16 19:56 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


लक्ष्मीजी कहाँ रहती हैं ?

एक बूढे सेठ थे । वे खानदानी रईस थे, धन-ऐश्वर्य प्रचुर मात्रा में था परंतु लक्ष्मीजी का तो है चंचल स्वभाव । आज यहाँ तो कल वहाँ!!

सेठ ने एक रात को स्वप्न में देखा कि एक स्त्री उनके घर के दरवाजे से निकलकर बाहर जा रही है।

उन्होंने पूछा : ''हे देवी आप कौन हैं ? मेरे घर में आप कब आयीं और मेरा घर छोडकर आप क्यों और कहाँ जा रही हैं?

वह स्त्री बोली : ''मैं तुम्हारे घर की वैभव लक्ष्मी हूँ । कई पीढयों से मैं यहाँ निवास कर रही हूँ किन्तु अब मेरा समय यहाँ पर समाप्त हो गया है इसलिए मैं यह घर छोडकर जा रही हूँ । मैं तुम पर अत्यंत प्रसन्न हूँ क्योंकि जितना समय मैं तुम्हारे पास रही, तुमने मेरा सदुपयोग किया । संतों को घर पर आमंत्रित करके उनकी सेवा की, गरीबों को भोजन कराया, धर्मार्थ कुएँ-तालाब बनवाये, गौशाला व प्याऊ बनवायी । तुमने लोक-कल्याण के कई कार्य किये । अब जाते समय मैं तुम्हें वरदान देना चाहती हूँ । जो चाहे मुझसे माँग लो ।

सेठ ने कहा : ''मेरी चार बहुएँ है, मैं उनसे सलाह-मशवरा करके आपको बताऊँगा । आप कृपया कल रात को पधारें ।

सेठ ने चारों बहुओं की सलाह ली ।

उनमें से एक ने अन्न के गोदाम तो दूसरी ने सोने-चाँदी से तिजोरियाँ भरवाने के लिए कहा ।

किन्तु सबसे छोटी बहू धार्मिक कुटुंब से आयी थी। बचपन से ही सत्संग में जाया करती थी ।

उसने कहा : ''पिताजी ! लक्ष्मीजी को जाना है तो जायेंगी ही और जो भी वस्तुएँ हम उनसे माँगेंगे वे भी सदा नहीं टिकेंगी । यदि सोने-चाँदी, रुपये-पैसों के ढेर माँगेगें तो हमारी आनेवाली पीढी के बच्चे अहंकार और आलस में अपना जीवन बिगाड देंगे। इसलिए आप लक्ष्मीजी से कहना कि वे जाना चाहती हैं तो अवश्य जायें किन्तु हमें यह वरदान दें कि हमारे घर में सज्जनों की सेवा-पूजा, हरि-कथा सदा होती रहे तथा हमारे परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम बना रहे क्योंकि परिवार में प्रेम होगा तो विपत्ति के दिन भी आसानी से कट जायेंगे।

दूसरे दिन रात को लक्ष्मीजी ने स्वप्न में आकर सेठ से पूछा : ''तुमने अपनी बहुओं से सलाह-मशवरा कर लिया? क्या चाहिए तुम्हें ?

सेठ ने कहा : ''हे माँ लक्ष्मी ! आपको जाना है तो प्रसन्नता से जाइये परंतु मुझे यह वरदान दीजिये कि मेरे घर में हरि-कथा तथा संतो की सेवा होती रहे तथा परिवार के सदस्यों में परस्पर प्रेम बना रहे।

यह सुनकर लक्ष्मीजी चौंक गयीं और बोलीं : ''यह तुमने क्या माँग लिया। जिस घर में हरि-कथा और संतो की सेवा होती हो तथा परिवार के सदस्यों में परस्पर प्रीति रहे वहाँ तो साक्षात् नारायण का निवास होता है और जहाँ नारायण रहते हैं वहाँ मैं तो उनके चरण पलोटती (दबाती)हूँ और मैं चाहकर भी उस घर को छोडकर नहीं जा सकती। यह वरदान माँगकर तुमने मुझे यहाँ रहने के लिए विवश कर दिया है !!!!!
जय श्रीमन्नारायण


Saturday, January 16, 2016

आप समस्या



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आप समस्या से नहीं मरते डर से मर जाते हैं !

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

आप को आशीर्वाद देते हुए 

Friday, January 15, 2016

वाणी की



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

आप को आशीर्वाद देते हुए 


वाणी की मधुरता मित्रता बढ़ाती है और वाणी की कठोरता के कारण व्यक्ति अपनों से भी दूर हो जाता है।

Wednesday, January 13, 2016

जब आपको

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जब आपको किसी चीज़ में रुची होती है और आदत पड़ जाती है तो उसकी फिर भूक लगने लगती है !

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

आप को आशीर्वाद देते हुए 


Fwd:


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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-01-13 6:06 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


जाट ने खेत में टयूबवेल लगवाना था !सोचा कि पंडित जी से पूछ लू कि पानी कहां होगा !

पंडित जी ने सारे खेत में घूम कर एक कोने में हाथ रख दिया और बोला कि यहां टयूबवेल लगा ले और 1100 रु. ले लिये !

जाट बेचारा भुरभुरे स्वभाव का था !
पंडित जी से बोला:
मैं बहुत खुश हूं...आप मेरे घर खाना खाने आओ !

पंडित ने सोचा कि फंस गई सामी आज तो... और हां कर दी !

जाट घर जा कर जाटणी से बोला," पंडित जी जिम्मण आवेंगे पकवान बना ले और एक कटोरी में नीचे देसी घी और उपर बूरा घाल दिये !

जाटणी बोली कि घी तो उपर होता है!
जाट बोला कि आज तू घी नीचे रखिये !

पंडित जी आ गये और बूरे वाली कटोरी देख कर बोले ," जाट भाई इसमें घी तो है ही नहीं !

जाट ने चप्पल निकाल के एक धरी पंडित के कान के नीचे और बोला," तन्नै खेत में 250 फुट नीचे का पानी देख लिया...कटोरी में 2 इंच नीचे घी नी दिक्खया !
😝😂😝😂😝😂😝😂😝😂


Tuesday, January 12, 2016

Fwd: [www.mgg.ammritvanni] आप क्या बोलते


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From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: 2016-01-12 10:43 GMT+05:30
Subject: [www.mgg.ammritvanni] आप क्या बोलते
To: mggarga1932@gmail.com




आप क्या बोलते हैं, बच्चा वो नहीं सीखता। आप क्या करते हैं और क्या घर का माहौल है, बच्चा वह सीखता है।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

आप को आशीर्वाद देते हुए 



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Madan Gopal Garga LM VJM द्वारा www.mgg.ammritvanni के लिए 1/12/2016 10:43:00 am को पोस्ट किया गया

आप क्या बोलते



आप क्या बोलते हैं, बच्चा वो नहीं सीखता। आप क्या करते हैं और क्या घर का माहौल है, बच्चा वह सीखता है।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

आप को आशीर्वाद देते हुए 

Monday, January 11, 2016

Fwd: [www.mgg.ammritvanni] विचारों में हीनता


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From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: 2016-01-11 10:38 GMT+05:30
Subject: [www.mgg.ammritvanni] विचारों में हीनता
To: mggarga1932@gmail.com






विचारों में हीनता हो तो मनोबल टूटता है, अपने मनोबल 

को टूटने मत दो।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज



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Madan Gopal Garga LM VJM द्वारा www.mgg.ammritvanni के लिए 1/11/2016 10:38:00 am को पोस्ट किया गया

विचारों में हीनता





विचारों में हीनता हो तो मनोबल टूटता है, अपने मनोबल 

को टूटने मत दो।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Tuesday, January 5, 2016

जब भी बोलो

जब भी बोलो यह सोचो कि यह आखिरी वचन है, इसलिए सदैव मीठा बोलो।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

जीवन में पुरुषार्थ

जिज्ञासु : गुरुदेव ! जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध को ,अथवा इन दौनो से बढ़कर भी कुछ और हे ?

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Monday, January 4, 2016

kahani

+91 98724 12676‬: very nice messages  A famous writer was in his study room. He picked up his pen and started writing :    **Last year, I had a surgery and my gall bladder was removed. I had to stay stuck to the bed due to this surgery for a long time.     **The same year I reached the age of 60 years and had to give up my favourite job. I had spent 30 years of my life in this publishing company.     **The same year I experienced the sorrow of the death of my father.    **And in the same year my son failed in his medical exam because he had a car accident. He had to stay in bed at hospital with the cast on for several days. The destruction of car was another loss.     At the end he wrote: Alas! It was such bad year !!       When the writer's wife entered the room, she found her husband looking sad lost in his thoughts. From behind his back she read what was written on the paper. She left the room silently and came back with another paper and placed it on side of her husband's writing.    When the writer saw this paper, he found this name written on it with following lines :    **Last year I finally got rid of my gall bladder due to which I had spent years in pain....    **I turned 60 with sound health and got retired from my job. Now I can utilize my time to write something better with more focus and peace.....    **The same year my father, at the age of 95, without depending on anyone or without any critical condition met his Creator.....     **The same year, God blessed my son with a new life. My car was destroyed but my son stayed alive without getting any disability......    At the end she wrote:     This year was an immense blessing of God and it passed well !!!     The writer was indeed happy and amazed at such beautiful and encouraging interpretation of the happenings happened in his life in that year !!!    Moral : In daily lives we must see that its not happiness that makes us grateful but gratefulness that makes us happy.    To all my lovely friends ....Think positive.....Be happy...Stay Blessed 😃  18/10/2015, 9:23 AM - Rakesh: 

kahani

26/11/2015, 9:34 PM - ‪+91 99140 70715‬: एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय  से आती थी और अपना काम पूर्ण मेहनत  तथा ईमानदारी से करती थी !  गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के  भी खूब खुश थी क्यों कि उसके मालिक .......  जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट  देने का वादा कर रक्खा था !  गिलहरी काम करते करते थक जाती थी  तो सोचती थी कि थोडी आराम कर लूँ ....  वैसे ही उसे याद आता था :- कि शेर उसे  दस बोरी अखरोट देगा - गिलहरी फिर  काम पर लग जाती !  गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते -  कुदते देखती थी तो उसकी भी ईच्छा होती  थी कि मैं भी enjoy करूँ !  पर उसे अखरोट याद आ जाता था !  और वो फिर काम पर लग जाती !  शेर कभी - कभी उसे दूसरे शेर के पास  भी काम करने के लिये भेज देता था !  ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना  चाहता था , शेर बहुत ईमानदार था !  ऐसे ही समय बीतता रहा....  एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के  राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट  दे कर आजाद कर दिया !  गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने  लगी कि:-अब अखरोट हमारे किस काम के ?  पुरी जिन्दगी काम करते - करते दाँत तो घिस  गये, इसे खाऊँगी कैसे !  यह कहानी आज जीवन की हकीकत  बन चुकी है !  इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है,  और पुरी जिन्दगी नौकरी में बिता देता है !  60 वर्ष की ऊम्र जब वो रिटायर्ड होता है  तो उसे उसका फन्ड मिलता है !  तब तक जनरेसन बदल चुकी होती है, परिवार  को चलाने वाला मुखिया बदल जाता है ।  क्या नये मुखिया को इस बात का अन्दाजा  लग पयेगा की इस फन्ड के लिये : -  कितनी इच्छायें मरी होगी ?  कितनी तकलीफें मिलि होगी ?  कितनें सपनें रहे  क्या फायदा ऐसे फन्ड का जिसे  पाने के लिये पूरी जिन्दगी लगाई जाय  और उसका इस्तेमाल खुद न कर सके !  "इस धरती पर कोई ऐसा आमीर अभी  तक पैदा नहीं हुआ जो बिते हुए समय  को खरीद सके ।  TIME IS MONEY  26/11/2015, 9:56 PM - ‪+91 98781 22099‬: एक बार एक अजनबी किसी के घर  गया। वह अंदर  गया और मेहमान कक्ष मे बैठ गया। वह  खाली हाथ  आया था तो उसने सोचा कि कुछ  उपहार देना अच्छा रहेगा।  तो  उसने वहा टंगी एक पेन्टिंग उतारी  और जब घर का मालिक  आया, उसने पेन्टिंग देते हुए कहा, यह मै  आपके लिए  लाया हुँ। घर का मालिक, जिसे पता  था कि यह मेरी चीज  मुझे ही भेंट दे रहा है, सन्न रह गया !!!!!  अब आप ही बताएं कि क्या वह भेंट  पा कर, जो कि पहले  से ही उसका है, उस आदमी को खुश  होना चाहिए ??  मेरे ख्याल से नहीं....  लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ  भी करते है। हम  उन्हे रूपया, पैसा चढाते है और हर चीज  जो उनकी ही बनाई  है, उन्हें भेंट करते हैं! लेकिन  मन मे भाव रखते है की ये चीज मै  भगवान को दे रहा हूँ!  और सोचते हैं कि ईश्वर खुश हो  जाएगें। मूर्ख है हम!  हम यह नहीं समझते कि उनको इन सब  चीजो कि जरुरत  नही। अगर आप सच मे उन्हे कुछ देना  चाहते हैं  तो अपनी श्रद्धा दीजिए, उन्हे अपने  हर एक श्वास मे याद  कीजिये और  विश्वास मानिए प्रभु जरुर खुश  होगा !!  अजब हैरान हूँ भगवन  तुझे कैसे रिझाऊं मैं;  कोई वस्तु नहीं ऐसी  जिसे तुझ पर चढाऊं मैं ।  भगवान ने जवाब दिया :" संसार की  हर वसतु तुझे मैनें दी है। तेरे पास अपनी  चीज सिरफ तेरा अहंकार है, जो मैनें  नहीं दिया ।  उसी को तूं मेरे अरपण कर दे। तेरा  जीवन सफल हो  अगर इतना पढ़ने के बाद भी शेयर ना  करो तो बेकार है मेरा पोस्ट करना ।।

दुःख को

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दुःख को ओढो मत उसको लाँघ कर आगे बढ़ जाओ !

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Sunday, January 3, 2016

Fwd: [www.mgg.ammritvanni] किसी कार्य


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From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: 2016-01-03 10:41 GMT+05:30
Subject: [www.mgg.ammritvanni] किसी कार्य
To: mggarga1932@gmail.com


किसी कार्य को करने से पहले अगर योजना ठीक से बनायी गयी है तो सफ़लता अवश्य मिलती है।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज



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Madan Gopal Garga LM VJM द्वारा www.mgg.ammritvanni के लिए 1/03/2016 10:41:00 am को पोस्ट किया गया