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Wednesday, February 6, 2013

A HEART TOUCHING STORY...MUST READ




Sourabh Kapoor
A HEART TOUCHING STORY...MUST READ
यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में टी.टी.ई.
को एक पुराना फटा सा पर्स मिला। उसने पर्स
को खोलकर यह पता लगाने की कोशिश
की कि वह किसका है। लेकिन पर्स में ऐसा कुछ
नहीं था जिससे कोई सुराग मिलसके। पर्स में
कुछ पैसे और भगवान श्रीकृष्ण की फोटो थी।
फिर उस ... टी.टी.ई. ने हवा में पर्स हिलाते हुए
पूछा -"यह किसका पर्स है?"
एक बूढ़ा यात्री बोला -"यह मेरा पर्स है। इसे
कृपया मुझे दे दें।"
टी.टी.ई. ने कहा -"तुम्हें यह साबित
करना होगा कि यह पर्स तुम्हारा ही है। केवल
तभी मैं यह पर्स तुम्हें लौटा सकता हूं।"
उस बूढ़े व्यक्ति ने दंतविहीन मुस्कान के साथ
उत्तर दिया -"इसमें भगवान श्रीकृष्ण
की फोटो है।"
टी.टी.ई. ने कहा -"यह कोई ठोस सबूत नहीं है।
किसी भी व्यक्ति के पर्स मेंभगवान श्रीकृष्ण
की फोटो हो सकती है। इसमें क्या खास बात है?
पर्स में तुम्हारी फोटो क्यों नहीं है?"
बूढ़ा व्यक्ति ठंडी गहरी सांस भरते हुए बोला -"मैं
तुम्हें बताता हूं कि मेरा फोटो इस पर्स में
क्यों नहीं है। जब मैं स्कूल में पढ़ रहा था, तब ये
पर्स मेरे पिता ने मुझे दिया था। उस समय मुझे
जेबखर्च के रूपमें कुछ पैसे मिलते थे। मैंने पर्स में
अपनेमाता-पिता की फोटो रखी हुयी थी।
जब मैं किशोर अवस्थामें पहुंचा, मैं अपनी कद-
काठी पर मोहित था। मैंने पर्स में से माता-
पिता की फोटो हटाकर अपनी फोटो लगा ली। मैं
अपने सुंदर चेहरे और काले घने बालों को देखकर
खुश हुआ करता था।
कुछ साल बाद मेरी शादी हो गयी।
मेरी पत्नी बहुत सुंदर थी और मैं उससे बहुत प्रेम
करता था।मैंने पर्स में से अपनी फोटो हटाकर
उसकी लगा ली। मैं घंटों उसके सुंदर चेहरे
को निहारा करता।
जब मेरी पहली संतान का जन्म हुआ, तब
मेरेजीवन का नया अध्याय शुरू हुआ। मैं अपने
बच्चेके साथ खेलने के लिए काम पर कम समय
खर्च करने लगा। मैं देर से काम पर जाता ओर
जल्दी लौट आता। कहने की बात नहीं, अब मेरे
पर्स में मेरे बच्चेकी फोटो आ गयी थी।"
बूढ़े व्यक्ति ने डबडबाती आँखों के साथ
बोलना जारी रखा -"कई वर्ष पहले मेरे माता-
पिता का स्वर्गवास हो गया। पिछले वर्ष
मेरी पत्नी भी मेरा साथ छोड़ गयी।
मेरा इकलौता पुत्र अपने परिवार में व्यस्त है।
उसके पासमेरी देखभाल का क्त नहीं है। जिसे
मैंनेअपने जिगर के टुकड़ेकी तरह पाला था,
वह अब मुझसे बहुत दूर हो चुका है।
अब मैंने भगवान कृष्ण की फोटो पर्स में
लगा ली है। अब जाकर मुझे एहसास हुआ है
कि श्रीकृष्ण ही मेरे शाश्वत साथी हैं। वे
हमेशा मेरे साथ रहेंगे। काश मुझे पहले ही यह
एहसास हो गया होता।
जैसा प्रेम मैंने अपने परिवार से किया, वैसा प्रेम
यदि मैंने ईश्वर के साथ किया होता तो आज मैं
इतना अकेला नहीं होता।"
टी.टी.ई. ने उस बूढ़े व्यक्ति को पर्स
लौटा दिया। अगले स्टेशन पर ट्रेन के रुकते
ही वह टी.टी.ई. प्लेटफार्म पर बने बुकस्टाल पर
पहुंचा और विक्रेता से बोला-"क्या तुम्हारे पास
भगवान की कोई फोटो है? मुझे अपने पर्स में रखने
के लिए चाहिए



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