WELCOME

YOU ARE WELCOME TO THIS GROUP

PLEASE VISIT U TO END OF THIS BLOG

adsense code

Thursday, February 28, 2013

देवता


अग्रवाल समाज राजकोट 



लोगों को इस बात की बहुत बड़ी गलतफहमी है कि हिन्दू सनातन धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं |

लेकिन ऐसा है नहीं और, सच्चाई इसके बिलकुल ही विपरीत है |


दरअसल हमारे वेदों में उल्लेख है 33 "कोटि" देवी-देवता |

अब "कोटि" का अर्थ "प्रकार" भी होता है और "करोड़" भी |

तो मूर्खों ने उसे हिंदी में करोड़ पढना शुरू कर दिया जबकि वेदों का तात्पर्य 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के देवी-

देवताओं से है (उच्च कोटि.. निम्न कोटि इत्यादि शब्दतो आपने सुना ही होगा जिसका अर्थ भीकरोड़ ना होकर 

प्रकार होता है)

ये एक ऐसी भूल है जिसने वेदों में लिखे पूरे अर्थ को ही परिवर्तित कर दिया |

इसे आप इस निम्नलिखित उदहारण से और अच्छी तरह समझ सकते हैं |



अगर कोई कहता है कि बच्चों को "कमरे में बंद रखा" गया है |

और दूसरा इसी वाक्य की मात्रा को बदल कर बोले कि बच्चों को कमरे में " बंदर खा गया " है| (बंद रखा= 

बंदर खा)

कुछ ऐसी ही भूल अनुवादकों से हुई अथवा दुश्मनों द्वारा जानबूझ कर दिया गया ताकि, इसे HIGHLIGHT 

किया जा सके |


सिर्फ इतना ही नहीं हमारे धार्मिक ग्रंथों में साफ-साफउल्लेख है कि "निरंजनो निराकारो एको देवो महेश्वरः" 

अर्थात इस ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं जो निरंजन निराकार महादेव हैं |

साथ ही यहाँ एक बात ध्यान में रखने योग्य बात है कि हिन्दू सनातन धर्म मानव की उत्पत्तिके साथ ही बना है 

और प्राकृतिक है इसीलिए हमारे धर्म में प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर जीना बताया गया है और 

प्रकृति को भी भगवान की उपाधि दी गयी है ताकि लोगप्रकृति के साथ खिलवाड़ ना करें |

जैसे कि :

1. गंगा को देवी माना जाता है क्योंकि गंगाजल में सैकड़ों प्रकार की हिमालय की औषधियां घुली होती हैं |

2. गाय को माता कहा जाता है क्योंकि गाय का दूध अमृततुल्य और, उनका गोबर एवं गौ मूत्र में विभिन्न 

प्रकार की औषधीय गुण पाए जाते हैं |


3. तुलसी के पौधे को भगवान इसीलिए माना जाता है कि तुलसी के पौधे के हर भाग में विभिन्न औषधीय 

गुण हैं |

4. इसी तरह वट और बरगद के वृक्ष घने होने के कारण ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और, थके हुए राहगीर को 

छाया भी प्रदान करते हैं |

यही कारण है कि हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में प्रकृति पूजा को प्राथमिकता दी गयी है क्योंकि, प्रकृति से ही मनुष्य 

जाति है ना कि मनुष्य जाति से प्रकृति है |

अतः प्रकृति को धर्म से जोड़ा जाना और उनकी पूजा करना सर्वथा उपर्युक्त है |

यही कारण है कि हमारे धर्म ग्रंथों में सूर्य, चन्द्र, वरुण, वायु , अग्नि को भी देवता माना गया है और इसी 

प्रकार कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैं |

इसीलिए, आपलोग बिलकुल भी भ्रम में ना रहें क्योंकि ब्रह्माण्ड में सिर्फ एक ही देव हैं जो निरंजन निराकार 

महादेव हैं |

अतः कुल 33 प्रकार के देवता हैं :

12 आदित्य है : धाता , मित् , अर्यमा , शक्र , वरुण , अंश , भग , विवस्वान , पूषा , सविता , त्वष्टा , एवं 

विष्णु |

8 वसु हैं : धर , ध्रुव ,सोम , अह , अनिल , अनल , प्रत्युष एवं प्रभाष

11 रूद्र हैं : हर , बहुरूप, त्र्यम्बक , अपराजिता , वृषाकपि , शम्भू , कपर्दी , रेवत , म्रग्व्यध , शर्व तथा कपाली |

2 अश्विनी कुमार हैं |

कुल : 12 +8 +11 +2 =33 33 करोड़ देवी देवता ...आखिर सत्य क्या है

शाकल्य—'देवता कितने हैं?'

याज्ञ.—'तेंतीस (33)।'

शाकल्य ने इसी प्रश्न को बार-बार पांच बार और दोहराया। इस पर याज्ञवल्क्य ने हर बार संख्या घटाते हुए 

देवताओं की संख्या क्रमश: छह, तीन, दो, डेढ़ और अन्त में एक बतायी।

शाकल्य—'फिर वे तीन हज़ार तीन सौ छह देवगण कौन हैं?'

याज्ञ.-'ये देवताओं की विभूतियां हैं। देवगण तो तैंतीस ही हैं।'

शाकल्य-'वे कौन से हैं?'

याज्ञ.-'आठ वसु, ग्यारह रुद्र, बारह आदित्य, इन्द्र और प्रजापति।'

शाकल्य-'आठ वसु कौन से है?'

याज्ञ.-'अग्नि, पृथ्वी, वायु, अन्तरिक्ष, आदित्य, द्युलोक, चन्द्र और नक्षत्र। जगत के सम्पूर्ण पदार्थ इनमें समाये 

हुए हैं। अत: ये वसुगण हैं।'

शाकल्य—'ग्यारह रुद्र कौन से हैं?'

याज्ञ.-'पुरुष में स्थित दस इन्द्रियां, एक आत्मा। मृत्यु के समय ये शरीर छोड़ जाते हैं और प्रियजन को रूलाते 

हैं। अत: ये रुद्र हैं।'

शाकल्य-'बारह आदित्य कौन से है?'

याज्ञ.-'वर्ष के बारह मास ही बारह आदित्य हैं।'

शाकल्य—'इन्द्र और प्रजापति कौन हैं?'

याज्ञ.-'गर्जन करने वाले मेघ 'इन्द्र' हैं और 'यज्ञ' ही 'प्रजापति' है। गर्जनशील मेघ 'विद्युत' है और 'पशु' ही यज्ञ 

है।'

शाकल्य—'छह देवगण कौन से हैं?'

याज्ञ.-'पृथ्वी, अग्नि, वायु, अन्तरिक्ष, द्यौ और आदित्य।'

शाकल्य—'तीन देव कौन से हैं?'

याज्ञ.-'तीन लोक- पृथ्वीलोक, स्वर्गलोक, पाताललोक। ये तीनों देवता हैं। इन्हीं में सब देवगण वास करते हैं।'

शाकल्य-'दो देवता कौन से हैं?'

याज्ञ.-'अन्न और प्राण ही वे दो देवता हैं।'

शाकल्य-'वह डेढ़ देवता कौन है?'

याज्ञ.-'वायु डेढ़ देवता है; क्योंकि यह बहता है और इसी में सब की वृद्धि है।'

शाकल्य-'एक देव कौन सा है?'

याज्ञ-'प्राण ही एकल देवता है। वही 'ब्रह्म' है, वही तत् (वह) है।'

what about unaccepted things





Poonam Arya
A Must Read:
One day Gautham Buddha was walking through a village. A very angry and rude young man came up and began insulting him. "You have no right teaching others," he shouted. "You are as stupid as everyone else. You are nothing but a fake."

Buddha was not upset by these insults. Instead he asked the young man

... "Tell me, if you buy a gift for someone, and that person does not take it, to whom does the gift belong?"

The man was surprised to be asked such a strange question and answered,
"It would belong to me, because I bought the gift."

The Buddha smiled and said, "That is correct. And it is exactly the same with your anger. If you become angry with me and I do not get insulted, then the anger falls back on you. You are then the only one who becomes unhappy, not me. All you have done is hurt yourself."

If you are right then there is no need to get angry

And if you are wrong then you don't have any right to get angry.

Patience with family is love,
Patience with others is respect,

Patience with self is confidence, and

Patience with GOD is faith.

Never Think Hard about PAST,

It brings Tears...
Don't Think more about FUTURE,

It brings Fears...



Friday, February 22, 2013

Art of Good Living




Chandan Kumar Nandy
Art of Good Living

1. What we need to become Happy? If we think properly, practically we
will see that we need Nothing to become Happy.
2. When we will be Happy? There may be so Many aspects, but in reality
if we see, we can be Happy right from Now.
3. Live in Present. Because Young generations try to live in Future, who
do not know (but can creat and try), while Old people do not have any
future they have only Past and become unhappy. Only a small child who do
not think about future or Past but live in present enjoys living. So be in
Present.
4. If we expect somthing from some one, we may get Hurt, and because of
expectations we reduce our Pleasure. So never expect anything from anybody.
This will hinder our expectations and our Happiness. According to Bhagad
Geeta, While contemplating the objects of the senses, a person develops
attachment for them, and from such attachment lust develops, and from lust
anger arises. From anger, delusion arises, and from delusion bewilderment
of memory. When memory is bewildered, intelligence is lost, and when
intelligence is lost, one falls down again into the material pool.

5. Opposite Values are Complementary, every person, situations are
complete with some good and some Bad, and we have accept the both Good and
Bad. This is like when we come from outside from Hot sunny day to a air
condition room, we feel good, because of Hot sun. This is relative term, So
it is like Head & Tell of a Coin. We have to accept both.
6. Present situation is inavicable, what ever what ever may be the
circumstances, we have to accept the situation as it is. We may or may not
agree what is happening, but still we have to accept the present. We may
change the parameter to have different result, but that will happent in
future. But Present have to accept.
7. By not accepting any situation or a person, we put extra pressure on
our mind and thinking process, If the more retaliate, the more they will
come to mind. which is like, think everything except the doncing Monkey,
we will see that we will think only monkey and nothing else.
8. I know nothing. We should not feel proud of our knowledge. If we
Proud means we know nothing. Not feeling proudness is not the condition of
Knowledge, rather it is automatic, when we have knowledge we become
modest.



Sunday, February 17, 2013

कहाँ हैं भगवान ?



Chandan Kumar Nandy
कहाँ हैं भगवान ?

एक आदमी हमेशा की तरह अपने नाई की दूकान पर बाल कटवाने गया.
बाल कटाते वक़्त अक्सर देश-दुनिया की बातें हुआ करती थीं…. आज भी वे सिनेमा, राजनीति औरखेल जगत , इत्यादि के बारे में बातकर रहे थे कि अचानक भगवान् के अस्तित्व को लेकर बात होने लगी.
नाई ने कहा , " देखिये भैया ,आपकी तरह मैं भगवान् के अस्तित्व में यकीन नहीं रखता ."
"तुम ऐसा क्यों कहते हो?",आदमी ने पूछा .
"अरे , ये समझना बहुत आसान है , बस गली में जाइए और आप समझ जायेंगे कि भगवान् नहीं है. आप ही बताइए किअगर भगवान् होते तो क्या इतने लोगबीमार होते? इतने बच्चे अनाथ होते ? अगर भगवान् होते तो किसी को कोई दर्द कोई तकलीफ नहीं होती",नाई ने बोलना जारी रखा , "मैं ऐसे भगवान के बारे में नहीं सोच सकता जो इन सब चीजों को होने दे . आप ही बताइए कहाँ है भगवान?"
आदमी एक क्षण के लिए रुका , कुछ सोचा, पर बहस बढे ना इसलिए चुप ही रहा .
नाई ने अपना काम ख़तम किया और आदमी कुछ सोचते हुए दुकान से बाहर निकला और कुछ दूर जाकर खड़ा हो गया. . कुछ देर इंतज़ार करने के बादउसे एक लम्बी दाढ़ी – मूछ वाला अधेड़ व्यक्ति उस तरफ आता दिखाई पड़ा, उसे देखकर लगता था मानो वो कितने दिनों से नहाया-धोया ना हो.
आदमी तुरंत नाई कि दुकान में वापस घुस गया और बोला , " जानते हो इस दुनिया में नाई नहीं होते!"
"भला कैसे नहीं होते हैं?, नाई ने सवाल किया, " मैं साक्षात तुम्हारे सामने हूँ!! "
"नहीं " आदमी ने कहा, " वो नहीं होते हैं, वरना किसी की भी लम्बी दाढ़ी – मूछ नहीं होती पर वो देखो सामने उस आदमी की कितनी लम्बी दाढ़ी-मूछ है !!"
"अरे नहीं भाई साहब नाई होते हैं लेकिन बहुत से लोग हमारे पास नहींआते ." नाई बोला
"बिलकुल सही " आदमी ने नाई को रोकते हुए कहा ,"यही तो बात है , भगवान भी होते हैं पर लोग उनके पास नहीं जाते और ना ही उन्हें खोजने का प्रयास करते हैं, इसीलिए दुनिया में इतना दुःख-दर्द है."



Wednesday, February 13, 2013

fathers mothers day




2 मिनट लगेगा प्लीज पुरा पढना <





Shamkuljit Doal
2 मिनट लगेगा प्लीज पुरा पढना <

१.पापा कहते है "बेटा पढाई करके कुछ बनो" तो बुरा लगता है, पर यही बात जब गर्लफ्रेंड कहती है तो लगता है केयर करती है |
२. गर्लफ्रेंड के लिए माँ-बाप से झूठ बोलते है, पर माँ-बाप के लिए गर्लफ्रेंड से क्यूँ नहीं ?
३. गर्लफ्रेंड से शादी के लिए माँ-पापा को छोड़ देते है, पर माँ-पापा के लिए गर्लफ्रेंड को क्यूँ नहीं ?
4. गर्लफ्रेंड से रोज रात में मोबाईल से पूछते है खाना खाया की नहीं या कितनी रोटी खाई, पर क्या आज तक ये बात माँ-पापा से पूछी ?
5.गर्लफ्रेंड की एक कसम से सिगरेट छूट जाती है, पर पापा के बार-बार कहने से क्यूँ नहीं ?
कृपया अपने माँ-बाप की हर बात माने और उनकी केयर करे...और करते हो तो आपके माँ-बाप आपके लिए कुछ भी गर्व से करने को तैय्यार है |
और ये सबको बताये और समझाए, क्या पता आपकी बात उसके समझ में आ जाये...?
अपने को माहोल ही ऐसा बनाना है की हर बच्चा अपने माता-पिता को ही भगवान समझे |
HARI OM



Sunday, February 10, 2013

Fwd: [Vishwa Jagriti Mission ( World Awakening Mission)] आज वो बेटे को स्कूल छोड़ने फिर घर से निकला,थोड़ी...



---------- Forwarded message ----------
From: Subhash Bakshi <notification+zvefelze@facebookmail.com>
Date: 2013/2/10
Subject: [Vishwa Jagriti Mission ( World Awakening Mission)] आज वो बेटे को स्कूल छोड़ने फिर घर से निकला,थोड़ी...
To: "Vishwa Jagriti Mission ( World Awakening Mission)" <vjmission@groups.facebook.com>


आज वो बेटे को स्कूल छोड़ने फिर घर से...
Subhash Bakshi 10:17am Feb 10
आज वो बेटे को स्कूल छोड़ने फिर घर से निकला,थोड़ी जल्दी में था शायद, हेलमट घर पर भूल गया ,कुछ दूर जाने पर चौराहे पर पोलीस वाले ने हाथ दिखा कर रोका ,उस ने जेब से पचास रुपये निकाले , और पोलीस वाले को थमाते हुवे आगे निकल गया,
बच्चा छोटा था ,मासूम था
जब स्कूल आया तो स्कूटर से उतरते हुवे पूछा
पापा उस चौराहे पर क्या ख़रीदा आप ने?????????
ज़रा सोचीये

View Post on Facebook · Edit Email Settings · Reply to this email to add a comment.

Wednesday, February 6, 2013

आज का विचार - 2/5/13






जिस दिन आप स्वंय के निरीक्षक बन गए तो आपका कल्याण निश्चिंत है। 




परम पूज्य सुधांशुजी महाराज


The day you became assessor of yourself, your welfare is assured.




A HEART TOUCHING STORY...MUST READ




Sourabh Kapoor
A HEART TOUCHING STORY...MUST READ
यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन में टी.टी.ई.
को एक पुराना फटा सा पर्स मिला। उसने पर्स
को खोलकर यह पता लगाने की कोशिश
की कि वह किसका है। लेकिन पर्स में ऐसा कुछ
नहीं था जिससे कोई सुराग मिलसके। पर्स में
कुछ पैसे और भगवान श्रीकृष्ण की फोटो थी।
फिर उस ... टी.टी.ई. ने हवा में पर्स हिलाते हुए
पूछा -"यह किसका पर्स है?"
एक बूढ़ा यात्री बोला -"यह मेरा पर्स है। इसे
कृपया मुझे दे दें।"
टी.टी.ई. ने कहा -"तुम्हें यह साबित
करना होगा कि यह पर्स तुम्हारा ही है। केवल
तभी मैं यह पर्स तुम्हें लौटा सकता हूं।"
उस बूढ़े व्यक्ति ने दंतविहीन मुस्कान के साथ
उत्तर दिया -"इसमें भगवान श्रीकृष्ण
की फोटो है।"
टी.टी.ई. ने कहा -"यह कोई ठोस सबूत नहीं है।
किसी भी व्यक्ति के पर्स मेंभगवान श्रीकृष्ण
की फोटो हो सकती है। इसमें क्या खास बात है?
पर्स में तुम्हारी फोटो क्यों नहीं है?"
बूढ़ा व्यक्ति ठंडी गहरी सांस भरते हुए बोला -"मैं
तुम्हें बताता हूं कि मेरा फोटो इस पर्स में
क्यों नहीं है। जब मैं स्कूल में पढ़ रहा था, तब ये
पर्स मेरे पिता ने मुझे दिया था। उस समय मुझे
जेबखर्च के रूपमें कुछ पैसे मिलते थे। मैंने पर्स में
अपनेमाता-पिता की फोटो रखी हुयी थी।
जब मैं किशोर अवस्थामें पहुंचा, मैं अपनी कद-
काठी पर मोहित था। मैंने पर्स में से माता-
पिता की फोटो हटाकर अपनी फोटो लगा ली। मैं
अपने सुंदर चेहरे और काले घने बालों को देखकर
खुश हुआ करता था।
कुछ साल बाद मेरी शादी हो गयी।
मेरी पत्नी बहुत सुंदर थी और मैं उससे बहुत प्रेम
करता था।मैंने पर्स में से अपनी फोटो हटाकर
उसकी लगा ली। मैं घंटों उसके सुंदर चेहरे
को निहारा करता।
जब मेरी पहली संतान का जन्म हुआ, तब
मेरेजीवन का नया अध्याय शुरू हुआ। मैं अपने
बच्चेके साथ खेलने के लिए काम पर कम समय
खर्च करने लगा। मैं देर से काम पर जाता ओर
जल्दी लौट आता। कहने की बात नहीं, अब मेरे
पर्स में मेरे बच्चेकी फोटो आ गयी थी।"
बूढ़े व्यक्ति ने डबडबाती आँखों के साथ
बोलना जारी रखा -"कई वर्ष पहले मेरे माता-
पिता का स्वर्गवास हो गया। पिछले वर्ष
मेरी पत्नी भी मेरा साथ छोड़ गयी।
मेरा इकलौता पुत्र अपने परिवार में व्यस्त है।
उसके पासमेरी देखभाल का क्त नहीं है। जिसे
मैंनेअपने जिगर के टुकड़ेकी तरह पाला था,
वह अब मुझसे बहुत दूर हो चुका है।
अब मैंने भगवान कृष्ण की फोटो पर्स में
लगा ली है। अब जाकर मुझे एहसास हुआ है
कि श्रीकृष्ण ही मेरे शाश्वत साथी हैं। वे
हमेशा मेरे साथ रहेंगे। काश मुझे पहले ही यह
एहसास हो गया होता।
जैसा प्रेम मैंने अपने परिवार से किया, वैसा प्रेम
यदि मैंने ईश्वर के साथ किया होता तो आज मैं
इतना अकेला नहीं होता।"
टी.टी.ई. ने उस बूढ़े व्यक्ति को पर्स
लौटा दिया। अगले स्टेशन पर ट्रेन के रुकते
ही वह टी.टी.ई. प्लेटफार्म पर बने बुकस्टाल पर
पहुंचा और विक्रेता से बोला-"क्या तुम्हारे पास
भगवान की कोई फोटो है? मुझे अपने पर्स में रखने
के लिए चाहिए



Sunday, February 3, 2013

vidio on a brief introduction baalvikas progm of Vishwa Jagriti Mission






our Guruji is on a noble mission to serve the helpless and neglected children in different parts of India.we should offer our tan,man,dhan for this noble cause.please see that this vedio is sent to all your friend & relatives for vide publicity of this cause
Serving The Young and Ignored- A noble cause by Vishwa Jagriti Mission
www.youtube.com
The Vishwa Jagriti Mission, a non profit organization founded by the world renowned spiritually awak...



Friday, February 1, 2013

एक बहुत ही प्यारी कहानी...




Sourabh Kapoor 8:43am Feb 1
एक बहुत ही प्यारी कहानी...
एक बालक ने अपने माँ बाप की खूब सेवा की.
दोस्त उससे कहते कि अगर इतनी सेवा तुमने
भगवान की की होती, तो तुम्हे भगवान मिल जाते.
.
लेकिन उन सब चीजो से अनजान वो अपने
माता पिता की सेवा करता रहा.
.
एक दिन उसकी माँ बाप की सेवा भक्ति से खुश
होकर भगवान धरती पे आ गए.
.
उस वक्त वो बालक अपनी माँ के पाँव
दबा रहा था, भगवान दरवाजे के बाहर से बोले,
दरवाजा खोलो बेटा,मैं
तुम्हारी माता पिता की सेवा से प्रसन्न होकर
वरदान देने आया हूँ.
.
लड़के ने कहा-इंतजार करो प्रभु, मैं
माँ की सेवा मे लगा हूँ.
.
भगवान बोले-देखो मैं वापस चला जाऊँगा,
.
बालक- आप जा सकते है भगवान, मैं सेवा बीच मे
नही छोड़ सकता.
.
कुछ देर बाद उसने दरवाजा खोला, भगवान बाहर
खड़े थे.
बोले- लोग मुझे पाने के लिए कठोर तपस्या करते
है, मैं तुम्हे सहज मे मिल गया और तुमने मुझसे
प्रतीक्षा करवाई
.
.
.
लड़के का जवाब था- 'हे ईश्वर, जिस माँ बाप
की सेवा ने आपको मेरे पास आने को मजबूर कर
दिया, उन माँ बाप की सेवा बीच मे छोड़कर मैं,
दरवाजा खोलने कैसे आता."
और यही इस जिंदगी का सार है, जिंदगी मे हमारे
माँ बाप से बढ़कर कुछ नही है. हमारे माँ बाप
ही हमे ये जिंदगी देते है. यही माँ बाप अपना पेट
काटकर बच्चो के लिए अपना भविष्य खराब कर
देते है. इसके बदले हमारा भी ये फर्ज बनता है
कि हम कभी उन्हे दुःख ना दे. उनकी आँखो मे
आँसू कभी ना आए, चाहे परिस्थिति जो भी हो.