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Saturday, July 3, 2021

kahani

*राजा भोज एक बहुत बड़े दानवीर थे। उनकी ये एक खास बात थी कि जब वो दान देने के लिए✊ हाथ आगे बढ़ाते तो अपनी 😞नज़रें नीचे झुका लेते थे।*
          
*ये बात सभी को अजीब लगती थी कि ये राजा कैसे दानवीर हैं। ये दान भी देते हैं और इन्हें शर्म भी आती है।*

*ये बात जब तुलसीदासजी  तक पहुँची तो उन्होंने राजा को चार पंक्तियाँ लिख भेजीं जिसमें लिखा था* -

*ऐसी देनी देन जु*
               *कित सीखे हो सेन।*
*ज्यों ज्यों कर ऊँचौ करौ*
                *त्यों त्यों नीचे नैन।।*

*इसका मतलब था कि राजा  तुम ऐसा दान देना कहाँ से सीखे हो? जैसे जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते हैं वैसे वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यूँ झुक जाते हैं?*

*राजा ने इसके बदले में जो जवाब दिया वो जवाब इतना गजब का था कि जिसने भी सुना वो राजा का कायल हो गया।* 
*इतना प्यारा जवाब आज तक किसी ने किसी को नहीं दिया।*

*राजा ने जवाब में लिखा* -

*देनहार कोई और है*
                *भेजत जो दिन रैन।*
*लोग भरम हम पर करैं*
                   *तासौं नीचे नैन।।*

*मतलब, देने वाला तो कोई और है वो ईश्वर   है वो परमात्मा है वो दिन रात भेज रहा है। परन्तु लोग ये समझते हैं कि मैं दे रहा हूँ राजा दे रहा है। ये सोच कर मुझे शर्म आ जाती है और मेरी आँखें नीचे झुक जाती हैं।* 
 *वो ही करता और वो ही करवाता है, क्यों बंदे तू इतराता है,*

*एक साँस भी नही है तेरे बस की, वो ही सुलाता और वो ही जगाता है.........🙏*

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