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Friday, February 19, 2016

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---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-02-16 19:14 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


[6:58pm, 16/02/2016] ‪+91 87507 38350‬: Dear friends Good morning
Rgds LJP Singh

मेरे एक मित्र श्री ने मुझे भेजा है। आप भी पढे
एंव मनन करे।
कल रात करीब 7 बजे होंगे, शाम को मोबाइल की घंटी बजी, मोबाइल उठाया तो उधर से रोने की आवाज़, मैं तो घबड़ा सा गया  फिर आवाज़ क्लियर हुई मैंने शांत कराया और पूछा की भाभी जी आखिर हुआ क्या,उधर से आवाज़ आई आप कहा है और कितने देर में आप चाणक्यपुरी आ सकते है?
मैंने कहा आप परेशानी बताइये और भाई साहब कहा है, माता जी किधर है ? आखिर हुआ क्या।
लेकिन उधर से केवल एक रट आप आ जाइए। मैंने आश्वाशन दिया क़ि  एक घंटा लगेगा
मैं जूते पहने और निकल गया। जैसे तैसे पूरी घबड़ाहट में पंहुचा। देखा तो भाई साहब (हमारे चंद्रा साहब, जो तीस हज़ारी न्यायालय में जज है ) सामने बैठे हुए है । भाभी जी रोना चीखना कर रही है 13 साल का बेटा रोहन भी परेशान है 9 साल की बेटी भी कुछ नहीं कह पा रही है।
मैंने भाई साहब से पूछा क्या बात है ? भाई साहब कोई जवाव नहीं दे रहे फिर भाभी जी ने कहा ये देखिये तलाक के पेपर । ये कोर्ट से तयार कराके लाये है । मुझे तलाक देना चाहते है । मैंने पूछा ये कैसे हो सकता है । इतनी अच्छी फैमिली है  2 बच्चे है। सब कुछ सेट्ल है। प्रथम दृस्टि में मुझे लगा ये मजाक है लेकिन भाभी जी का रोना और भाई साहब की खामोशी कुछ और ही कह रही थी। मैं सवाल कर रहा हु लेकिन भाई साहव कोई जवाब नहीं दे रहे। मैंने बच्चों से पूछा दादी किधर है । बच्चों ने कहा पापा 3 दिन पहले नॉएडा के बृद्धाश्रम में शिफ्ट कर दिए है।
मैंने घर के नौकर से कहा मुझे और भाई साहब को चाय पिलाओ । कुछ देर में चाय आई। भाई साहब को बहुत कोशिश की पिलाने की लेकिन वो नहीं पिए और कुछ ही देर में वो एक मासूम बच्चे की तरह फूटफूट कर रोने लगे । बोले मैं 3 दिन से कुछ नहीं खाया । मैं अपनी 61 साल की माँ को कुछ लोगो के हवाले करके आया हूँ। पिछले डेढ़ साल से मेरे घर में उनके लिए इतनी मुसीबते हो गई की अम्बिका (भाभीजी) ने कसम खा ली की मै माँ जी का ध्यान नहीं रख सकती । हम लोगो से ज्यादा बेहतर ये ओल्ड ऐज हाउस वाले रखते है। ना अम्बिका उनसे बात करती थी ना मेरे बच्चे । माँ मेरे कोर्ट से आने के बाद खूब रोती थी। नौकर तक भी अपने मन से ब्यवहार करते थे। माँ ने 10 दिन पहले बोल दिया बेटा तू मुझे ओल्ड ऐज हाउस में शिफ्ट कर दे। बहुत कोशिश की पूरे फॅमिली को समझाने की लेकिन किसी ने माँ से सीधे मुह बात नहीं की।

जब मैं 2 साल का था तब पापा की मृत्यु हो गई थी। दूसरे के घरो में काम करके मुझे पढ़ाया मुझे इस काबिल बनाया की आज मैं अपनी सोच के मुताबिक जी सकू। लोग बताते है माँ कभी दूसरो के घरो में काम करते वक़्त भी मुझे अकेला नहीं छोड़ती थी। उस माँ को मैं ओल्ड ऐज हाउस में शिफ्ट करके आया हूँ।
  पिछले 3 दिनों से मैं अपनी माँ के एक एक दुःख को याद करके तड़प रहा हूँ  जिसको उसने केवल मेरे लिए उठाया । मुझे आज भी याद है जब मैं 10th के परीक्षा में अपीयर होने वाला था, माँ मेरे साथ रात रात भर बैठी रहती । एक बार माँ को बहुत फीवर हुआ मैं स्कूल से आया था उसका शरीर गर्म था, तप रहा था । मैं जब माँ के गले लगा तो लगने नहीं दी फिर भी मैं उनको पकड़ लिया  , मैंने कहा माँ तुझे फीवर है हँसते हुए बोली अभी खाना बना रही थी इसलिए गर्म है। लोगो से उधार मांग कर मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी तक पढ़ाया । मुझे ट्यूशन तक नहीं पढाने देती की कही मेरा टाइम ख़राब ना हो जाए। कहते कहते रोने लगे और बोले जब ऐसी माँ के हम नहीं हो सके तो मैं अपने बीबी और बच्चों के क्या होंगे। जिनके शरीर के टुकड़े है अगर हम उनको ऐसे लोगो के हवाले कर आये जो उनकी आदत, उनकी बिमारी, उनके किसी चीज़ को नहीं जानते ।जब मैं ऐसी माँ के लिए कुछ नहीं कर सकता तो मैं किसी और के लिए क्या कर सकता हूँ।
आज़ादी अगर इतनी प्यारी है और माँ इतनी बोझ लग रही है तो मैं पूरी आज़ादी देना चाहता हूँ। जब मैं बिना बाप के पल गया तो ये बच्चे भी पल जाएंगे । इसीलिए मैं तलाक देना चाहता हूँ और सारी प्रॉपर्टी इन लोगो के हवाले करके उस ओल्ड ऐज हाउस में रहूँगा । कम से कम मैं माँ के साथ  रह तो सकता हूँ और अगर इतना करके माँ आश्रम में रहने के लिए मजबूर है तो एक दिन मुझे भी जाना ही पडेगा। माँ के साथ रहते रहते आदत भी हो जायेगी। माँ की तरह तकलीफ तो नहीं होगी। जितना बोलते उससे भी ज्यादा रो रहे थे। बात करते करते रात के 12:30 हो गए। भाभी जी के चेहरे को देखा उनके भाव भी प्राश्चित और ग्लानि से भरे हुए थे। मैंने ड्राईवर को बोला अभी हम लोग नॉएडा जाएंगे भाभी जी और बच्चे समेत हम लोग नॉएडा पहुचे। बहुत रिक्वेस्ट करने पर गेट खुला भाई साहब उस गेटकीपर के पैर पकड़ लिए, बोले मेरी माँ है, मैं उसको लेने आया हूँ। चौकीदार ने कहा क्या करते हो साहब,
भाई साहब ने कहा मैं जज हूँ। उस चौकीदार ने कहा जहा सारे सबूत सामने है तब तो आप अपने माँ के साथ न्याय नहीं कर पाये औरो के साथ क्या न्याय करते होन्गे साहब। इतना कहकर हमलोगो को वही रोक कर वह अंदर चला गया। अंदर से एक महिला आई जो वार्डेन थी। उसने भी उस समय किसी फॉर्मेल्टीस को करने से मना कर दिया। उसने इतने कातर शब्दों में कहा 2 बजे रात को आप लोग ले जाके कही मार दें तो मैं भगवान को क्या जबाब दूंगी। मैंने कहा आप विश्वास करिये । ये लोग बहुत बड़े पश्चाताप में जी रहे है। अंत में किसी तरह उनके कमरे में ले गई ।कमरे में जो दृश्य था, उसको कहने की स्थिति में मैं नहीं हूँ। केवल एक फ़ोटो जिसमे पूरी फॅमिली है और वो भी माँ जी के बगल में जैसे किसी बच्चे को सुला रखा है। मुझे देखा तो उनको लगा शायद बात खुले नहीं और संकोच करने लगी लेकिन जब मैंने कहा हम लोग आप को लेने आये है तो पूरी फॅमिली एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी। आस पास के कमरो में और भी बुजुर्ग थे सबलोग जग कर आ गए और उनकी भी आँखे नम थी। कुछ समय के बाद चलने की तयारी हुई। पूरे आश्रम के लोग बाहर तक आये। किसी तरह हम लोग आश्रम के लोगो को छोड़ पाये ।सब लोग इस आशा में देख रहे थे कि शायद उनको भी कोई लेने आएगा। रास्ते भर बच्चे और भाभी जी तो शांत रहे लेकिन भाई साहब और माता जी एक दूसरे की भावनाओ को अपने पुराने रिश्ते पर बैठा रहे थे।

घर आते आते करीब 3:45 हो गया । सुबह तो शायद इस दुनिया में  सबके लिए था। लेकिन भाई साहब और उनके परिवार का सबेरा सबसे अलग था। माँ जी के कमरे में हम सबने काफी समय गुजारा। भाभी जी भी अपने ख़ुशी की चाभी कहा है ये समझ गई थी। भाई साहब के चेहरे पर ख़ुशी की मुस्कान आने लगी। मुझे भी बिदा लेने का समय हो गया था, मैं चल दिया  लेकिन रास्ते भर वो सारी बाते और दृश्य घूमते रहे और कल उन लोगो ने मेरे लिए डिनर का प्रोग्राम रखा था जाना नही हो पाया लेकिन माँ जी से  बहुत सारी बाते हुई मोबाइल से।
[6:58pm, 16/02/2016] ‪+91 87507 38350‬: इसे शांत चित्त से पढिए।

हर लडकी के लिए प्रेरक कहानी...
और लड़कों के लिए अनुकरणीय शिक्षा...,

कोई भी लडकी की सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है।
...
...
अशोक भाई ने घर मेँ पैर रखा....'अरी सुनती हो !'

आवाज सुनते ही अशोक भाई की पत्नी हाथ मेँ पानी का गिलास लेकर बाहर आयी और बोली

"अपनी beti का रिश्ता आया है,

अच्छा भला इज्जतदार सुखी परिवार है,
लडके का नाम युवराज है ।
बैँक मे काम करता है।
बस beti  हाँ कह दे तो सगाई कर देते है."

Beti उनकी एकमात्र लडकी थी..

घर मेँ हमेशा आनंद का वातावरण रहता था ।

कभी कभार अशोक भाई सिगरेट व पान मसाले के कारण उनकी पत्नी और beti के साथ कहा सुनी हो जाती लेकिन
अशोक भाई मजाक मेँ निकाल देते ।

Beti खूब समझदार और संस्कारी थी ।

S.S.C पास करके टयुशन, सिलाई काम करके पिता की मदद करने की कोशिश करती ।

अब तो beti ग्रज्येएट हो गई थी और नोकरी भी करती थी
लेकिन अशोक भाई उसकी पगार मेँ से एक रुपया भी नही लेते थे...

और रोज कहते 'बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे भविष्य मेँ तेरे काम आयेगी ।'

दोनो घरो की सहमति से beti  और
युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया.

अब शादी के 15 दिन और बाकी थे.

अशोक भाई ने beti को पास मेँ बिठाया और कहा-

" बेटा तेरे ससुर से मेरी बात हुई...उन्होने कहा दहेज मेँ कुछ नही लेँगे, ना रुपये, ना गहने और ना ही कोई चीज ।

तो बेटा तेरे शादी के लिए मेँने कुछ रुपये जमा किए है।

यह दो लाख रुपये मैँ तुझे देता हूँ।.. तेरे भविष्य मेँ काम आयेगे, तू तेरे खाते मे जमा करवा देना.'

"OK PAPA" - beti ने छोटा सा जवाब देकर अपने रुम मेँ चली गई.

समय को जाते कहाँ देर लगती है ?

शुभ दिन बारात आंगन में आयी,

पंडितजी ने चंवरी मेँ विवाह विधि शुरु की।
फेरे फिरने का समय आया....

कोयल जैसे कुहुकी हो ऐसे beti दो शब्दो मेँ बोली

"रुको पडिण्त जी ।
मुझे आप सब की उपस्तिथि मेँ मेरे पापा के साथ बात करनी है,"

"पापा आप ने मुझे लाड प्यार से बडा किया, पढाया, लिखाया खूब प्रेम दिया इसका कर्ज तो चुका सकती नही...

लेकिन युवराज और मेरे ससुर जी की सहमति से आपने दिया दो लाख रुपये का चेक मैँ वापस देती हूँ।

इन रुपयों से मेरी शादी के लिए लिये हुए उधार वापस दे देना
और दूसरा चेक तीन लाख जो मेने अपनी पगार मेँ से बचत की है...

जब आप रिटायर होगेँ तब आपके काम आयेगेँ,
मैँ नही चाहती कि आप को बुढापे मेँ आपको किसी के आगे हाथ फैलाना पडे !

अगर मैँ आपका लडका होता तब भी इतना तो करता ना ? !!! "

वहाँ पर सभी की नजर beti  पर थी...

"पापा अब मैं आपसे जो दहेज मेँ मांगू वो दोगे ?"

अशोक भाई भारी आवाज मेँ -"हां बेटा", इतना ही बोल सके ।

"तो पापा मुझे वचन दो"
आज के बाद सिगरेट के हाथ नही लगाओगे....

तबांकु, पान-मसाले का व्यसन आज से छोड दोगे।

सब की मोजुदगी मेँ दहेज मेँ बस इतना ही मांगती हूँ ।."

लडकी का बाप मना कैसे करता ?

शादी मे लडकी की विदाई समय कन्या पक्ष को रोते देखा होगा लेकिन

आज तो बारातियो कि आँखो मेँ आँसुओ कि धारा निकल चुकी थी।

मैँ दूर se us beti को लक्ष्मी रुप मे देख रहा था....

रुपये का लिफाफा मैं अपनी जेब से नही निकाल पा रहा था....

साक्षात लक्ष्मी को मैं कैसे लक्ष्मी दूं ??

लेकिन एक सवाल मेरे मन मेँ जरुर उठा,

"भ्रूण हत्या करने वाले लोगो को is जैसी लक्ष्मी मिलेगी क्या" ???

कृपया रोईए नही, आंसू पोछिए और प्रेरणा लीजिये।
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या मत कीजये ये आपकी मर्जी
Please save girls....

Aapko  किसी कि ksm नहीं  h apne kisi khas ki भी नही.....
Agar ye msg aage forward nhi kiya to कोई बात नही.....?

कोई और फॉरवर्ड कर देगा तो फिर आपको वापिस मिलेगा😊

लेकिन पूरा पढ़ने के लिए आपका हार्दिक आभार💐💐💐💐💐m💐💐👏👏👏👏


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