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Monday, February 29, 2016

हे प्रभु हमारा ह्रदय आपके श्री चरणों से जुडे रहें


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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए 



हे प्रभु हमारा ह्रदय आपके श्री चरणों से जुडे रहें
हे जीवन के आधार। सुख स्वरूप सचिदानंद परमेशवर। समस्त संसार में आपने अपनी कृपाओं को बिखेरा हुआ है। हमारा क्षद्धा भरा प्रणाम आपके श्रीचरणों में स्वीकार हो। हे प्रभु। जब हम अपने अंतर्मन में शान्ति स्थापित करते हैं तब हमारे अन्त:स्थ में आपके आनन्द की तरंगें हिलोरें लेने लगती हैं और हमारा रोम-रोम आनन्द से पुलकित होने लगता है। जिससे हमारा व्यवहार रसपूर्ण और प्रेमपूर्ण हो जाता है। हे प्रभु! हमारा ह्रदय आपसे जुडा रहे, हम पर आपकी कृपा बरसती रहे, हमारा मन आपके श्रेचार्नोनें लगा रहे, यह आशीर्वाद हमें अवश्य दो। ताकि हम पर हर दिन नया उजाला, नई उमंगें, नया उल्लास लेकर जीवन के पथ पर अग्रसर हो सकें ! ऐसी हमारे ऊपर कृपा कीजिए। हे दयालु दाता। हमें ऐसा आशीर्वाद दीजिए कि हम प्रत्येक दिन को शुभ अवसर बना सकें। प्रत्येक दिन की चुनौती का सामना करने के लिए हमें ऐसी शक्ति प्रदान कीजिए कि जिससे हम संघर्ष में विजयी हों। हमारे द्वारा संसार में कुछ भी बुरा न हो, प्रेमपूर्ण वातावरण में श्वास ले सकें तथा प्रेम को संपूर्ण संसार में बाँट सकें। हे प्रभु! हमें यह शुभाशीष दीजिए। यही आपसे हमारी विनती है, यही याचना है। इसे स्वीकार कीजिए। 

मरने से पहले

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए 



मरने से पहले मरो मत ज़िंदा रहो खुश होकर मुस्कराते हुए छोटी छोटी खुशीयों से ही आनंद मनाओ ! 

Sunday, February 28, 2016

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-02-27 16:54 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


🌻    
        "एक चुटकी ज़हर रोजाना"

गीता नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद गीता को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली।
गीता और उसकी सास का आये दिन झगडा होने लगा।
दिन बीते, महीने बीते. साल भी बीत गया. न तो सास टीका-टिप्पणी करना छोड़ती और न गीता जवाब देना। हालात बद से बदतर होने लगे। गीता को अब अपनी सास से पूरी तरह नफरत हो चुकी थी. गीता के लिए उस समय स्थिति और बुरी हो जाती जब उसे भारतीय परम्पराओं के अनुसार दूसरों के सामने अपनी सास को सम्मान देना पड़ता। अब वह किसी भी तरह सास से छुटकारा पाने की सोचने लगी.
एक दिन जब गीता का अपनी सास से झगडा हुआ और पति भी अपनी माँ का पक्ष लेने लगा तो वह नाराज़ होकर मायके चली आई।
गीता के पिता आयुर्वेद के डॉक्टर थे. उसने रो-रो कर अपनी व्यथा पिता को सुनाई और बोली – "आप मुझे कोई जहरीली दवा दे दीजिये जो मैं जाकर उस बुढ़िया को पिला दूँ नहीं तो मैं अब ससुराल नहीं जाऊँगी…"
बेटी का दुःख समझते हुए पिता ने गीता के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा – "बेटी, अगर तुम अपनी सास को ज़हर खिला कर मार दोगी तो तुम्हें पुलिस पकड़ ले जाएगी और साथ ही मुझे भी क्योंकि वो ज़हर मैं तुम्हें दूंगा. इसलिए ऐसा करना ठीक नहीं होगा."
लेकिन गीता जिद पर अड़ गई – "आपको मुझे ज़हर देना ही होगा …. अब मैं किसी भी कीमत पर उसका मुँह देखना नहीं चाहती !"
कुछ सोचकर पिता बोले – "ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी। लेकिन मैं तुम्हें जेल जाते हुए भी नहीं देख सकता इसलिए जैसे मैं कहूँ वैसे तुम्हें करना होगा ! मंजूर हो तो बोलो ?"
"क्या करना होगा ?", गीता ने पूछा.
पिता ने एक पुडिया में ज़हर का पाउडर बाँधकर गीता के हाथ में देते हुए कहा – "तुम्हें इस पुडिया में से सिर्फ एक चुटकी ज़हर रोज़ अपनी सास के भोजन में मिलाना है।
कम मात्रा होने से वह एकदम से नहीं मरेगी बल्कि धीरे-धीरे आंतरिक रूप से कमजोर होकर 5 से 6 महीनों में मर जाएगी. लोग समझेंगे कि वह स्वाभाविक मौत मर गई."
पिता ने आगे कहा -"लेकिन तुम्हें बेहद सावधान रहना होगा ताकि तुम्हारे पति को बिलकुल भी शक न होने पाए वरना हम दोनों को जेल जाना पड़ेगा ! इसके लिए तुम आज के बाद अपनी सास से बिलकुल भी झगडा नहीं करोगी बल्कि उसकी सेवा करोगी।
यदि वह तुम पर कोई टीका टिप्पणी करती है तो तुम चुपचाप सुन लोगी, बिलकुल भी प्रत्युत्तर नहीं दोगी ! बोलो कर पाओगी ये सब ?"
गीता ने सोचा, छ: महीनों की ही तो बात है, फिर तो छुटकारा मिल ही जाएगा. उसने पिता की बात मान ली और ज़हर की पुडिया लेकर ससुराल चली आई.
ससुराल आते ही अगले ही दिन से गीता ने सास के भोजन में एक चुटकी ज़हर रोजाना मिलाना शुरू कर दिया।
साथ ही उसके प्रति अपना बर्ताव भी बदल लिया. अब वह सास के किसी भी ताने का जवाब नहीं देती बल्कि क्रोध को पीकर मुस्कुराते हुए सुन लेती।
रोज़ उसके पैर दबाती और उसकी हर बात का ख़याल रखती।
सास से पूछ-पूछ कर उसकी पसंद का खाना बनाती, उसकी हर आज्ञा का पालन करती।
कुछ हफ्ते बीतते बीतते सास के स्वभाव में भी परिवर्तन आना शुरू हो गया. बहू की ओर से अपने तानों का प्रत्युत्तर न पाकर उसके ताने अब कम हो चले थे बल्कि वह कभी कभी बहू की सेवा के बदले आशीष भी देने लगी थी।
धीरे-धीरे चार महीने बीत गए. गीता नियमित रूप से सास को रोज़ एक चुटकी ज़हर देती आ रही थी।
किन्तु उस घर का माहौल अब एकदम से बदल चुका था. सास बहू का झगडा पुरानी बात हो चुकी थी. पहले जो सास गीता को गालियाँ देते नहीं थकती थी, अब वही आस-पड़ोस वालों के आगे गीता की तारीफों के पुल बाँधने लगी थी।
बहू को साथ बिठाकर खाना खिलाती और सोने से पहले भी जब तक बहू से चार प्यार भरी बातें न कर ले, उसे नींद नही आती थी।
छठा महीना आते आते गीता को लगने लगा कि उसकी सास उसे बिलकुल अपनी बेटी की तरह मानने लगी हैं। उसे भी अपनी सास में माँ की छवि नज़र आने लगी थी।
जब वह सोचती कि उसके दिए ज़हर से उसकी सास कुछ ही दिनों में मर जाएगी तो वह परेशान हो जाती थी।
इसी ऊहापोह में एक दिन वह अपने पिता के घर दोबारा जा पहुंची और बोली – "पिताजी, मुझे उस ज़हर के असर को ख़त्म करने की दवा दीजिये क्योंकि अब मैं अपनी सास को मारना नहीं चाहती … !
वो बहुत अच्छी हैं और अब मैं उन्हें अपनी माँ की तरह चाहने लगी हूँ!"
पिता ठठाकर हँस पड़े और बोले – "ज़हर ? कैसा ज़हर ? मैंने तो तुम्हें ज़हर के नाम पर हाजमे का चूर्ण दिया था … हा हा हा !!!"
"बेटी को सही रास्ता दिखाये,
माँ बाप का पूर्ण फर्ज अदा करे"

🎌🙏🏻🎌


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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-02-28 8:31 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


✒🔴 शरीर में रौंगटे खड़े कर देने वाली कविता,,,

    🔴🎷 🌺  माँ की इच्छा  🌺 🎷🔵

   महीने बीत जाते हैं ,
   साल गुजर जाता है ,
   वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर ,
   मैं तेरी राह देखती हूँ।

                   आँचल भीग जाता है ,
                   मन खाली खाली रहता है ,
                   तू कभी नहीं आता ,
                   तेरा मनि आर्डर आता है।

                               इस बार पैसे न भेज ,
                               तू खुद आ जा ,
                               बेटा मुझे अपने साथ ,
                               अपने 🏡 घर लेकर जा।

    तेरे पापा थे जब तक ,
    समय ठीक रहा कटते ,
    खुली आँखों से चले गए ,
    तुझे याद करते करते।

               अंत तक तुझको हर दिन ,
               बढ़िया बेटा कहते थे ,
               तेरे साहबपन का ,
               गुमान बहुत वो करते थे।

                            मेरे ह्रदय में अपनी फोटो ,
                            आकर तू देख जा ,
                            बेटा मुझे अपने साथ ,
                            अपने 🏡 घर लेकर जा।

   अकाल के समय ,
   जन्म तेरा हुआ था ,
   तेरे दूध के लिए ,
   हमने चाय पीना छोड़ा था।

               वर्षों तक एक कपडे को ,
               धो धो कर पहना हमने ,
               पापा ने चिथड़े पहने ,
               पर तुझे स्कूल भेजा हमने।

                         चाहे तो ये सारी बातें ,
                         आसानी से तू भूल जा ,
                         बेटा मुझे अपने साथ ,
                         अपने 🏡 घर लेकर जा।

🏡 घर के बर्तन मैं माँजूंगी ,
      झाडू पोछा मैं करूंगी ,
      खाना दोनों वक्त का ,
      सबके लिए बना दूँगी।

            नाती नातिन की देखभाल ,
            अच्छी तरह करूंगी मैं ,
            घबरा मत, उनकी दादी हूँ ,
            ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।

                            तेरे 🏡 घर की नौकरानी ,
                            ही समझ मुझे ले जा ,
                            बेटा मुझे अपने साथ ,
                            अपने 🏡 घर लेकर जा।

   आँखें मेरी थक गईं ,
   प्राण अधर में अटका है ,
   तेरे बिना जीवन जीना ,
   अब मुश्किल लगता है।

                 कैसे मैं तुझे भुला दूँ ,
                 तुझसे तो मैं माँ हुई ,
                 बता ऐ मेरे कुलभूषण ,
                 अनाथ मैं कैसे हुई ?

                           अब आ जा तू मेरी कब्र पर ,
                           एक बार तो माँ कह जा ,
                           हो सके तो जाते जाते ,
                           वृद्धाश्रम गिराता जा।

🌹🌹🌹💠🌹💠🌹🌹🌹
आप के whatsapp  पे जो भी add है कृपया 1 बार जरूर भेजे !
👌🏻 शायद आपकी कोशिश से कोई " माँ " अपने 🏡 घर चली जाये ....

     🙏🏼धन्यवाद .....


Friday, February 26, 2016

जीवन में


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए 



जीवन में सफ़लता का मन्त्र है संकल्प। 

Thursday, February 25, 2016

बच्चों को भले ही



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को और सब को  आशीर्वाद देते हुए



बच्चों को भले ही आप धन- दौलत और सम्पत्ति मत दो, किन्तु उन्हें अच्छे संस्कार अवश्य दो।

Wednesday, February 24, 2016

तिजोरियों में

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परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए 



तिजोरियों में धन कैद किया जा सकता है खुशियां नहीं !

Monday, February 22, 2016

दुःखी रहना



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए 


दुःखी रहना भी एक आदत है। हँसते मुस्कराते रहना भी एक आदत है। यदि आदत बनानी है तो 
हँसते मुस्कराते रहने की बनाओ। 

Sunday, February 21, 2016

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-02-20 18:29 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


एक बार एक कुत्ते और गधे के बीच शर्त लगी कि जो जल्दी से जल्दी दौडते हुए दो गाँव आगे रखे एक सिंहासन पर बैठेगा...
वही उस सिंहासन का अधिकारी माना जायेगा, और राज करेगा.

जैसा कि निश्चित हुआ था, दौड शुरू हुई.

कुत्ते को पूरा विश्वास था कि मैं ही जीतूंगा.

क्योंकि ज़ाहिर है इस गधे से तो मैं तेज ही दौडूंगा.

पर अागे किस्मत में क्या लिखा है ... ये कुत्ते को मालूम ही नही था.

शर्त शुरू हुई .

कुत्ता तेजी से दौडने लगा.

पर थोडा ही आगे गया न गया था कि अगली गली के कुत्तों ने उसे लपकना ,नोंचना ,भौंकना शुरू किया.

और ऐसा हर गली, हर चौराहे पर होता रहा..

जैसे तैसे कुत्ता हांफते हांफते सिंहासन के पास पहुंचा..

तो देखता क्या है कि गधा पहले ही से सिंहासन पर विराजमान है.

तो क्या...!  
   गधा उसके पहले ही वहां पंहुच चुका था... ?

और शर्त जीत कर वह राजा बन चुका था.. !

और ये देखकर

निराश हो चुका कुत्ता बोल पडा..

अगर मेरे ही लोगों ने मुझे आज पीछे न खींचा होता तो आज ये गधा इस सिंहासन पर न बैठा होता ...

तात्पर्य ...

१. अपने लोगों को काॅन्फिडेंस में लो.

२. अपनों को आगे बढने का मौका दो,  उन्हें मदद करो.

३. नही तो कल बाहरी गधे हम पर राज करने लगेंगे.

४. पक्का विचार और आत्म परीक्षण करो.

⭐जो मित्र आगे रहकर होटल के बिल का पेमेंट करतें हैं, वो उनके पास खूब पैसा है इसलिये नही ... ⭐

⭐बल्कि इसलिये.. कि उन्हें मित्र  पैसों से अधिक प्रिय हैं ⭐

⭐ऐसा नही है कि जो हर काम में आगे रहतें हैं वे मूर्ख होते हैं, बल्कि उन्हें अपनी जवाबदारी का एहसास हरदम बना रहता है इसलिये  ⭐

⭐जो लडाई हो चुकने पर पहले क्षमा मांग लेतें हैं, वो इसलिये नही, कि वे गलत थे... बल्कि उन्हें अपने लोगों की परवाह होती है इसलिये.⭐

⭐जो तुम्हे मदद करने के लिये आगे आतें हैं वो तुम्हारा उनपर कोई कर्ज बाकी है इसलिये नही... बल्कि वे तुम्हें अपना मानतें हैं इसलिये⭐

⭐जो खूब वाट्स एप पोस्ट भेजते रहतें हैं वो इसलिये नही कि वे निरे फुरसती होतें हैं ...
बल्कि उनमें सतत आपके संपर्क में बनें रहने की इच्छा रहती है ... इसलिये ⭐

( आत्मचिंतन करने योग्य पोस्ट है )


Saturday, February 20, 2016

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-02-19 13:10 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


🐪🐪  सौ  ऊंट  🐪🐪
किसी  शहर  में, एक आदमी प्राइवेट  कंपनी  में  जॉब  करता था. वो  अपनी  ज़िन्दगी  से  खुश  नहीं  था, हर  समय  वो  किसी  न  किसी  समस्या  से  परेशान  रहता  था.

एक बार  शहर  से  कुछ  दूरी  पर  एक  महात्मा  का  काफिला  रुका . शहर  में  चारों  और  उन्ही की चर्चा  थी.

बहुत  से  लोग  अपनी  समस्याएं  लेकर  उनके  पास  पहुँचने  लगे,
उस आदमी  ने  भी  महात्मा  के  दर्शन  करने  का  निश्चय  किया.

छुट्टी के दिन  सुबह-सुबह ही उनके  काफिले  तक  पहुंचा . बहुत इंतज़ार  के  बाद उसका  का  नंबर  आया.

वह  बाबा  से  बोला," बाबा , मैं  अपने  जीवन  से  बहुत  दुखी  हूँ, हर  समय  समस्याएं  मुझे  घेरी  रहती  हैं, कभी ऑफिस  की  टेंशन  रहती  है, तो  कभी  घर  पर  अनबन  हो  जाती  है, और  कभी  अपने  सेहत  को  लेकर  परेशान रहता  हूँ ….

बाबा  कोई  ऐसा  उपाय  बताइये  कि  मेरे  जीवन  से  सभी  समस्याएं  ख़त्म  हो  जाएं  और  मैं  चैन  से  जी सकूँ ?

बाबा  मुस्कुराये  और  बोले, " पुत्र, आज  बहुत देर  हो  गयी  है  मैं  तुम्हारे  प्रश्न  का  उत्तर  कल  सुबह दूंगा … लेकिन क्या  तुम  मेरा  एक  छोटा  सा  काम  करोगे …?"

"हमारे  काफिले  में  सौ ऊंट  🐪 हैं,
मैं  चाहता हूँ  कि  आज  रात  तुम  इनका  खयाल  रखो …
जब  सौ  के  सौ  ऊंट 🐪  बैठ  जाएं  तो  तुम   भी  सो  जाना …",

ऐसा कहते  हुए   महात्मा👳  अपने  तम्बू  में  चले  गए ..

अगली  सुबह  महात्मा उस आदमी  से  मिले  और  पुछा, " कहो  बेटा, नींद  अच्छी  आई ."

वो  दुखी  होते  हुए  बोला :
"कहाँ  बाबा, मैं  तो  एक  पल  भी  नहीं  सो  पाया. मैंने  बहुत  कोशिश  की  पर  मैं  सभी  ऊंटों🐪  को  नहीं  बैठा  पाया, कोई  न  कोई  ऊंट 🐪 खड़ा  हो  ही  जाता …!!!

बाबा बोले, " बेटा, कल  रात  तुमने  अनुभव  किया कि  चाहे  कितनी  भी  कोशिश  कर  लो  सारे  ऊंट  🐪 एक  साथ  नहीं  बैठ  सकते …

तुम  एक  को  बैठाओगे  तो  कहीं  और  कोई  दूसरा  खड़ा  हो  जाएगा.

इसी  तरह  तुम एक  समस्या  का  समाधान  करोगे  तो  किसी  कारणवश  दूसरी खड़ी हो  जाएगी ..

पुत्र  जब  तक  जीवन  है  ये समस्याएं  तो  बनी  ही  रहती  हैं … कभी  कम  तो  कभी  ज्यादा …."

"तो  हमें  क्या  करना चाहिए  ?", आदमी  ने  जिज्ञासावश  पुछा.

"इन  समस्याओं  के  बावजूद  जीवन  का  आनंद  लेना  सीखो …

कल  रात  क्या  हुआ ?
1) कई  ऊंट 🐪  रात होते -होते  खुद ही  बैठ  गए,
2) कई  तुमने  अपने  प्रयास  से  बैठा  दिए,
3) बहुत  से  ऊंट 🐪 तुम्हारे  प्रयास  के  बाद  भी  नहीं बैठे … और बाद  में  तुमने  पाया  कि उनमे से कुछ खुद ही  बैठ  गए ….

कुछ  समझे ….??
समस्याएं  भी  ऐसी  ही  होती  हैं..

1) कुछ  तो  अपने आप ही ख़त्म  हो  जाती  हैं ,
2) कुछ  को  तुम  अपने  प्रयास  से  हल  कर लेते  हो …
3) कुछ  तुम्हारे  बहुत  कोशिश  करने  पर   भी  हल  नहीं  होतीं ,

ऐसी  समस्याओं  को   समय  पर  छोड़  दो … उचित  समय  पर  वे खुद  ही  ख़त्म  हो  जाती  हैं.!!

जीवन  है, तो  कुछ समस्याएं रहेंगी  ही  रहेंगी …. पर  इसका  ये  मतलब  नहीं  की  तुम  दिन  रात  उन्ही  के  बारे  में  सोचते  रहो …

समस्याओं को  एक  तरफ  रखो 
और  जीवन  का  आनंद  लो…

चैन की नींद सो …

जब  उनका  समय  आएगा  वो  खुद  ही  हल  हो  जाएँगी"...

अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम है ...
जिन्दगी का नाम ही
कभी ख़ुशी कभी ग़म है..
😊


Friday, February 19, 2016

ज्यादा बोलकर



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 



ज्यादा बोलकर, कड़वा बोलकर अनिष्ट करने से अच्छा है मौन रहना। 

Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-02-16 19:14 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


[6:58pm, 16/02/2016] ‪+91 87507 38350‬: Dear friends Good morning
Rgds LJP Singh

मेरे एक मित्र श्री ने मुझे भेजा है। आप भी पढे
एंव मनन करे।
कल रात करीब 7 बजे होंगे, शाम को मोबाइल की घंटी बजी, मोबाइल उठाया तो उधर से रोने की आवाज़, मैं तो घबड़ा सा गया  फिर आवाज़ क्लियर हुई मैंने शांत कराया और पूछा की भाभी जी आखिर हुआ क्या,उधर से आवाज़ आई आप कहा है और कितने देर में आप चाणक्यपुरी आ सकते है?
मैंने कहा आप परेशानी बताइये और भाई साहब कहा है, माता जी किधर है ? आखिर हुआ क्या।
लेकिन उधर से केवल एक रट आप आ जाइए। मैंने आश्वाशन दिया क़ि  एक घंटा लगेगा
मैं जूते पहने और निकल गया। जैसे तैसे पूरी घबड़ाहट में पंहुचा। देखा तो भाई साहब (हमारे चंद्रा साहब, जो तीस हज़ारी न्यायालय में जज है ) सामने बैठे हुए है । भाभी जी रोना चीखना कर रही है 13 साल का बेटा रोहन भी परेशान है 9 साल की बेटी भी कुछ नहीं कह पा रही है।
मैंने भाई साहब से पूछा क्या बात है ? भाई साहब कोई जवाव नहीं दे रहे फिर भाभी जी ने कहा ये देखिये तलाक के पेपर । ये कोर्ट से तयार कराके लाये है । मुझे तलाक देना चाहते है । मैंने पूछा ये कैसे हो सकता है । इतनी अच्छी फैमिली है  2 बच्चे है। सब कुछ सेट्ल है। प्रथम दृस्टि में मुझे लगा ये मजाक है लेकिन भाभी जी का रोना और भाई साहब की खामोशी कुछ और ही कह रही थी। मैं सवाल कर रहा हु लेकिन भाई साहव कोई जवाब नहीं दे रहे। मैंने बच्चों से पूछा दादी किधर है । बच्चों ने कहा पापा 3 दिन पहले नॉएडा के बृद्धाश्रम में शिफ्ट कर दिए है।
मैंने घर के नौकर से कहा मुझे और भाई साहब को चाय पिलाओ । कुछ देर में चाय आई। भाई साहब को बहुत कोशिश की पिलाने की लेकिन वो नहीं पिए और कुछ ही देर में वो एक मासूम बच्चे की तरह फूटफूट कर रोने लगे । बोले मैं 3 दिन से कुछ नहीं खाया । मैं अपनी 61 साल की माँ को कुछ लोगो के हवाले करके आया हूँ। पिछले डेढ़ साल से मेरे घर में उनके लिए इतनी मुसीबते हो गई की अम्बिका (भाभीजी) ने कसम खा ली की मै माँ जी का ध्यान नहीं रख सकती । हम लोगो से ज्यादा बेहतर ये ओल्ड ऐज हाउस वाले रखते है। ना अम्बिका उनसे बात करती थी ना मेरे बच्चे । माँ मेरे कोर्ट से आने के बाद खूब रोती थी। नौकर तक भी अपने मन से ब्यवहार करते थे। माँ ने 10 दिन पहले बोल दिया बेटा तू मुझे ओल्ड ऐज हाउस में शिफ्ट कर दे। बहुत कोशिश की पूरे फॅमिली को समझाने की लेकिन किसी ने माँ से सीधे मुह बात नहीं की।

जब मैं 2 साल का था तब पापा की मृत्यु हो गई थी। दूसरे के घरो में काम करके मुझे पढ़ाया मुझे इस काबिल बनाया की आज मैं अपनी सोच के मुताबिक जी सकू। लोग बताते है माँ कभी दूसरो के घरो में काम करते वक़्त भी मुझे अकेला नहीं छोड़ती थी। उस माँ को मैं ओल्ड ऐज हाउस में शिफ्ट करके आया हूँ।
  पिछले 3 दिनों से मैं अपनी माँ के एक एक दुःख को याद करके तड़प रहा हूँ  जिसको उसने केवल मेरे लिए उठाया । मुझे आज भी याद है जब मैं 10th के परीक्षा में अपीयर होने वाला था, माँ मेरे साथ रात रात भर बैठी रहती । एक बार माँ को बहुत फीवर हुआ मैं स्कूल से आया था उसका शरीर गर्म था, तप रहा था । मैं जब माँ के गले लगा तो लगने नहीं दी फिर भी मैं उनको पकड़ लिया  , मैंने कहा माँ तुझे फीवर है हँसते हुए बोली अभी खाना बना रही थी इसलिए गर्म है। लोगो से उधार मांग कर मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी तक पढ़ाया । मुझे ट्यूशन तक नहीं पढाने देती की कही मेरा टाइम ख़राब ना हो जाए। कहते कहते रोने लगे और बोले जब ऐसी माँ के हम नहीं हो सके तो मैं अपने बीबी और बच्चों के क्या होंगे। जिनके शरीर के टुकड़े है अगर हम उनको ऐसे लोगो के हवाले कर आये जो उनकी आदत, उनकी बिमारी, उनके किसी चीज़ को नहीं जानते ।जब मैं ऐसी माँ के लिए कुछ नहीं कर सकता तो मैं किसी और के लिए क्या कर सकता हूँ।
आज़ादी अगर इतनी प्यारी है और माँ इतनी बोझ लग रही है तो मैं पूरी आज़ादी देना चाहता हूँ। जब मैं बिना बाप के पल गया तो ये बच्चे भी पल जाएंगे । इसीलिए मैं तलाक देना चाहता हूँ और सारी प्रॉपर्टी इन लोगो के हवाले करके उस ओल्ड ऐज हाउस में रहूँगा । कम से कम मैं माँ के साथ  रह तो सकता हूँ और अगर इतना करके माँ आश्रम में रहने के लिए मजबूर है तो एक दिन मुझे भी जाना ही पडेगा। माँ के साथ रहते रहते आदत भी हो जायेगी। माँ की तरह तकलीफ तो नहीं होगी। जितना बोलते उससे भी ज्यादा रो रहे थे। बात करते करते रात के 12:30 हो गए। भाभी जी के चेहरे को देखा उनके भाव भी प्राश्चित और ग्लानि से भरे हुए थे। मैंने ड्राईवर को बोला अभी हम लोग नॉएडा जाएंगे भाभी जी और बच्चे समेत हम लोग नॉएडा पहुचे। बहुत रिक्वेस्ट करने पर गेट खुला भाई साहब उस गेटकीपर के पैर पकड़ लिए, बोले मेरी माँ है, मैं उसको लेने आया हूँ। चौकीदार ने कहा क्या करते हो साहब,
भाई साहब ने कहा मैं जज हूँ। उस चौकीदार ने कहा जहा सारे सबूत सामने है तब तो आप अपने माँ के साथ न्याय नहीं कर पाये औरो के साथ क्या न्याय करते होन्गे साहब। इतना कहकर हमलोगो को वही रोक कर वह अंदर चला गया। अंदर से एक महिला आई जो वार्डेन थी। उसने भी उस समय किसी फॉर्मेल्टीस को करने से मना कर दिया। उसने इतने कातर शब्दों में कहा 2 बजे रात को आप लोग ले जाके कही मार दें तो मैं भगवान को क्या जबाब दूंगी। मैंने कहा आप विश्वास करिये । ये लोग बहुत बड़े पश्चाताप में जी रहे है। अंत में किसी तरह उनके कमरे में ले गई ।कमरे में जो दृश्य था, उसको कहने की स्थिति में मैं नहीं हूँ। केवल एक फ़ोटो जिसमे पूरी फॅमिली है और वो भी माँ जी के बगल में जैसे किसी बच्चे को सुला रखा है। मुझे देखा तो उनको लगा शायद बात खुले नहीं और संकोच करने लगी लेकिन जब मैंने कहा हम लोग आप को लेने आये है तो पूरी फॅमिली एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी। आस पास के कमरो में और भी बुजुर्ग थे सबलोग जग कर आ गए और उनकी भी आँखे नम थी। कुछ समय के बाद चलने की तयारी हुई। पूरे आश्रम के लोग बाहर तक आये। किसी तरह हम लोग आश्रम के लोगो को छोड़ पाये ।सब लोग इस आशा में देख रहे थे कि शायद उनको भी कोई लेने आएगा। रास्ते भर बच्चे और भाभी जी तो शांत रहे लेकिन भाई साहब और माता जी एक दूसरे की भावनाओ को अपने पुराने रिश्ते पर बैठा रहे थे।

घर आते आते करीब 3:45 हो गया । सुबह तो शायद इस दुनिया में  सबके लिए था। लेकिन भाई साहब और उनके परिवार का सबेरा सबसे अलग था। माँ जी के कमरे में हम सबने काफी समय गुजारा। भाभी जी भी अपने ख़ुशी की चाभी कहा है ये समझ गई थी। भाई साहब के चेहरे पर ख़ुशी की मुस्कान आने लगी। मुझे भी बिदा लेने का समय हो गया था, मैं चल दिया  लेकिन रास्ते भर वो सारी बाते और दृश्य घूमते रहे और कल उन लोगो ने मेरे लिए डिनर का प्रोग्राम रखा था जाना नही हो पाया लेकिन माँ जी से  बहुत सारी बाते हुई मोबाइल से।
[6:58pm, 16/02/2016] ‪+91 87507 38350‬: इसे शांत चित्त से पढिए।

हर लडकी के लिए प्रेरक कहानी...
और लड़कों के लिए अनुकरणीय शिक्षा...,

कोई भी लडकी की सुदंरता उसके चेहरे से ज्यादा दिल की होती है।
...
...
अशोक भाई ने घर मेँ पैर रखा....'अरी सुनती हो !'

आवाज सुनते ही अशोक भाई की पत्नी हाथ मेँ पानी का गिलास लेकर बाहर आयी और बोली

"अपनी beti का रिश्ता आया है,

अच्छा भला इज्जतदार सुखी परिवार है,
लडके का नाम युवराज है ।
बैँक मे काम करता है।
बस beti  हाँ कह दे तो सगाई कर देते है."

Beti उनकी एकमात्र लडकी थी..

घर मेँ हमेशा आनंद का वातावरण रहता था ।

कभी कभार अशोक भाई सिगरेट व पान मसाले के कारण उनकी पत्नी और beti के साथ कहा सुनी हो जाती लेकिन
अशोक भाई मजाक मेँ निकाल देते ।

Beti खूब समझदार और संस्कारी थी ।

S.S.C पास करके टयुशन, सिलाई काम करके पिता की मदद करने की कोशिश करती ।

अब तो beti ग्रज्येएट हो गई थी और नोकरी भी करती थी
लेकिन अशोक भाई उसकी पगार मेँ से एक रुपया भी नही लेते थे...

और रोज कहते 'बेटी यह पगार तेरे पास रख तेरे भविष्य मेँ तेरे काम आयेगी ।'

दोनो घरो की सहमति से beti  और
युवराज की सगाई कर दी गई और शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया.

अब शादी के 15 दिन और बाकी थे.

अशोक भाई ने beti को पास मेँ बिठाया और कहा-

" बेटा तेरे ससुर से मेरी बात हुई...उन्होने कहा दहेज मेँ कुछ नही लेँगे, ना रुपये, ना गहने और ना ही कोई चीज ।

तो बेटा तेरे शादी के लिए मेँने कुछ रुपये जमा किए है।

यह दो लाख रुपये मैँ तुझे देता हूँ।.. तेरे भविष्य मेँ काम आयेगे, तू तेरे खाते मे जमा करवा देना.'

"OK PAPA" - beti ने छोटा सा जवाब देकर अपने रुम मेँ चली गई.

समय को जाते कहाँ देर लगती है ?

शुभ दिन बारात आंगन में आयी,

पंडितजी ने चंवरी मेँ विवाह विधि शुरु की।
फेरे फिरने का समय आया....

कोयल जैसे कुहुकी हो ऐसे beti दो शब्दो मेँ बोली

"रुको पडिण्त जी ।
मुझे आप सब की उपस्तिथि मेँ मेरे पापा के साथ बात करनी है,"

"पापा आप ने मुझे लाड प्यार से बडा किया, पढाया, लिखाया खूब प्रेम दिया इसका कर्ज तो चुका सकती नही...

लेकिन युवराज और मेरे ससुर जी की सहमति से आपने दिया दो लाख रुपये का चेक मैँ वापस देती हूँ।

इन रुपयों से मेरी शादी के लिए लिये हुए उधार वापस दे देना
और दूसरा चेक तीन लाख जो मेने अपनी पगार मेँ से बचत की है...

जब आप रिटायर होगेँ तब आपके काम आयेगेँ,
मैँ नही चाहती कि आप को बुढापे मेँ आपको किसी के आगे हाथ फैलाना पडे !

अगर मैँ आपका लडका होता तब भी इतना तो करता ना ? !!! "

वहाँ पर सभी की नजर beti  पर थी...

"पापा अब मैं आपसे जो दहेज मेँ मांगू वो दोगे ?"

अशोक भाई भारी आवाज मेँ -"हां बेटा", इतना ही बोल सके ।

"तो पापा मुझे वचन दो"
आज के बाद सिगरेट के हाथ नही लगाओगे....

तबांकु, पान-मसाले का व्यसन आज से छोड दोगे।

सब की मोजुदगी मेँ दहेज मेँ बस इतना ही मांगती हूँ ।."

लडकी का बाप मना कैसे करता ?

शादी मे लडकी की विदाई समय कन्या पक्ष को रोते देखा होगा लेकिन

आज तो बारातियो कि आँखो मेँ आँसुओ कि धारा निकल चुकी थी।

मैँ दूर se us beti को लक्ष्मी रुप मे देख रहा था....

रुपये का लिफाफा मैं अपनी जेब से नही निकाल पा रहा था....

साक्षात लक्ष्मी को मैं कैसे लक्ष्मी दूं ??

लेकिन एक सवाल मेरे मन मेँ जरुर उठा,

"भ्रूण हत्या करने वाले लोगो को is जैसी लक्ष्मी मिलेगी क्या" ???

कृपया रोईए नही, आंसू पोछिए और प्रेरणा लीजिये।
Aur whatsapp per zabardast share kijiye
या मत कीजये ये आपकी मर्जी
Please save girls....

Aapko  किसी कि ksm नहीं  h apne kisi khas ki भी नही.....
Agar ye msg aage forward nhi kiya to कोई बात नही.....?

कोई और फॉरवर्ड कर देगा तो फिर आपको वापिस मिलेगा😊

लेकिन पूरा पढ़ने के लिए आपका हार्दिक आभार💐💐💐💐💐m💐💐👏👏👏👏


WHEN A LIZARD CAN, WHY CAN'T WE?

17/02/2016, 6:09 PM - ‪+91 98903 40380‬: Please take few minutes and read this one. God bless!    WHEN A LIZARD CAN, WHY CAN'T WE?    This is a true story that happened in Japan.     In order to renovate the house, someone in Japan breaks open the wall.     Japanese houses normally have a hollow space between the wooden walls.    When tearing down the walls, he found that there was a lizard stuck there because a nail from outside hammered into one of it's feet.     He sees this, feels pity, and at the same time curious, as when he checked the nail,   it was nailed 5 years ago when the house was first built !!!    What happened?     The lizard has survived in such position for 5 years!!!!!!!!!!     In a dark wall partition for 5 years without moving, it is impossible and mind-boggling.    Then he wondered how this lizard survived for 5 years! without moving a single step--since it's foot was nailed!    So he stopped his work and observed the lizard, what it has been doing, and what and how it has been eating.     Later, not knowing from where it came, appears another lizard, with food in it's mouth.    Ah! He was stunned and touched deeply.     For the lizard that was stuck by nail, another lizard has been feeding it for the past 5 years...     Imagine? it has been doing that untiringly for 5 long years, without giving up hope on it's partner.     Imagine what a small creature can do that a creature blessed with a brilliant mind can't.     Please never abandon your loved ones    Never Say you're Busy When They Really Need You ...    You May Have The Entire World At Your Feet.....    But You Might Be The Only World To Them....     A Moment of negligence might break the very heart which loved you against all odds..    Before you say something just remember..it takes a moment to Break but an entire lifetime to make...  17/02/2016, 6:34 PM - ‪+91 93731 28886‬: Good story

एक इंसान घने जंगल में भागा

8/02/2016, 17:37 - Sangeeta Sharm: एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था।     शाम हो गई थी।     अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया।😁     गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे हैं |    जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे।     इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा।     वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा ?😨    उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था।    हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं।     एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी। उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी।     कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी।     अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया।     तभी उस जंगल से शिव एवं पार्वती अपने वाहन से गुजरे।     पार्वती ने शिव से उसे बचने का अनुरोध किया।     भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा - मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो।   उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं।     एक बूंद, फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार।     आखिर थक-हारकर शिवजी चले गए।    मित्रों..  वह जिस जंगल में जा रहा था,   वह जंगल है 👉🏽दुनिया,   अंधेरा है 👉🏽अज्ञान -  पेड़ की डाली है 👉🏽आयु   दिन-रात रूपी चूहे उसे कुतर रहे हैं।    घमंड का मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है।     शहद की बूंदें सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है.....।     यानी,   सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते......।

Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-02-18 17:44 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था।

शाम हो गई थी।

अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया।😁

गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसे देख रहे हैं |

जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे।

इतने में एक हाथी आया और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा।

वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे भगवान अब क्या होगा ?😨

उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था।

हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां उडऩे लगीं और शहद की बूंदें टपकने लगीं।

एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी। उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी।

कुछ पल बाद फिर शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी।

अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया।

तभी उस जंगल से शिव एवं पार्वती अपने वाहन से गुजरे।

पार्वती ने शिव से उसे बचने का अनुरोध किया।

भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा - मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो।
उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं।

एक बूंद, फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार।

आखिर थक-हारकर शिवजी चले गए।

मित्रों..
वह जिस जंगल में जा रहा था,
वह जंगल है 👉🏽दुनिया,
अंधेरा है 👉🏽अज्ञान -
पेड़ की डाली है 👉🏽आयु
दिन-रात रूपी चूहे उसे कुतर रहे हैं।

घमंड का मदमस्त हाथी पेड़ को उखाडऩे में लगा है।

शहद की बूंदें सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है.....।

यानी,
सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते......।
🙏


Thursday, February 18, 2016

Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-02-18 14:05 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


| बड़ा बनो |

एक बार एक नवयुवक किसी संत के पास पहुँचा. और बोला

"महात्मा जी, मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान हूँ, कृपया मुझे इस परेशानी से निकलने का उपाय बताएं संत बोले, "पानी के ग्लास में एक मुट्ठी नमक डालो और उसे पीयो."

युवक ने ऐसा ही किया.

"इसका स्वाद कैसा लगा?", संत ने पुछा।

"बहुत ही खराब … एकदम खारा." – युवक थूकते हुए बोला.

संत मुस्कुराते हुए बोले,

"एक बार फिर अपने हाथ में एक मुट्ठी नमक लेलो और मेरे पीछे-पीछे आओ." दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी एक झील के सामने रुक गए.

"चलो, अब इस नमक को पानी में दाल दो." संत ने निर्देश दिया।

युवक ने ऐसा ही किया.

"अब इस झील का पानी पियो.", संत बोले.

युवक पानी पीने लगा …,

एक बार फिर संत ने पूछा,

"बताओ इसका स्वाद कैसा है, क्या अभी भी तुम्हे ये खारा लग रहा है?"

"नहीं, ये तो मीठा है, बहुत अच्छा है", युवक बोला.

संत युवक के बगल में बैठ गए और उसका हाथ थामते हुए बोले,

"जीवन के दुःख बिलकुल नमक की तरह हैं;

न इससे कम ना ज्यादा. जीवन में दुःख की मात्रा वही रहती है, बिलकुल वही. लेकिन हम कितने दुःख का स्वाद लेते हैं

ये इस पर निर्भर करता है कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे हैं .

इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते हो कि खुद को बड़ा कर लो …ग़्लास मत बने रहो झील बन जाओ.
🙏❤💐


Tuesday, February 16, 2016

जीवन मैं चार चीज याद रखो


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए


जीवन मैं चार चीज याद रखो 
१] कर्ज :-कर्ज को बढ़ने मत दो !
२] मर्ज :-मर्ज को भी बढ़ने मत दो !
३] फर्ज :- फर्ज को भी भूलो मत फर्ज निभाते जाओ !
४] अर्ज :- अर्ज भगवान् से करते रहो !

जीवन मैं चार चीज याद रखो


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए


जीवन मैं चार चीज याद रखो 
१] कर्ज :-कर्ज को बढ़ने मत दो !
२] मर्ज :-मर्ज को भी बढ़ने मत दो !
३] फर्ज :- फर्ज को भी भूलो मत फर्ज निभाते जाओ !
४] अर्ज :- अर्ज भगवान् से करते रहो !

Friday, February 12, 2016

समय का



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 


समय का उपयोग ऐसे करें कि शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक स्तर पर आप उन्नत हो सकें। 

Thursday, February 11, 2016

कोई तुम्हें महान


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 



कोई तुम्हें महान से महान हाथ भी बड़ा नहीं बना सकता उसके लिए तुम्हेस्वंय ही प्रयास करना होगा। 

Wednesday, February 10, 2016

kamki baten


सीमा में


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 


सीमा में रहकर ही हर कार्य करना उचित है।

Sunday, February 7, 2016

इस मैसेज को गौर से दो बार पढे !

जिस दिन हमारी मोत होती है, हमारा पैसा बैंक में ही रहा जाता है।
*
जब हम जिंदा होते हैं तो हमें लगता है कि हमारे पास खच॔ करने को पया॔प्त धन नहीं है।
*
जब हम चले जाते है तब भी बहुत सा धन बिना खच॔ हुये बच जाता है।
*
एक चीनी बादशाह की मोत हुई। वो अपनी विधवा के लिये बैंक में 1.9 मिलियन डालर छोड़ कर गया। विधवा ने जवान नोकर से शादी कर ली। उस नोकर ने कहा -
"मैं हमेशा सोचता था कि मैं अपने मालिक के लिये काम करता हूँ अब समझ आया कि वो हमेशा मेरे लिये काम करता था।"

सीख?
ज्यादा जरूरी है कि अधिक धन अज॔न कि बजाय अधिक जिया जाय।
• अच्छे व स्वस्थ शरीर के लिये प्रयास करिये।
• मँहगे फ़ोन के 70% फंक्शन अनोपयोगी रहते है।
• मँहगी कार की 70% गति का उपयोग नहीं हो पाता।
• आलीशान मकानो का 70% हिस्सा खाली रहता है।
• पूरी अलमारी के 70% कपड़े पड़े रहते हैं।
• पुरी जिंदगी की कमाई का 70% दूसरो के उपयोग के लिये छूट जाता है।
• 70% गुणो का उपयोग नहीं हो पाता

तो 30% का पूण॔ उपयोग कैसे हो
• स्वस्थ होने पर भी निरंतर चैक अप करायें।
• प्यासे न होने पर भी अधिक पानी पियें।
• जब भी संभव हो, अपना अहं त्यागें ।
• शक्तिशाली होने पर भी सरल रहेँ।
• धनी न होने पर भी परिपूण॔ रहें।

बेहतर जीवन जीयें !!!
💮💮💮💮
काबू में रखें - प्रार्थना के वक़्त अपने दिल को, 
काबू में रखें - खाना खाते समय पेट को,
काबू में रखें - किसी के घर जाएं तो आँखों को,
काबू में रखें - महफ़िल मे जाएं तो ज़बान को, 
काबू में रखें - पराया धन देखें तो लालच को, 
💮💮💮
भूल जाएं - अपनी नेकियों को, 
भूल जाएं - दूसरों की गलतियों को, 
भूल जाएं - अतीत के कड़वे संस्मरणों को, 
💮💮💮
छोड दें - दूसरों को नीचा दिखाना,
छोड दें - दूसरों की सफलता से जलना,
छोड दें - दूसरों के धन की चाह रखना, 
छोड दें - दूसरों की चुगली करना,
छोड दें - दूसरों की सफलता पर दुखी होना,
💮💮💮💮
यदि आपके फ्रिज में खाना है, बदन पर कपड़े हैं, घर के ऊपर छत है और सोने के लिये जगह है,
तो दुनिया के 75% लोगों से ज्यादा धनी हैं

यदि आपके पर्स में पैसे हैं और आप कुछ बदलाव के लिये कही भी जा सकते हैं जहाँ आप जाना चाहते हैं
तो आप दुनिया के 18% धनी लोगों में शामिल हैं

यदि आप आज पूर्णतः स्वस्थ होकर जीवित हैं
तो आप उन लाखों लोगों की तुलना में खुशनसीब हैं जो इस हफ्ते जी भी न पायें

जीवन के मायने दुःखों की शिकायत करने में नहीं हैं
बल्कि हमारे निर्माता को धन्यवाद करने के अन्य हजारों कारणों में है!!!

यदि आप मैसेज को वाकइ पढ़ सकते हैं और समझ सकते हैं
तो आप उन करोड़ों लोगों में खुशनसीब हैं जो देख नहीं सकते और पढ़ नहीं सकते

अगर आपको यह सन्देश बार बार मिले तो परेशान होनेकी
बजाय आपको खुश होना चाहिए !

धन्यवाद...

मैंने भेज दिया 
अब आपकी बाऱी है ।
नींद और मौत में क्या फर्क है...?
किसी ने क्या खूबसूरत जवाब दिया है....

"नींद आधी मौत है"

और

"मौत मुकम्मल नींद है"

जिंदगी तो अपने ही तरीके से चलती है....

औरों के सहारे तो जनाज़े उठा करते हैं।

सुबहे होती है , शाम होती है

उम्र यू ही तमाम होती है ।

कोई रो कर दिल बहलाता है

और

कोई हँस कर दर्द छुपाता है.

क्या करामात है कुदरत की,

ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता है

और मुर्दा तैर के दिखाता है...

बस के कंडक्टर सी हो गयी है
जिंदगी ।

सफ़र भी रोज़ का है और
जाना भी कही नहीं।.....

सफलता के सात भेद, मुझे अपने कमरे के अंदर
ही उत्तर मिल गये !

छत ने कहा : ऊँचे उद्देश्य रखो !

पंखे ने कहा : ठन्डे रहो !

घडी ने कहा : हर मिनट कीमती है !

शीशे ने कहा : कुछ करने से पहले अपने अंदर झांक
लो !

खिड़की ने कहा : दुनिया को देखो !

कैलेंडर ने कहा : Up-to-date रहो !

दरवाजे ने कहा : अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के
लिए पूरा जोर लगाओ !

लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं------
माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं

जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं

खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं

और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..

एक रूपया एक लाख नहीं होता ,

मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता

हम आपके लाखों दोस्तों में बस वही एक रूपया हैं …

संभाल के रखनT , बाकी सब मोह माया है

जो स्वंय अच्छा


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 


जो स्वंय अच्छा नहीं कर सकते वे दूसरों की आलोचना करते रहते हैं। लेकिन जो स्वंय करने में सक्षम हैं वे तो स्वंय करके आदर्श स्थापित करते हैं ।

Saturday, February 6, 2016

अपनी प्रतिष्टा


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 



अपनी प्रतिष्टा को भूलकर ,अकिंचन बनकर गुरू के दर  दर पर सेवा करने से जो प्राप्ति होगी ,उसकी कोई बराबरी नहीं !

अगर आप


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 

अगर आप अपनी दृष्टि में स्वंय को ऊँचा देखना चाहते हो तो ऊँचाई की बात सोचना शुरु कर दीजिए। अपनी कल्पनाओं को ऊँचा उठाइए।




Thursday, February 4, 2016

रोने वाले के



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 

रोने वाले के साथ कोई रोने को तयार नहीं होता हँसने वाले के साथ सब हो जाते हैं !

Wednesday, February 3, 2016

Fwd: Mg


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-01-26 21:19 GMT+05:30
Subject: Mg
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


☺: अनजाने कर्म का फल

एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था ।
राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था ।
उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी ।
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर निकाला ।
तब रसोईया जो लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहा था, उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बूँदें खाने में गिर गई ।
किसी को कुछ पता नहीं चला ।
फल-स्वरूप वह ब्राह्मण जो भोजन करने आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते ही मौत हो गयी ।
अब जब राजा को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से उसे बहुत दुख हुआ ।

ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा .... ???
(1) राजा .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है ....
या
(2 ) रसोईया .... जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है ....
या
(3) वह चील .... जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी ....
या
(4) वह साँप .... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला ....

बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका (Pending) रहा ....

फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ।
उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया पर रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि "देखो भाई ....जरा ध्यान रखना .... वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।"

बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला (decision) ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ।

यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों ??
जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका (role) भी नहीं थी ।
तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो, जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं । पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला .... ना ही उस रसोइया को आनंद मिला .... ना ही उस साँप को आनंद मिला .... और ना ही उस चील को आनंद मिला ।
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला । इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा ।

बस इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से (बुराई) करता हैं तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं ।

अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया .... ??

ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जो बुराई करते ही हमारे खाते में ट्रांसफर हो जाता हैं ....

इसलिये आज से ही संकल्प कर लें कि किसी के भी और किसी भी पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से कभी नहीं करना यानी किसी की भी बुराई या चुगली कभी नहीं करनी हैं ।
लेकिन यदि फिर भी हम ऐसा करते हैं तो हमें ही इसका फल आज नहीं तो कल जरूर भुगतना ही पड़ेगा !!!!
☺: A very deep philosophy of Karma example ☝


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Date: 2016-01-30 11:16 GMT+05:30
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जरूर पढे अच्छा लगे तो शेयर करना न भूले।।
😴😴😴😴😴😴
एक बार एक शहरी परिवार मेले मेँ घुमने
👪👪👪👪👪👪👪
गया, मेले मेँ 1 घंटे तक घुमे,
कि अचानक उनका बेटा मेले मेँ खो गया,
👀👀👀👀👀👀
दोनो पति-पत्नी उसे मेले मेँ बहुत ढ़ुढ़तेहै,
लेकिन लङका नही मिलता...
🙇🙇🙇🙇🙇
लङके कि माँ जोर-जोर से रोने लगती है,
😭😭😭😭😭😭😭😭
बाद मेँ पुलिस को सुचना देतेहै,
👮👮👮👮👮👮👮👮
आधे घण्टे बाद लङका मिल जाता है,
लङके के मिलते ही उसका पति गाँव
का टिकिट लेकर आता है,🚌 🚌 🚌 🚌 🚌
और वो सब बस
मेँ बेठ कर गाँव रवाना हो जाते है,
🙋🙋🙋🙋🙋🙋🙋
तभी पत्नी ने पुछा: हम गाँव
क्यो जा रहे है, अपने घर नही जाना है
क्या...?
😙😙😙😙😙😙😙
तभी उसका पति बोला:"तु तेरी औलाद
के बिना आधा घण्टा नही रह सकती,
😔😔😔😔😔😔😔
तो मेरी माँ गाँव मेँ पिछले 10
साल से मेरे बिना कैसे
जी रही होगी..??
😢😢😢😢😢😢😢😢
माँ-बाप का दिल दु:खाकर आजतक कोई
सुखी नही हुआ.
🎎🎎🎎🎎🎎🎎
कदर करनी है, तो जीतेजी करो,
जनाजा उठाते वक़्त तो नफरत
करने वाले भी रो पड़ते है।।।।।।।
😪😪😪😪😪😪😪😪😪😥😪😪😪😪😪😪
प्लीज सही लगे तो सभी दोस्तो को जरुर भेजना ,
माँ--
माँ तो जन्नत का फूल है,
🌸🌿🌸🍃🌸🌷🍀🌷🌻🌻🌹🌹🌹🌼💐
प्यार करना उसका उसूल है , दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है ,
माँ की हर दुआ कबूल है, माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,

माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है ,
अगर अपनी माँ से है प्यार तो अपने सभी दोस्तो को सेन्ड करे।। वरना ये मेसेज आपके लिये फिजूल है.
❄❄❄❄❄❄❄❄🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵


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Date: 2016-01-30 15:10 GMT+05:30
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एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है?

बुद्ध ने उसे एक Stone दिया और कहा : जा और इस stone का
मूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यान रखना stone को बेचना नही है I

वह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?

संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसे मुझे दे जा"

आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखा और कहा
"एक बोरी आलू ले जा और इस stone को मेरे पास छोड़ जा"

आगे एक सोना बेचने वाले के
पास गया उसे stone दिखाया सुनार उस चमकीले stone को देखकर बोला, "50 लाख मे बेच दे" l

उसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे..

उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू ने इसे बेचने से मना किया है l

आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stone दिखाया l

जौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l

फिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेसकीमती रुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती ये तो बेसकीमती है l"

वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध के पास आया l

अपनी आप बिती बताई और बोला "अब बताओ भगवान , मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?

बुद्ध बोले :

संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे" की बताई l

सब्जी वाले के पास गया उसने इसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई l

आगे सुनार ने "2 करोड़" बताई lऔर जौहरी ने इसे "बेसकीमती" बताया l

अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l

तू बेशक हीरा है..!!लेकिन, सामने वाला तेरी कीमत,
अपनी औकात - अपनी जानकारी - अपनी हैसियत से लगाएगा।

घबराओ मत दुनिया में.. तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।

Respect Yourself,
You are very Unique..👌👌👌👌👌


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Date: 2016-02-01 18:41 GMT+05:30
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एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है?

बुद्ध ने उसे एक Stone दिया और कहा : जा और इस stone का 
मूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यान रखना stone को बेचना नही है I

वह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?

संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसे मुझे दे जा" 

आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखा और कहा 
"एक बोरी आलू ले जा और इस stone को मेरे पास छोड़ जा"

आगे एक सोना बेचने वाले के 
पास गया उसे stone दिखाया सुनार उस चमकीले stone को देखकर बोला, "50 लाख मे बेच दे" l 

उसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे.. 

उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू ने इसे बेचने से मना किया है l

आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stone दिखाया l 

जौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l 

फिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेसकीमती रुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती ये तो बेसकीमती है l"

वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध के पास आया l 

अपनी आप बिती बताई और बोला "अब बताओ भगवान , मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?

बुद्ध बोले :

संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे" की बताई l

सब्जी वाले के पास गया उसने इसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई l

आगे सुनार ने "2 करोड़" बताई lऔर जौहरी ने इसे "बेसकीमती" बताया l

अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l

तू बेशक हीरा है..!!लेकिन, सामने वाला तेरी कीमत, 
अपनी औकात - अपनी जानकारी - अपनी हैसियत से लगाएगा। 

घबराओ मत दुनिया में.. तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।

Respect Yourself,
You are very Unique..


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Date: 2016-02-03 9:20 GMT+05:30
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✴✴✴🔔✴✴✴
             शायद
      बहुत कम लोग
       जानते होंगे की
       प्रसाद का अर्थ
        क्या होता है !!

                🏀🏀🏀
           🏀प्र - प्रभु  के🏀
          🏀सा - साक्षात्🏀
            🏀द - दर्शन🏀
                  🏀🏀

हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है
और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है
उसके पीछे कुछ कारण है ,
अंग्रेजी भाषा में ये
बात देखने में नहीं आती |
______________________
क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय
ध्वनि
कंठ से निकलती है।
एक बार बोल कर देखिये |

च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के
समय जीभ
तालू से लगती है।
एक बार बोल कर देखिये |

ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए,
क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के
मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है।
एक बार बोल कर देखिये |

त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए,
क्योंकि इनके उच्चारण के
समय
जीभ दांतों से लगती है।
एक बार बोल कर देखिये |

प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए,
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के
मिलने
पर ही होता है। एक बार बोल
कर देखिये ।
________________________

हम अपनी भाषा पर गर्व
करते हैं ये सही है परन्तु लोगो को
इसका कारण भी बताईये |
इतनी वैज्ञानिकता
दुनिया की किसी भाषा मे
नही है
जय हिन्द
क,ख,ग क्या कहता है जरा गौर करें....
••••••••••••••••••••••••••••••••••••
क - क्लेश मत करो
ख- खराब मत करो
ग- गर्व ना करो
घ- घमण्ड मत करो
च- चिँता मत करो
छ- छल-कपट मत करो
ज- जवाबदारी निभाओ
झ- झूठ मत बोलो
ट- टिप्पणी मत करो
ठ- ठगो मत
ड- डरपोक मत बनो
ढ- ढोंग ना करो
त- तैश मे मत रहो
थ- थको मत
द- दिलदार बनो
ध- धोखा मत करो
न- नम्र बनो
प- पाप मत करो
फ- फालतू काम मत करो
ब- बिगाङ मत करो
भ- भावुक बनो
म- मधुर बनो
य- यशश्वी बनो
र- रोओ मत
ल- लोभ मत करो
व- वैर मत करो
श- शत्रुता मत करो
ष- षटकोण की तरह स्थिर रहो
स- सच बोलो
ह- हँसमुख रहो
क्ष- क्षमा करो
त्र- त्रास मत करो
ज्ञ- ज्ञानी बनो !!

कृपया इस ज्ञान की जानकारी सभी को अग्र प्रेषित करें ।


Tuesday, February 2, 2016

भगवान ने



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको  को आशीर्वाद देते हुए 


भगवान ने आपको दुनियाँ के लाखों करोड़ो लोगों से अलग बनाया है, वह हर किसी से कुछ अलग ही चाहता है, कुछ खास