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- एक बूढी मां थी , वह सुबह उठकर न नहाती थी न स्वच्छ होती थी , भगवान की पूजा करती ,उनको भोग लगाती फिर ख़ुद खाती थी ! एक दिन उसके यहाँ एक पंडितजी आए और यह सब देख कर कहने लगे की बूढी माता यह क्या अधर्म करती हो ,नहा धोकर भगवान का भोग लगाया करो !
- बूढी मां ने उस के अगले दिन से नहा धो कर भगवान् का भोग लगाना शुरू किया जिस में उसको ११-१२ बजाने लगे !
- अगले दिन भगवान् पंडित के स्वप्न में आए और बोले की मेंने तेरा क्या बिगाडा हे जो तू मुझे भूका मारने लगा -पंडित ने पूछा कैसे भगवन -भगवान् ने कहा की तू ने बूढी मां को क्या पाठ कर आया हे ,पहले वह मुझे सुबह ही खाना खिलाती थी अब तो १२ बज जाते हें उसको नहा धों कर भोग लगाने में !
- पंडितजी अगले दिन बूढी मां के घर गए और कहा मां तू जैसे पहले करती थी वैसे ही करा कर बिना नहाए ही भगवान् का भोग लगाती रह ! में ने ग़लत बात बता दी थी तुझको !
- इस का मतलब यह की भगवान् प्यार के भूखे हें आडंबर के नही ! आपके भाव को देखते हें !
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