From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2014-12-24 5:33 GMT-08:00
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
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भूले
एक बार एक शहरी परिवार मेले मेँ घुमने
गया, मेले मेँ 1 घंटे तक घुमे
कि अचानक उनका बेटा मेले मेँ
खो गया,
दोनो पति-पत्नी ने मेले मेँ बहुत ढ़ुढ़ते
है, लेकिन लङका नही मिलता है,
लङके कि माँ जोर-जोर से रोने
लगती है, बाद मेँ पुलिस को सुचना देते
है,
आधे घण्टे बाद लङका मिल जाता है,
लङके के मिलते ही उसका पति गाँव
का टिकिट लेकर आता है,और वो सब बस
मेँ बेठ कर गाँव रवाना हो जाते है,
तभी पत्नी ने पुछा: हम गाँव
क्यो जा रहे है, अपने घर नही जाना है
क्या...?
तभी उसका पति बोला:"तु तेरी औलाद
के बिना आधा घण्टा नही Rah
सकती,तो मेरी माँ गाँव मेँ पिछले 10
साल से मेरे बिना कैसे
जी रही होगी..??
माँ-बाप का दिल दु:खाकर आजतक कोई
सुखी नही हुआ.
कदर करनी है, तो जीतेजी करो,
जनाजा उठाते वक़्त तो नफरत
करने वाले भी रो पड़ते है ।
प्लीज सही लगे तो सभी दोस्तो को जरुर भेजना ,
मां--
मां तो जन्नत का फूल है, प्यार करना उसका उसूल है , दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है ,
मां की हर दुआ कबूल है , मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है ,
मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है ,
अगर अपनी मां से है प्यार तो अपने सभी दोस्तो सेन्ड करे वरना ये मेसेज आपके लिये फिजूल है.
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