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Anil Singh <
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Date: Thursday, October 9, 2014
Subject: [Sarathi] प्रेरक प्रसंग :
To: Sarathi <
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| प्रेरक प्रसंग : महानता की परिभाषा चीन के महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस से कई लोग मिलने आते और उनसे प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा शांत करते। एक बार एक राजा ने उनसे कई प्रश्न पूछे। इसमें एक सवाल था, 'क्या ऐसा कोई व्यक्ति है जो महान हो लेकिन उसे कोई जानता न हो?' कन्फ्यूशियस मुस्करा कर बोले, 'हम बहुत से महान लोगों को नहीं जानते। दुनिया में अनेक ऐसे साधारण लोग हैं जो वास्तव में महान व्यक्तियों से भी महान हैं।' राजा ने आश्चर्य से कहा, 'ऐसा कैसे हो सकता है?' कन्फ्यूशियस बोले, 'मैं आपको आज एक ऐसे ही व्यक्ति से मिलवाऊंगा।' वे दोनों एक गांव की ओर चल पड़े। कुछ दूर जाने के बाद एक वृद्ध नज़र आया। वह पेड़ के नीचे कुछ घड़े लेकर बैठा हुआ था। उन दोनों ने उस बूढ़े व्यक्ति से पानी मांग कर पिया, फिर चने भी खाए। घड़े का ठंडा पानी पीने और चने खाने से दोनों को गर्मी से राहत मिली। जब राजा वृद्ध को चने के दाम देने लगा तो वह बोला, 'राजन, मैं कोई दुकानदार नहीं हूं। मैं तो एक छोटा सा प्रयास कर रहा हूं जो इस उम्र में कर सकता हूं। मेरा बेटा चने का व्यवसाय करता है। घर में अकेले बैठे मन नहीं लगता, इसलिए चने और पानी लेकर यहां बैठा हूं।जब मैं आने-जाने वाले लोगों को ठंडा पानी पिलाता और चने खिलाता हूं तो मुझे अद्भुत तृप्ति व शांति मिलती है। इस तरह मेरा समय भी कट जाता है।' कन्फ्यूशियस ने राजा से कहा, 'देखा राजन, इसकी सोच इसे महान बनाती है। केवल बड़ी-बड़ी बातों से कोई महान नहीं बनता।सचमुच महान वही है जो दूसरों के लिए अपना जीवन लगा दे।' राजा ने वृद्ध को धन्यवाद दिया। https://www.facebook.com/anilsinghsudhamrut |
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