Chandan Kumar Nandy
लोभ पर जीत
कपिल नामक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता था। वह उसकी हर इच्छा पूरी करना चाहता था लेकिन निर्धनता के कारण ऐसा नहीं कर पाता था। एक बार त्योहार के मौके पर पत्नी ने आभूषण पहनने की इच्छा जताई तो वह परेशान हो उठा। उसने सुना था कि राजा बहुत दानवीर है। जो ब्राह्मण सुबह-सुबह सबसे पहले उसके द्वार पर जाता है उसे वह 2 तोला सेना देता है। कपिल राजा के यहां सबसे पहले पहुंचने के लिए आधी रात को ही घर से चल पड़ा। सिपाहियों ने उसे चोर समझकर पकड़ लिया और सुबह होने पर राजा के सामने पेश कर दिया।
राजा के पूछने पर कपिल ने पूरी बात सच-सच बता दी। राजा ने उसकी सरलता से प्रभावित होकर मनचाही वस्तु मांगने के लिए कहा। कपिल सोचने लगा कि 2 तोला सोना क्या मांगूं, 200 अशर्फी मांग लेता हूं, फिर अचानक खयाल आया कि 2 हजार मोहरें मांग लेता हूं ताकि रोज- रोज मांगने से छुटकारा मिले। आखिर में उसकी सोच लाखों-करोड़ों तक पहुंच गई। अंत में वह आधा राज्य ही मांगने जा रहा था कि उसे कुछ बोध हुआ और अपने लोभ से उसे घृणा हो गई। राजा ने फिर पूछा तो उसने कहा, 'महाराज मुझे जो चाहिए था वह मिल गया। '
राजा ने आश्चर्य से पूछा, ' लेकिन आपको तो मैंने कुछ दिया ही नहीं।'
' महाराज आज मैंने लोभ पर जीत हासिल कर ली। इससे बड़ी चीज और क्या होगी।'
राजा ने आश्चर्य से पूछा, ' लेकिन आपको तो मैंने कुछ दिया ही नहीं।'
' महाराज आज मैंने लोभ पर जीत हासिल कर ली। इससे बड़ी चीज और क्या होगी।'
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