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Saturday, May 26, 2012

§ कर्म का फल §


Kiran Agarwaal 25 May 08:49
§ कर्म का फल §
एक ठेकेदार के यहां हजारों मजदूर काम करते थे। एक बार मजदूरों ने हड़ताल कर दी। महीनों हड़ताल चलती रही। नतीजतनमजदूर रोजी-रोटी के लिए दूसरी बस्तियों में चले गए, लेकिन दूसरी बस्तियों के गरीब मजदूर इस बस्ती में आ पहुंचे। ठेकेदार नित्य ही ऎसे लोगों की तलाश में रहता था, जो उसके ठेके का काम पूरा कर सकें। एक दिन वह बस्ती के चौराहे पर आकर खड़ा हो गया। तभी एक मजदूर कंधे पर कुदाली रखेवहां आया। ठेकेदार ने उससे पूछा- "क्या मजदूरी लेगा?" मजदूर ने कहा- "बारह आने।" ठेकेदार ने उससे कहा- "अच्छा दूंगा, जाकर मेरे ईटों के भटे के लिए मिट्टी खोदो। इसके बाद एक दूसरा मजदूर आया। ठेकेदार ने उससे भी मजदूरी पूछी। वह बोला-"तीन रूपए।" ठेकेदार ने उसे खान में कोयला खोदने भेज दिया। तीसरे मजदूर ने बड़े ताव से दस रूपए अपनी मजदूरी बताई। ठेकेदारने उसे हीरे की खान में भेज दिया।
शाम को तीनों मजदूरी लेने पहुंचे। पहले ने सौ टोकरी मिट्टी खोदी। दूसरे ने दस मन कोयला निकाला और तीसरे को एक हीरा मिला। तीनों के हाथ पर जब मजदूरी रखी गई तो पहला मजदूर तीसरे मजदूर के हाथ में दस रूपए देखकर नाराज होने लगा। तब ठेकेदार बोला- "तुम्हारी मजदूरीतुमने ही तय की थी। जिसमें जितनीशक्ति और इच्छा थी, उसने उतनी मजदूरी बताई। सभी ने काम भी उसी के अनुरूप किया है।" यह सुनकर पहला मजदूर चुप हो गया। सार यह है कि शक्ति ही जीवन है। दृढ़ विचारों को हमें अपनाकर तदनुकूलकर्म करना चाहिए

Sunday, May 6, 2012

मिल कर काम करना

एक बार नेपोलियन घोड़े पर जा रहे थे ,रास्ते मैं एक पुल बन रहा था ! कुछ मजदूर एक लोहे का खम्भा उठाने की कोशिश कर रहे थे !मगर वह उठ नहीं रहा  था !वह कह रहे थे की दो आदमी और होते तो उठ जाता !ठेकेदार खडा देख रहा था !नेपोलियन घोड़े से उतरे और ठेकेदार से कहा चलो हम दोनों लग जाते हैं ! ठेकेदार ने कहा मैं ठेकेदार हूँ यह काम नही कर सकता ! नेपोलियन ने कहा क्यों नहीं कर सकते उसने कहा तुमहो कौन ,नेपोलियन ने कहा मैं नेपोलियन हूँ !यह सुन कर वह बेहोश हो गया !नेपोलियन ने उसके मुहं पर पानी छिड़का जब वह होश मैं आया  तो उसको समझाया मिल कर काम करना अच्छी बात होती है !फिर दोनों ने मिल कर मजदूरों की सहायेता की और काम पूरा हो गया !