From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: Fri, Feb 24, 2017 at 12:20 PM
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To: mggarga@gmail.com
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collection of Kahaneeyan from the Pravachan of Parampujy Guruji Acharya Sudhanshuji Maharaj & HIS books etc
"जीवन में कभी ऐसी घडियाँ भी आती है जब शब्द रुक जाते है, वाणी रुन्ध जाती है आप भाव विभोर होकर ईश्वर का धन्यवाद करना चाहते है, मगर वाणी साथ नहीं देती।
रोएं रोएं में कम्पन आ जाए, कुछ कह न पाएं , समझ न आए क्या कहुं ? मगर आभार व्यक्त करने का भाव जागृत हो जाए – वह प्रेम की अभिव्यक्ति है। भगवान की कृपाओं
के लिए जब शब्द न मिलें , होंठ हिलते रहें "प्रभु कैसे पुकारुं, क्या नाम दूं, किन शब्दों में तेरी प्रार्थना करुं। बुद्धि भी काम नहीं करती, बस तू मेरा है –केवल मेरा है" जब शब्द
मिल न पाएँ और आप कहना चाहते हों यह स्वरुप है प्रेम का। प्रेम में आप शब्द नहीं कह पाते, पर आपकी क्रियाओं में प्रेम है।"
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परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज