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Monday, November 30, 2015

पैसा




परम पूज्य सुधांशुजी महारा


पैसा ही सब कुछ नहीं है ,उसके पीछे मत् भागो !

Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2015-11-30 9:32 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


एक बार एक अजनबी किसी के घर
गया। वह अंदर
गया और मेहमान कक्ष मे बैठ गया। वह
खाली हाथ
आया था तो उसने सोचा कि कुछ
उपहार देना अच्छा रहेगा।
तो
उसने वहा टंगी एक पेन्टिंग उतारी
और जब घर का मालिक
आया, उसने पेन्टिंग देते हुए कहा, यह मै
आपके लिए
लाया हुँ। घर का मालिक, जिसे पता
था कि यह मेरी चीज
मुझे ही भेंट दे रहा है, सन्न रह गया !!!!!
अब आप ही बताएं कि क्या वह भेंट
पा कर, जो कि पहले
से ही उसका है, उस आदमी को खुश
होना चाहिए ??
मेरे ख्याल से नहीं....
लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ
भी करते है। हम
उन्हे रूपया, पैसा चढाते है और हर चीज
जो उनकी ही बनाई
है, उन्हें भेंट करते हैं! लेकिन
मन मे भाव रखते है की ये चीज मै
भगवान को दे रहा हूँ!
और सोचते हैं कि ईश्वर खुश हो
जाएगें। मूर्ख है हम!
हम यह नहीं समझते कि उनको इन सब
चीजो कि जरुरत
नही। अगर आप सच मे उन्हे कुछ देना
चाहते हैं
तो अपनी श्रद्धा दीजिए, उन्हे अपने
हर एक श्वास मे याद
कीजिये और
विश्वास मानिए प्रभु जरुर खुश
होगा !!
अजब हैरान हूँ भगवन
तुझे कैसे रिझाऊं मैं;
कोई वस्तु नहीं ऐसी
जिसे तुझ पर चढाऊं मैं ।
भगवान ने जवाब दिया :" संसार की
हर वसतु तुझे मैनें दी है। तेरे पास अपनी
चीज सिरफ तेरा अहंकार है, जो मैनें
नहीं दिया ।
उसी को तूं मेरे अरपण कर दे। तेरा
जीवन सफल हो
अगर इतना पढ़ने के बाद भी शेयर ना
करो तो बेकार है मेरा पोस्ट करना ।।
-


Sunday, November 29, 2015

अपने आप

अपने आप को आलोचना करके निराश मत करो।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Saturday, November 28, 2015

अपने अंहकार




अपने अंहकार का परित्याग करो। विनम्रता अपना लो।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज


एक गिलहरी रोज अपने

+91 99140 70715‬: एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय  से आती थी और अपना काम पूर्ण मेहनत  तथा ईमानदारी से करती थी !  गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के  भी खूब खुश थी क्यों कि उसके मालिक .......  जंगल के राजा शेर नें उसे दस बोरी अखरोट  देने का वादा कर रक्खा था !  गिलहरी काम करते करते थक जाती थी  तो सोचती थी कि थोडी आराम कर लूँ ....  वैसे ही उसे याद आता था :- कि शेर उसे  दस बोरी अखरोट देगा - गिलहरी फिर  काम पर लग जाती !  गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते -  कुदते देखती थी तो उसकी भी ईच्छा होती  थी कि मैं भी enjoy करूँ !  पर उसे अखरोट याद आ जाता था !  और वो फिर काम पर लग जाती !  शेर कभी - कभी उसे दूसरे शेर के पास  भी काम करने के लिये भेज देता था !  ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना  चाहता था , शेर बहुत ईमानदार था !  ऐसे ही समय बीतता रहा....  एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के  राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट  दे कर आजाद कर दिया !  गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने  लगी कि:-अब अखरोट हमारे किस काम के ?  पुरी जिन्दगी काम करते - करते दाँत तो घिस  गये, इसे खाऊँगी कैसे !  यह कहानी आज जीवन की हकीकत  बन चुकी है !  इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है,  और पुरी जिन्दगी नौकरी में बिता देता है !  60 वर्ष की ऊम्र जब वो रिटायर्ड होता है  तो उसे उसका फन्ड मिलता है !  तब तक जनरेसन बदल चुकी होती है, परिवार  को चलाने वाला मुखिया बदल जाता है ।  क्या नये मुखिया को इस बात का अन्दाजा  लग पयेगा की इस फन्ड के लिये : -  कितनी इच्छायें मरी होगी ?  कितनी तकलीफें मिलि होगी ?  कितनें सपनें रहे  क्या फायदा ऐसे फन्ड का जिसे  पाने के लिये पूरी जिन्दगी लगाई जाय  और उसका इस्तेमाल खुद न कर सके !  "इस धरती पर कोई ऐसा आमीर अभी  तक पैदा नहीं हुआ जो बिते हुए समय  को खरीद सके ।  TIME IS MONEY  26/11/2015, 9:56 PM - ‪+91 98781 22099‬: एक बार एक अजनबी किसी के घर  गया। वह अंदर  गया और मेहमान कक्ष मे बैठ गया। वह  खाली हाथ  आया था तो उसने सोचा कि कुछ  उपहार देना अच्छा रहेगा।  तो  उसने वहा टंगी एक पेन्टिंग उतारी  और जब घर का मालिक  आया, उसने पेन्टिंग देते हुए कहा, यह मै  आपके लिए  लाया हुँ। घर का मालिक, जिसे पता  था कि यह मेरी चीज  मुझे ही भेंट दे रहा है, सन्न रह गया !!!!!  अब आप ही बताएं कि क्या वह भेंट  पा कर, जो कि पहले  से ही उसका है, उस आदमी को खुश  होना चाहिए ??  मेरे ख्याल से नहीं....  लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ  भी करते है। हम  उन्हे रूपया, पैसा चढाते है और हर चीज  जो उनकी ही बनाई  है, उन्हें भेंट करते हैं! लेकिन  मन मे भाव रखते है की ये चीज मै  भगवान को दे रहा हूँ!  और सोचते हैं कि ईश्वर खुश हो  जाएगें। मूर्ख है हम!  हम यह नहीं समझते कि उनको इन सब  चीजो कि जरुरत  नही। अगर आप सच मे उन्हे कुछ देना  चाहते हैं  तो अपनी श्रद्धा दीजिए, उन्हे अपने  हर एक श्वास मे याद  कीजिये और  विश्वास मानिए प्रभु जरुर खुश  होगा !!  अजब हैरान हूँ भगवन  तुझे कैसे रिझाऊं मैं;  कोई वस्तु नहीं ऐसी  जिसे तुझ पर चढाऊं मैं ।  भगवान ने जवाब दिया :" संसार की  हर वसतु तुझे मैनें दी है। तेरे पास अपनी  चीज सिरफ तेरा अहंकार है, जो मैनें  नहीं दिया ।  उसी को तूं मेरे अरपण कर दे। तेरा  जीवन सफल हो  अगर इतना पढ़ने के बाद भी शेयर ना  करो तो बेकार है मेरा पोस्ट करना ।।  -

Thursday, November 26, 2015

उनके बैर का कांटा




दुनिया में बहुत से ऐसे भी लोग होते हें जो उपर -उपर से दया कर रहे होते हैं और अन्दर उनके बैर का कांटा उपजा होता हे ,हिंसा से सने होते हैं ! ऐसे लोग सत्संग -भजन , लडाई झगडा सब साथ -साथ कर रहे होते हैं अगर कोई दुकान में बैठा हे और गरीब भीख मांगने वाला सुभह -सुभह आ जाए तो हाथ में डण्डा पकडा हुआ हे और बोलता भी जाता हे कि -

प्रेम वाला



प्रेम वाला इंसान ही दुनिया में निर्माण कर सकता है।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Tuesday, November 24, 2015

एक दूसरे के



एक दूसरे के लिए जो कुछ कर सकते हो, करो।


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Sunday, November 22, 2015

prarthna




परम पूज्य सुधांशुजी महारा

prarthna
bhagvan jo aap chahate hain agar v n kar sakun to aisi samajh do ki jo aap nahi chahate v bhee n karoon

Wednesday, November 18, 2015

अपनी प्रतिष्टा को


  • अपनी प्रतिष्टा को भूलकर ,अकिंचन बनकर गुरू के darदर पर सेवा करने से जो प्राप्ति होगी ,उसकी कोई बराबरी नहीं !
  • सुधान्शुजी जी महाराज

Tuesday, November 17, 2015

समय और

समय और परिस्थितियाँ नहीं बदलते, तुम्हें ही बदलना होगा।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Saturday, November 7, 2015

Fwd: [www.mgg.ammritvanni] सीखना


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga LM VJM <mggarga@gmail.com>
Date: 2015-11-07 10:06 GMT+05:30
Subject: [www.mgg.ammritvanni] सीखना
To: mggarga1932@gmail.com


सीखना जारी रहना चाहिए, सीखना रुकना नही चाहिए।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज



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Madan Gopal Garga LM VJM द्वारा www.mgg.ammritvanni के लिए 11/07/2015 10:06:00 am को पोस्ट किया गया

सीखना

सीखना जारी रहना चाहिए, सीखना रुकना नही चाहिए।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Thursday, November 5, 2015

कीमती पैसा नहीं

कीमती पैसा नहीं है वह तो जीवन चलाने के लिए है। जीवन को कीमती बनाने के लिए कीमती है सदविचार्।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज